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पुरैनी में रमजान माह के तीसरे जुम्मे की नमाज पर अकीदतमंदों ने मांगी अमन-चैन की दुआएं

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अफजल राज@ पुरैनी,मधेपुरा

पुरैनी प्रखंड क्षेत्र के सभी जामा मस्जिदों में रमजान के तीसरे शुक्रवार को अकीदत ने जुम्मा की नमाज अदा की। बड़ी संख्या में रोजेदार मस्जिद पहुंचे। उन्होंने नमाज पढ़ने के बाद प्रेम, भाईचारा, शांति एवं खुशहाली के लिए अल्लाह से दुआ मांगी।

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पुरैनी के जमा मस्जिदों में मौलाना अमजद आलम ने रमजान और रोजे के महत्व पर तकरीर करते हुए बताया कि रमजान हर परिस्थिति में सब्र करने का सबक सिखाता है। रोजे की हालत में रोजेदार गरीबों की भूख प्यास का एहसास करता है। उन्होंने कहा कि रोजेदार की नेकियों की शुरुआत उसके रोजा रखने के साथ ही हो जाती है। मगर रोजेदार के लिए भी कई नियम हैं। आंख से बुरा मत देखो, कान से बुरा मत सुनो, हाथ से गलत मत करो। उन्होंने कहा कि शरीर के प्रत्येक हिस्से का रोजा होता है। संयमित रहकर रोजा रखना और रोजे के नियमों की पालना करना जरूरी है। इस्लाम में गरीबों का हरसंभव ध्यान रखने और उसे उसका अधिकार देने के लिए हर व्यक्ति पर जिम्मेदारी सौंपी गई है। माह-ए-रमजान वह मुकद्दस महीना है, जिसमें अल्लाह की नेमतें और बरकतें बरसती हैं। इंसान बुराइयों से बचकर अल्लाह से लौ लगाता है, गुनाहों के लिए तौबा करता है। गरीब और मुफलिसों की हमदर्दी और मदद का जज्बा भी इसी महीने खासतौर पर जागता है।                             मुफ्ती अब्दुल कुद्द्श मिसवाही ने मुकद्दस रमजान की फजीलत बयां करते हुए कहा कि माहे रमजान जश्न-ए-कुरआन का वह पाकीजा महीना है, जिसमें इबादत के जरिए इंसान अपने गुनाहों को अल्लाहताला से मुआफ कराता है। नेकी और इंसानियत के रास्ते पर चलने का एहद करता है। रमजान सब्र और इबादत का वो महीना है जिसमें अल्लाह अपने बंदों का इम्तिहान लेता है। रमजान के पहले अशरे में नेक बंदों पर अल्लाह तआला की रहमत बरसती है। अल्लाह शैतान को कैद कर देते हैं। जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। दोजख के दरवाजों को बंद कर दिया जाता है। इस महीने में एक नेकी का सवाब 70 गुना अधिक मिलता है।

इस दौरान मोहम्मद अकवाल आलम, मोहम्मद अफरोज आलम, कमाल अख्तर, मोहम्मद नसीम , मोहम्मद इज्जो, वसीम अख़्तर, शाहिद उर्फ दुलारा, आदि मस्जिदों में अकीदतमंदों ने जुम्मे का नमाज अदा की।

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