दीपावली का पर्व अब कुछ महज दिन ही शेष रह गए हैं। कोरोना महामारी के बीच घरों एवं प्रतिष्ठानों में साफ-सफाई शुरू कर दी गई है। इस त्यौहार में रंगों की चमक धीरे-धीरे चटक होने लगी है। इस बार रंग कारोबारियों के चेहरे पर उदासी पसरी है। त्योहारों को लेकर कारोबारी का कार-बार धीरे-धीरे अब पटरी पर आ रहा है।
पिछले वर्ष की तुलना तो इस वर्ष कमजोर मांग से व्यवसाय पर बुड़ा असर पड़ा है। कोरोना काल में भी नामी-गिरामी पेंट कंपनियों ने अपने उत्पादन के रेट में बढ़ोतरी किया है। जिस वजह से खुदरा बाजार में ग्राहकों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है।
कंपनियों द्वारा रंगों के दाम बढ़ाए जाने से गरीबों के आशियाने चमक से दूर रहेंगे। पेंट कारोबारी से जुड़े व्यवसायी मो. महताब आलम का कहना है कि दिपावली पर प्रत्येक साल अच्छा लाभ हो जाता था। इस बार भी उम्मीद पर कंपनियों की रंगों का स्टॉक मंगवाए थे, लेकिन कोरोना संक्रमण के दौरान बाजारों में आई मंदी और दाम बढ़ने के कारण खरीदारी पर असर पड़ा है।
कारोबारी कहते हैं कि प्रखंड क्षेत्र के दुकानों में अधिकतर लोगों के पास रुपए की अभाव है। एक ओर करोना दूसरी तरफ बेमौसम हुई बरसात से किसान काफी चिंतित है। उन्हें समय पर फसल का भाव नही मिला।
इस बार दिपावली की रौनक नहीं दिखाई दे रही है। उन्होंने कहा कि अब तक महज कुछ ही ग्राहक पहुंचे हैं, रंग खरीदने के लिए जिससे बिक्री पर सीधा असर पड़ा है। कारोबारियों की मानो तो 5 वर्षों के दौरान कारोबार पर इस तरह का असर नहीं हुआ था। ग्राहकों की कमी से बाजारों में कमजोरी का रुख कायम हो गया है। रंग खरीदने आए ग्रामीण राजेश झा ने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना इस वर्ष रंग की भाव में तेजी आई है। पेंट का बाजार भाव प्रति लीटर में अधिक बढ़ गया है।
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