रविकांत कुमार
कोसी टाइम्स@मधेपुरा
विश्व पर्यावरण दिवस जो संयुक्त राष्ट्र के द्वारा 1972 में शुरुआत की गयी थी जो पर्यावरण की का बढ़ना इत्यादि को बताने के लिये विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है।
कुछ लोगों, अपने पर्यावरण की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार या निजी संगठनों की ही ठहराते है जो गलत है बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है
पर्यावरण मुद्दों के बारे में आम लोगों को जागरुक करने के साथ सुरक्षित, स्वच्छ और अधिक सुखी भविष्य का आनन्द लेने के लिये लोगों को अपने आसपास के माहौल को सुरक्षित और स्वच्छ बनाने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये।इसके साथ बचपन की यादें भी जुड़ी है जो अभी भी जारी है पेड़ लगाना ,आपने आसपास सफाई करना स्कूलों मे इस विषय पर निबंध लिखना पोस्टर प्रतियोग्यता आदि होती थी। जो आज भी हमारे समाज में शिक्षक , विद्यार्थी एंव युवा वर्ग बड़ी संख्या में भाग लेते हैं। अपने पर्यावरण की सुरक्षा की ओर प्रोत्साहित करने के लिये स्कूल, कॉलेज और दूसरे शैक्षणिक संस्थानों में भी बहुत सारे जागरुकता अभियान चलाए जाते है और चलाये भी जा रहे हैं।
कुछ थीमें
“दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिए दौड़ में शामिल हों”
एक विश्व एक पर्यावरण हो
हमारा पृथ्वी हमारा भविष्य
“भगवान का शुक्र है कि इंसान उड़ नहीं सकता, नहीं तो पृथ्वी के साथ ही आकाश को भी बरबाद कर देता।”- हेनरी डेविड थोरियु
“पर्यावरण सब कुछ है जो मैं नहीं हूँ।”- अल्बर्ट आइंस्टाईन
“पृथ्वी हर मनुष्य की जरुरत को पूरा करता है, लेकिन हर व्यक्ति के लालच को नहीं।”
“विश्व के जंगलों से हम क्या रहें हैं केवल एक शीशे का प्रतिबिंब है जो हम अपने और एक-दूसरे के साथ कर रहें हैं।”- महात्मा गाँधी
यह दिन विशेष रुप से वर्तमान वातावरण की स्थितियों पर ध्यान केन्द्रित करके पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए है।यह वह दिन है जब पर्यावरण के सन्दर्भ में जागरुकता कार्यक्रमों के माध्यम से राजनीतिक ध्यानाकर्षण के साथ ही सार्वजनिक कार्यों को बढ़ाने के लिए जनता और राजनेता इनसे प्रेरणा लेते हैं। लोगों को पर्यावरण के मुद्दों पर कार्य करने और विश्वभर में निश्चित व पर्यावरण के अनुकूल विकास का सक्रिय प्रतिनिधि बनने के लिए इस दिन को बनाया गया है।हमें बेहतर भविष्य के लिए इस कार्यक्रम में शामिल होना चाहिए और अपने पर्यावरण को सुरक्षित रखने की प्रतिज्ञा भी लेनी चाहिए।
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 19 नवंबर 1986 से पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू हुआ।
साधारण तौर पर सोचे तो पर्यावरण से तात्पर्य हमारे चारो ओर के वातावरण और उसमे निहित तत्वो और उसमे रहने वाले प्राणियों से है. हम अपने चारो ओर उपस्थित वायु, भूमि, जल, पशु पक्षी, पेड़ पौधे आदि को अपने पर्यावरण मे शामिल करते है.जिस तरह हम अपने पर्यावरण से प्रभावित होते हैं, उसी प्रकार हमारा पर्यावरण भी हमारे द्वारा किए गए कृत्यो से प्रभावित होता है. जैसे लकड़ी के लिए काटे गए पेड़ो से जंगल समाप्त हो रहे है और जंगलो के समाप्त होने से इसमे रहने वाले जीवो के जीवन पर भी असर पड रहा है. जीवो की कुछ जातीय तो विलुप्त हो गयी और कुछ विलुप्त होने की कगार पर है.
आजकल देखा जाए तो बहुत से कारण है जिससे पर्यावरण को दूषित किया जा रहा है।
जल ,थल , वायु और ध्वनि
इसके साथ कारखानों से निकलने वाली धुआं ।नदी तलाब में नाली के जोड़ना कुड़ा कचरा फैकना ।घर या आसपास की सफाई का गन्दगी को खुलें में फेकना। आज कल ध्वनि भी कम नही है हमारे पर्यावरण को दूषित करने। तेज आवाजों लाउडस्पीकर(डी जे) आदि बजाना।गाड़ियों और चिमनी का धुँआ।इसमे बहुत हद तक जनसंख्या अनियंत्रण भी शामिल है।इसके लिए हमे समय समय पर जागरूकता के साथ वृक्षारोपण करना ।घर या आसपास की सफाई का कचरों का कचरों के डिब्बों में डालना आदि।
पेड़ काटने वाले काट गये
क्या सोचा था एक पल को
वो किसी, परिंदे का घर उजाड़ गये
क्या सोचा था एक पल को
वो धरती के मजबूत पकड़ को उखाड़ गये
कितना ही एकड़ को बंजड़ बना गये
मौसम का मंजर एक पल में हिला गये
न करो पर्यावरण का निरदार
ये धरती माँ का अपमान हैं
हर एक पेड़ पौधा और जीव जंतु
इस धरती के समान हैं
अगर करोगो खिलवाड़ संतुलन से
तो भविष्य में सिर्फ गहरा अंधकार हैं।
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