मधेपुरा।
जिले में अबतक घूस लेने और घूस नहीं देने पर पुलिसकर्मियों द्वारा लोगों को प्रताड़ित करने का मामला सामने आता था। लेकिन अब तो इस बात का भी खुलासा हाेने लगा है कि टाईम पास करने के लिए पुलिसकर्मियों को लड़की भी चाहिए। किसी को फंसाने के लिए हथियार भी चाहिए और चाेरी-छिनतई से बाइक भी चाहिए। यही नहीं, दारोगा जी घूस के बकाए रुपए भी अपने लोगों से वसूलवाते हैं। इन काम में अगर कोई फेल हो जाता है या उनका खास आदमी काम करने में आनाकानी करता है तो दारोगा जी फौरन अपना गियर बदल देते हैं। कल तक जिसे अपना खास काम करने के लिए अपने से सटाए रहते हैं, उसे कई केस में फंसा भी देते हैं। ताजा मामला बिहार के मधेपुरा जिलान्तर्गत चौसा थाने के दारोगा गोपींद्र सिंह से जुड़ा हुआ है। लेकिन पूरी कहानी को देखने और प्रभावित लोगों के बयान से प्रतीत होता है कि मामले के तार तत्कालीन थानाध्यक्ष राजकिशोर मंडल से भी जुड़ा हुआ है।
खुद एक पीड़िता भी स्वीकार करती है कि तत्कालीन थानाध्यक्ष उनके घर आते रहते थे। दूसरे के माध्यम से लड़की की व्यवस्था कराने की बात कहते थे। अब पीड़ित ने दारोगा गोपींद्र सिंह के मोबाइल पर बातचीत के रिकार्डिंग के साथ आईजी को पत्र भेजकर न्याय की गुहार लगाई है। इस ऑडियो को माने तो घूस की राशि उदाकिशुनगंज के एसडीपीओ तक भी पहुंची। दारोगा जी की बेशर्मी देखिए, टाइम पास के लिए लड़की मांगने की बात को स्वीकार करते हुए वे कहते हैं कि मजाक में कहे थे। लेकिन उन्हें कौन समझाए कि उन्हें अवैध कट्टा और गोली उन्हें किस लिए चाहिए थे। रसलपुर धुरिया वार्ड 9 निवासी चंद्रभूषण यादव और दारोगा गोपींद्र सिंह के बीच मोबाइल कॉल रिकार्ड के अंश….
लड़की…. हां। हो जयते तै होईये जैतहिये…
गोपेन्द्र सिंह, दारोगा : की हाल चाल छै।
चंद्रभूषण यादव : जी ठीके छै।
दारोगा : त फुरसत नै मिललै।
चंद्रभूषण : फुर्सत, अभी ब्याह शादी के दिन छै।
दारोगा : फुर्सत नै छै की, मन नै करे छै भेंट करे के।
चंद्रभूषण : कोनो काम रहे छै तब नै।
दारोगा : हमर काम नै रहे, कहले अबे छिये।
चंद्रभूषण : केस वाला?
दारोगा : उ त छैबे करे। कहलो की फोन पर बात नै करनै छै।
चंद्रभूषण : तखनी हम बिजी रहिए सर।
दारोगा : देखियो नै, लागते मौका तै एगो जरूरी वाला काम रहे।
चंद्रभूषण : अपने हमरा चार गो काम बतैने रहिए। दो महीना से ऊपर भै गेले। एक गो काम हमरा से नै हुए पारले ये।
दारोगा : हां हां हां हां
चंद्रभूषण : एगो काम रहे टाइमपास करे ले एगो महिला… वोहो जुगाड़ नै लागल छै हमरा से।
दारोगा- हैय उ तै ऐसे हम मजाक करे…
चंद्रभूषण : नै आखिर कहने रहिए नै।
दारोगा- हां, हो जयते तै होईये जैतहिये, ओकरा लै टेंसन नै लेने छै।
चंद्रभूषण : दूसरा काम हमरा बताइलै रहिए एगो थ्रीनट, दूगो गोली…
दारोगा : हां हां… वही लिए हम तोहरा बोलवावे रहियो। मोबाइल पर बात नै करने रहै।
चंद्रभूषण : सुनियो ना, पहिने चार गो काम के नाम बता देब तब ना।
दारोगा: अच्छा ठीक छै, ठीक छै, बोलो नै।
चंद्रभूषण : दु काम भैलैय, एगो काम गाड़ी वाला… छीनलका मोटरसाइकिल वाला।
दारोगा: हां हां… तीन…
चंद्रभूषण : एगो जोगी साह वाला कि छै की 10 हजार टेका उससे और लेना है।
दारोगा : हां हां हां।
चंद्रभूषण : चार गो काम के भार अपने दैलये रहे। अभी हम एको गो काम अपने के हम नै केलिए य।
हेडिंग : हथियार वाला काम के लिए परेशान छिये...
दारोगा- नै तै जरूरी वाला दो गो काम छै। एगो योगी साह वाला और एगो ओके से जरुरी ई वाला।
यादव : कौन? हथियार वाला।
दारोगा : हां हां हां। ओकरे लिए हम परेशान छिये। कहीं से जोगार करु।
चंद्रभूषण : कहीं से जोगार लैग जेते तै हम अपनै कै थमे देबै।
दारोगा : नै तै ओकरे धरो नै, माफिया छै जोगी साह
चंद्रभूषण : योगी साह के काम जे नै भोले ने, उ छिटके छै। ओकर कहने छै कि एक लाख दे दैलिए गोपेंद्र बाबू के और हमर चार गो काम के भार लेने रहे। वै से बढ़िया हमें केस के आईओ त्रिभुवन बाबू के पकड़ लैतहिऐ तै हमर काम आय डिस्टर्ब नै हैतिहै।
हेडिंग :: डीएसपी साहब के डेरा पर एक लाख लेकर गए आप..फंसिएगा आप…
दारोगा : ओकरा से करबैतिहै तै ए को गो काम नै होतिहै।
चंद्रभूषण : ओकर कहने छै कि हमरा मारफत गेल रहै एक लाख टेका। तोहरा सामने में गिन के एक लाख टेका दैलिए भूषो भाई।
दारोगा : खाली ओकरे काम होइते… दोसर के काम ने होइतै। उ पार्टी डीएसपी के यहां जाय कै टेका दैलके ते काम नै हैइते।
चंद्रभूषण : उ कहे छै डायरी कि लिखलकै कोनो टेर नै लागै छै।
दारोगा : जाय के देखै। नकल निकालै।
चंद्रभूषण : डायरी भेज दैलिए।
दारोगा- हां, उदाकिशुनगंज गेले, योगी साह वाला। जै कहलिए सै लिखलिए। उ तै कहे हैत भूषण जी खाय पी गैले।
चंद्रभूषण : जो आदमी आपके हाथ में गिन कर दिया एक लाख रुपैया। उ हम आपसे लेकर कैसे खा लेंगे।
दारोगा- नै अगर उ ई मंसुआ होई।
चंद्रभूषण : जी ने कोई मंसूबा नै। अगर कोई कहेगा भी ना अगर आप भी बोलिएगा ना कि भूषण को दे दिए तो आप मिलीभगत है। ऑटोमेटिक आप उसमें फंसीएगा, क्योंकि गिने तो आप हैं, पैसा लिए आप। गए उधर आप डीएसपी साहब के डेरा पर। हमलोग त सब साथ ही चले गए घर।
इस सम्बन्ध में आरोपी रंगीन मिजाज़ दरोगा गोपींद्र सिंह ने बताया कि हमको नहीं पता था दोस्ती में ऐसा करेगा पहले उससे दोसती थी। उसके बाद उसपर एक केस हो गया। उसको शक है कि इसमें हमारा हाथ है। लेकिन केस करना तो बड़ा बाबू के अधिकार क्षेत्र में न है। पहले हम बातचीत किए थे। हमको क्या पता था कि वह दोस्ती में ऐसा करेगा।
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