ओम प्रकाश
कोसी टाइम्स @ सुपौल.
कोसी क्षेत्र से विलुप्त गिद्धराजों का पुन: कोसी क्षेत्र में एक बार फिर से दिखाई देना पर्यावरण संरक्षण के नजरिये से शुभ संकेत है. पिछले कई वर्षो से इस परिक्षेत्र में गिद्ध नजर नहीं आ रहे थे.मरे पशुओं के पास कभी ये दर्जनों के तादाद में दिखाई पड़ते थे. लेकिन हाल के दिनों में ये ढूढंने से भी नजर नहीं आ रहे थे.पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला इस पक्षी को हालांकि हमारे समाज में अछूत माना जाता है.धार्मिक परंपरा के अनुसार अगर किसी व्यक्ति के घर पर अथवा मकान के छतों पर यदि गिद्ध बैठ जाता है तो इसे अपशकुन माना जाता है.उस घर की शुद्धि के लिए उस घर पर पूजा-पाठ एवं हवन कार्य किया जाता
है, तब उस घर की शुद्धि होती है.
वैज्ञानिक नजरिये से यह पक्षी सबसे बड़ा सफाई कर्मी है.यह लावारिश पड़े लाशों को खाकर पर्यावरण को साफ-सुथरा रखता है.एक तरफ जहां ये प्रकृति के शुभ चिंतक होते हैं वहीं दूसरी तरफ कहा जाता है कि त्रेता युग में भगवान श्री राम ने गिद्धराज जटायु के मरने के उपरात उनका अंतिम संस्कार किया था.धार्मिक आख्यानों में इस बात को बार-बार बतलाया भी जाता है.
कोसी क्षेत्र में वर्षो से नजर नहीं आये गिद्धों को देखकर कोसी के किसानों में खुशी व्याप्त हो गई है.माल-मवेशी के मरने के बाद लोग अभी इसे मिट्टी के नीचे गाड़ दिया करते थे,लेकिन इससे भी अब लोगो को निजात मिलेगी. लोगो की माने तो इनके विलुप्त होने की बहुत सारी बाते बताई जा रही थी। जिसमें जहरीली दवा से मौत हुई पशुओं के मास को खाने से, बड़े-बड़े वृक्षों के कटाई के कारण इनके आवास बिगड़ जाने से तथा इनके बीच फैलने वाले विषाणु जनित रोगों से इनका सफाया हो गया था. लेकिन पुन: एक बार गिद्धों के वापस लौटने से कोसी की जनता में खुशी की लहर दौड़ गई.
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