राजेश रंजन पप्पू
आपकी बात @ कोसी टाइम्स.
आज ही के दिन यानि 10 अप्रैल को सौ साल पहले बापू पटना आये थे और यहां से निकले थे मुजफ्फरपुर होते हुए चंपारण को। अंग्रेजो के चंगुल से किसानों को बचाने के लिए सत्याग्रह आंदोलन की शुरूवात करने। आज बापू के सत्याग्रह के सौ साल पूरे होने पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों बड़े बड़े आयोजन कर रही है शुभारंभ हो चुका है लेकिन आज के ही दिन बापू की कर्मभूमि चंपारण की धरती पर अपना बकाया मांगने वाले किसान और चीनी मिल कर्मियों पर लाठी और गोली बरसाई गई। सत्याग्रह की शताब्दी में करोड़ो रुपये खर्च करने वाले सरकार के अधिकारियों ने अंग्रेजो को भी पीछे छोड़ दिया। धरने पर बैठे किसानों को हटाने के लिए गए प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों की ज्यादती के विरोध में दो किसानों ने आत्मदाह की कोशिश किया। इनमे एक नरेश प्रसाद जो वर्षो से बंद पड़ी चीनी मिल के मजदूर भी थे उनकी हालत खराब है। सवाल उठता है कि एक तरफ करोड़ो के बजट से बापू के चंपारण सत्याग्रह का शताब्दी वर्ष मनाया जा रहा है ,जबकि दूसरी तरफ उसी चंपारण के किसान और मजदूर अपने हक के लिए पुलिस की लाठी और गोली झेल रहे है। क्या यह देखकर बापू की आत्मा नही रो रही होगी? एक तरफ किसानों और मजदूरों पर जुल्मो सितम ढाया जा रहा है तो दूसरी तरफ करोड़ो की लागत से पटना में बने नए ऑडिटोरियम में गांधीवादी चिंतक जुटे थे।इनमे बापू के परिवार के कई सदस्य भी थे एसी हॉल में बैठकर सभी ने गांधीवादी होने के कई तर्क दिए भूत भविष्य और वर्तमान में गांधीवाद पर लंबी बहस हुई लेकिन किसी को नही पता था कि जिस चंपारण के सत्याग्रह की सौवी सालगिरह मना रहे है उस चंपारण का आज क्या दर्द है क्या हाल है..? शिकायत सिर्फ राज्य सरकार से ही नही है शिकायत तो केंद्र की मोदी सरकार से भी है किसानों पर बहुत आंसू बहाया जाता है लेकिन यह दर्द देश के कृषि मंत्री राधामोहन सिंह के संसदीय छेत्र का है। चुनाव के समय बड़े बड़े वायदे किये गए थे गन्ना किसानों का एक रुपया भी बकाया नही रहेगा ..लेकिन क्या हुआ मोतिहारी चीनी मिल ही नही लगभग चंपारण के सभी चीनी मिलों का यही हाल है.? हम तो यही कहेंगे आज चंपारण के किसानों की दशा देखकर बापू की आत्मा भी आंसू रो पड़ी होगी। (लेखक जन अधिकार पार्टी(लो) के राष्ट्रीय महासचिव हैं)
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