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अंगिका में पठन-पाठन को लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी मधेपुरा को भेजा पत्र,कार्य योजना बनाने की मांग

👉🏻सामाजिक शैक्षणिक कल्याण संघ के सचिव संजय कुमार सुमन ने पत्र भेजकर अंगिका भाषा के बच्चों की भावनाओं को ध्यान मे रखते हुए अंगिका भाषा की पठन-पाठन सामग्री उपलब्ध कराने की अनुशंसा की जाने की मांग किया

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कुमार साजन@चौसा,मधेपुरा
नई शिक्षा नीति 2020 के तहत प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों को अपनी मातृभाषा अंगिका में पठन-पाठन कार्य हेतु योजना बनाने को लेकर डीईओ,डीपीओ एवं जिला पदाधिकारी मधेपुरा को सामाजिक शैक्षणिक कल्याण संघ के सचिव संजय कुमार सुमन ने पत्र भेजकर अंगिका भाषा के बच्चों की भावनाओं को ध्यान मे रखते हुए अंगिका भाषा की पठन-पाठन सामग्री उपलब्ध कराने की अनुशंसा की जाने की मांग किया है।

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उन्होंने कहा कि मधेपुरा जिले के अधिकांश बच्चे सहित आम लोगों की घरेलू भाषा (मातृभाषा) अंगिका है।बिहार के अंगिका भाषी, काफी दिनों से अंगिका में पढ़ाई और संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर आंदोलन रत हैं।बिहार सरकार ने अंग महाजनपद के चार प्रमंडल भागलपुर प्रमंडल के भागलपुर, बांका,मुंगेर प्रमंडल के मुंगेर, खगड़िया, लखीसराय, बेगूसराय, शेखपुरा, जमुई,कोसी प्रमंडल के सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, पूर्णिया प्रमंडल के पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज को अंगिका भाषा बहुल क्षेत्र मानकर मुख्यमंत्री ने 23 जून 2015 को टोकन राशि के साथ अंगिका अकादमी पर मुहर लगाया था।अंगिका में पठन-पाठन को लेकर कार्य योजना अविलंब बनाये जाने की मांग किया गया है।

उन्होंने कहा कि अंगिका भाषा मिठास की भाषा है, ऐसी भाषा जो बहुत आसानी से सीखी जा सकती है।यह नेपाल के तराई भाग में भी बोली जाती है। अंगिका भारतीय आर्य भाषा है। अंगिका को देवनागरी लिपि में लिखा जाता है। इसे अंग भाषा के नाम से भी पुकारा जाता है।भारत की अंगिका को साहित्यिक भाषा का दर्जा हासिल है। अंगिका साहित्य का अपना समृद्ध इतिहास रहा है।
संघ के सचिव श्रीसुमन ने कहा कि अंगिका महज भाषा ही नहीं बल्कि हमारी विविध सांस्कृतिक धरोहर है। जिसे कायम रखना और उसका बहुआयामी विकास करना समय की मांग है।उन्होंने जोर देकर कहा कि सदियों पूर्व से करोड़ों लोगों की कंठहार बनी यह प्राचीन भाषा आज पुराने भागलपुर प्रमंडल क्षेत्र के अलावा बिहार प्रांत के 15 जिले झारखंड के 7 जिले और पश्चिम बंगाल के 4 जिले की अधिकांश आबादी के बीच बोली जा रही है।

उन्होंने दावा किया है कि आज विभिन्न विधाओं में अंगिका भाषा का साहित्य समृद्ध होने के साथ इसका अपना गौरवशाली इतिहास,भूगोल, व्याकरण और लिपि है।
यहां अंगिका भाषा को समृद्ध सशक्त बनाने वाले साहित्यकारों,शिक्षाविदों और विद्वानों की कमी नहीं है।इसके कारण ही अंगिका साहित्य और संस्कृति का मान बढ़ा है, मर्यादा बरकरार रही है।इसके बावजूद अंगिका को वाजिब हक और समुचित सम्मान मिलना अनुचित ही नहीं अन्याय भी है। उन्होंने कहा कि अंगिका भाषा अत्यंत प्राचीन और समृद्ध है। साहित्य की सभी विधाओं में पुस्तकें उपलब्ध है।

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