प्रशांत कुमार
पुलिस पर शराब माफियाओं के साथ सांठ गाँठ कर काम करने के आरोप लगते रहे है लेकिन सूबे के मुखिया के सपने को साकार करने के लिए अभियान चलाने वाले सीनियर आईपीएस अधिकारी गुप्तेश्वर पाण्डेय जी जब डीजीपी बने तो ऐसा लगा गंठजोड़ कमजोर पड़ेगा लेकिन बिहार में जैसे अपराध बेकाबू है ,अपराधियों की बहार आती दिखती है वैसे ही शराब माफिया भी मजे लुट रहे है.क्योंकि आपने आजतक सुना होगा थाने में मामले दर्ज नही होते लेकिन यह पहला मामला है जो थाने में तो दर्ज हुआ ,क्रम संख्या भी पड़ी ,मामले के आईओ भी नियुक्त किये गये लेकिन अन्तोगत्वा माफियाओ की कृपा से पूरा मामला ही रिकॉर्ड से गायब हो गया.
मामला बिहार के मधेपुरा जिले के उदाकिशुनगंज अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत आलमनगर थाना से जुड़ा हुआ है.यहाँ पुलिस गुप्त सुचना के आधार पर 13 अक्टूबर को शाम सात पन्द्रह बजे कुर्मी टोला स्थित एक फूस की झोपडी में छापेमारी की.पुलिस को सुचना थी कि यहाँ देशी शराब की बिक्री हो रही है.जब पुलिस झोपड़ी के पास पहुंची तो बेचने वाला वहां से भागने लगा .पुलिस के जवानो ने खदेड़ कर उसे पकड़ा .पकडे गये आरोपी का नाम विकास कुमार पिता दयाराम मंडल था .पुलिस ने झोपडी से बारह पाउच में 6 लीटर देशी शराब जब्त किया.इस दौरान दो स्वतंत्र गवाह भी बनाये गये .थाने के सब इंस्पेक्टर अमित कुमार हिमांशु के बयां पर 14 अक्टूबर 2019 को विभिन्न धाराओं में केस न 264 /19 दर्ज किया गया.लेकिन यह केस अब पुलिस के रिकॉर्ड में नही है.इस केस के स्थान को दुसरा मामला भर रहा है.यह मामला जेठ पर महिला द्वारा उत्प्रिरण के लगाये आरोप से जुड़ा है.
ऐसी सटीक सेटिंग मधेपुरा पुलिस से ही संभव है क्योकि इसके बड़े बड़े सेटिंग के कारनामे कोसी टाइम्स के माध्यम से आप देख चुके है.चाहे लुट का पैसा आरोपी को लौटाने का मामला हो या फोन पर दिल बहलाने के लिए महिला का डिमांड करने का या फिर केस दर्ज कराने गयी महिला से अश्लील बाते करने का . इन मामलो की ही तरह आरोपी पुलिस पदाधिकारी और वरीय अधिकारी की भूमिका इस मामले में भी देखने को मिल रही है
थाने के प्रभारी का सरकारी नंबर अमान्य बता रहा है . वे निजी नंबर पर कॉल रिसीव नही कर रहे है.लगता है डीएसपी साहब भी सदमे में है वो भी कई बार पूरी कॉल रिंग होने पर भी न तो रिसीव किये न तो समाचार लिखे जाने तक न कोई कॉल बेक किया.जिले के पुलिस कप्तान भी न तो कॉल रिसीव किये और न ही समाचार लिखे जाने तक कोई जबाब दिए है .लेकिन छापेमारी करने वाले थाने के सब इंस्पेक्टर अमित कुमार हिमांशु ने फ़ोन भी उठाया और कुछ गोल मटोल जबाब भी दिया .उनसे जब पूछा गया आलमनगर थाना कांड संख्या 264/19 को आपने ही दर्ज करवाया तो वे इससे अन्भिग्गता जाहिर किये लेकिन जब उन्हें केस की कॉपी whatasapp के माध्यम से सत्यापन के लिए भेजा गया तो करीब एक घंटे तक उनके मोबाइल से कथित रूप से नेटवर्क ही गायब रहा हालाँकि वे ऑनलाइन दिखते रहे .एक घंटे बाद उन्होंने कोसी टाइम्स को कॉल बेक कर बताया कि यह केस उन्ही का है लेकिन जब उनसे पूछा गया अब भी ये केस थाने के रिकॉर्ड में है तो वे चुप्पी लाद दिए और थानाध्यक्ष से बात करने की बात कही.
मधेपुरा पुलिस की इस कारगुजारी ने एक बार फिर बिहार पुलिस के छवि को दागदार करके रख दिया है .डीजीपी साहब भले सब कुछ छोड़ शराबबंदी आन्दोलन में लगे रहे लेकिन उनके ही नीचे के अधिकारी उनके इस आन्दोलन में भी पलीता लगाते दिख रहे है.बहरहाल अब देखना दिलचस्प होगा कि इस खबर के बाद डीजीपी साहब क्या कार्रवाई करते है?
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