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मक्का बहुल क्षेत्र चौसा में उद्योग लगाने की मांग पकड़ी जोड़

मक्का पर आधारित उद्योग की स्थापना हो जाए, तो चौसा की सूरत बदल जाएगी

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कुमार साजन/चौसा, मधेपुरा
मक्का उत्पादन में अव्वल और सुदृढ़ होने के कारण चौसा बिहार में अपना प्रमुख स्थान रखता है। जिस तरह से मिथिलांचल की पहचान मखाने से है उसी तरह चौसा की पहचान मक्के से है। यहाँ के मक्के विदेशों में भी भेजे जाते हैं।चौसा प्रखंड मधेपुरा, पुर्णिया, भागलपुर एवं खगड़िया जिले के बीच सीमा पर अवस्थित है। चौसा एवं सीमावर्ती क्षेत्रों में करीब 50 हजार हेक्टेयर में इसकी खेती होती है। यहां से दूर-दराज तक मक्के भेजे जाते हैं। मक्का व्यवसायी सालों भर चौसा इलाके में कैंप किए रहते हैं। परंतु मक्के के धनी इस जिले में मक्का आधारित एक भी उद्योग नहीं है। नेताओं ने इसे लेकर कई बार वादे किए और फिर भूल गए हैं।चौसा मक्‍का आधारित उद्योग से कोसी क्षेत्र की तस्‍वीर बदल जाएगी। यहां पर मक्‍के की खेती का रकबा लगातार बढ़ते जा रहा है। लेकिन इसके बाद भी यहां पर मक्‍का आधारित उद्योग लगाने पर ध्‍यान नहीं दिया जा रहा है। क्षेत्र के बड़े रकवे पर लहलहा रहे मक्के की फसल से अब मक्का आधारित उद्योग स्थापना की मांग जोर पकडऩे लगी है। साल दर साल मक्के के बढ़ते रकवे से इस मांग को संबल भी मिल रहा है।किसानों का कहना है कि अगर यहां मक्का पर आधारित उद्योग की स्थापना हो जाए, तो चौसा की सूरत बदल जाएगी। किसान खून-पसीना बहाकर मक्का उपजाते हैं, परंतु मक्का पर आधारित उद्योग नहीं होने के कारण उन्हें बाहरी व्यवसायियों, दलालों के हाथों औने-पौने दामों पर मक्का बेचना पड़ता है।मक्का पर आधारित उद्योग की स्थापना किसानों के लिए सपना बना हुआ है।आज मक्का एक व्यावसायिक फसल बन चुका है। इसके उत्पादन का लाभ लेने के लिए मक्का आधारित प्र-संस्करण (कृषि प्र-संस्करण) इकाइयों का स्थापित होना जरूरी हो गया है। मक्का पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसलिये मक्का व्यंजन और मक्के से बनी खाद्य सामग्री का उद्योग लगाने की भरपूर संभावनाएँ बनी हैं।  अगर मक्का पर आधारित उद्योग चौसा में स्थापित हो जाए, तो चौसा के साथ साथ सीमावर्ती क्षेत्र की सूरत ही बदल जाएगी।

देश में मक्का आधारित उद्योगों में बिहार के मक्के की मांग काफी है। भागलपुर सहित कोसी-सीमांचल में उपजने वाले मक्के की वेरायटी और दाने को काफी पसंद किया जा रहा है। दूसरे राज्यों की तुलना में यहां के मक्का की खपत भी अधिक है। मगर इसका समुचित भंडारण और प्रोसेसिंग पर अब तक काम नहीं हो पाया है। इसका नतीजा यह होता है कि न तो किसानों को सही मुआवजा मिल पाता है और न ही उद्योग तक ही मक्का पहुंच पा रहा है।

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मेज कॉर्डिनेटर सह वैज्ञानिक डॉ. बीरेंद्र सिंह ने कहा कि खगड़िया, भागलपुर, मुंगेर, पूर्णिया, सहरसा, कटिहार, किशनगंज और अररिया जिले में मक्का की पैदावार काफी अधिक है। प्रति हेक्टेयर 100 क्विंटल तक मक्का हो रहा है। रबी में पांच लाख हेक्टेयर में मक्के की खेती होती है। अगर रबी, खरीफ, गरमा को मिला दिया जाए तो नौ लाख हेक्टेयर में मक्के की खेती होती है। यही नहीं, सालाना 500 करोड़ के बीज का कारोबार इन जिलों में हो रहा है।

बताते चलें कि इस बार मक्का का बाजार मूल्य काफी कम रहने के कारण किसानों के लिए यह घाटे का सौदा साबित होगा। मक्का का उत्पादन अधिक होने के बाद भी यहां कृषि आधारित उद्योग की स्थापना नहीं हो पाई है। इस कारण यहां का मक्का बाहर के मंडियों में भेजी जाती है। किसानों ने फसलों का समर्थन मूल्य निर्धारित करने तथा कृषि आधारित उद्योग लगाने की मांग की है। कहा है कि सिर्फ धान एवं गेहूं का समर्थन मूल्या मिलता है। जबकि इस क्षेत्र के किसान मक्का की खेती काफी मात्रा में करते हैं। जिसके मूल्य के लिए उन्हें बाजार पर निर्भर रहना पड़ता है। किसान और व्यापारी के बीच बिचौलियों के कारण किसानों को लागत मूल्य भी नहीं मिल पाता है। जबकि महंगे खाद, बीज एवं पटवन के कारण फसल उत्पादन की लागत दिनानुदिन बढ़ती जा रही है।

 

मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य धरातल पर कब लागू होगा यह भविष्य के गर्त मे छिपा है।मक्का की उपज पर ही हमलोग सालाना बजट बनाते हैं। अगर मक्का आधारित उद्योग यहां स्थापित हो जाए, तो किसानों के साथ-साथ युवाओं में खुशहाली आएगी। हर हाथ को काम मिलेगा।उद्योग मंत्री से मिलकर चौसा में उद्योग लगाने की दिशा में पहल की जाएगी।

अरुण कुमार मंडल
भाजपा मंडल अध्यक्ष, चौसा

फसल का भंडारण करने के लिए उचित गोदाम नहीं रहने से अधिकांश मक्का की फसल नष्ट हो जाती है। नतीजतन किसान अपने उत्पादित फसल को महाजनों को उधार पर औने- पौने दामों पर बेचने को विवश बने हुए हैं।चौसा के रसलपुर धुरिया में सैकड़ों एकड़ जमीन सरकारी खाली पड़ी है।उद्योग लगाने को लेकर अपने स्तर से कई बार पहल कर चुका हूं पर अब तक सफलता हाथ नही लगी है।उद्योग मंत्री से भी मिल चुका हूं।देखिए कब तक उद्योग लगने की दिशा में कदम उठाया जाता है।


प्रो नवलकिशोर जायसवाल
जदयू नेता,कलासन
सरकार की उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण चौसा क्षेत्र के मक्का किसान आठ-आठ आंसू बहाने को विवश है। अगर सरकार किसानों की समस्या के प्रति गंभीर रहती, तो वर्षों पूर्व मक्का पर आधारित उद्योग की स्थापना हो जाती।


विनोद आजाद
अधिवक्ता सह लेखक 

चौसा इलाके में बड़े पैमाने पर मक्का की खेती होती है।कई बार चौसा के सरकारी जमीन पर मक्का आधारित उद्योग लगाने की पहल की गई।पर सही तरीके से राजनीतिक पहल नही होने का कारण स्थापित नही हो सका।मक्का पर आधारित उद्योग स्थापित होने के बाद बेरोजगारों को रोजगार मिलता। युवाओं को रोजगार के लिए परदेश नहीं जाना पड़ता।मक्के का बेहतर समर्थन मूल्य मिलने से किसानों को बेहतर लाभ मिलेगा।


संजय कुमार सुमन
युवा समाजसेवी सह सचिव सामाजिक शैक्षणिक कल्याण संघ 

किसानों की मांग जायज है। अगर क्षेत्र में मक्का आधारित उद्योग की स्थापना होती है तो मक्का की खेती व किसानों को बल मिलेगा। साथ हीं पलायन पर भी रोक लगेगी। इस मांग को जिला परिषद के माध्यम के मुख्यमंत्री तक पहुंचाने का काम किया जाएगा।


अनिकेत कुमार मेहता
जिला परिषद मधेपुरा

मक्का की खेतों के लिए मशहूर चौसा प्रखंड क्षेत्र में कृषि आधारित उद्योग लगाने की मांग वर्षो से होती रही है। कई बार स्थानीय लोगों द्वारा फल भी किया गया लेकिन स्थानीय लोगों की मांग पर कोई पहल नहीं की जाती है। कृषि आधारित उद्योग नहीं होने तथा उचित विपणन की व्यवस्था नहीं होने के कारण किसानों को उचित मुनाफा भी नहीं मिल पाता है। किसानों को औने पौने दाम पर अपनी उपज बेचने को मजबूर होना पड़ता है। 

नवनीत कुमार

युवा समाजसेवी 

मक्का की खेती के प्रति किसानों का रुझान दिनोंदिन बढ़ रहा है। अगर सरकार की ओर से यहां कोई प्रसंस्करण इकाई स्थापित कर दिया जाय तो इसका सीधा लाभ मक्का उत्पादक किसानों को होगा।यहां के 90 फीसदी आबादी खेती गृहस्थी पर ही निर्भर हैं। पिछले कुछ सालों में क्षेत्र में मक्का की खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है। बावजूद इसके यहां कृषि आधारित किसी प्रकार का कोई उद्योग नहीं है।

सत्यप्रकाश गुप्ता विदुरजी 

युवा उद्धमी 

किसानों की मांग जायज है। अगर क्षेत्र में मक्का आधारित उद्योग की स्थापना होती है तो मक्का की खेती व किसानों को बल मिलेगा। साथ हीं पलायन पर भी रोक लगेगी।कृषि पर ही देश की संपूर्ण अर्थव्यवस्था निर्भर करती है, इसलिये कृषि क्षेत्र की मजबूती और किसानों की क्रय शक्ति को बढ़ाने की आवश्यकता है। मक्के पर आधारित उद्योग इथनोल की फैक्ट्री चौसा में लगाने की आवश्यकता है।

अशोक कुमार,व्यवसायी 

मक्का दुनिया की सबसे महत्त्वपूर्ण खाद्यान्न फसलों में से एक है और यह अधिकांश विकासशील देशों में खाद्य सुरक्षा में योगदान देता है। चावल और गेहूँ के बाद भारत में मक्का तीसरी सबसे महत्त्वपूर्ण फसल के रूप में उभर रहा है। इसका महत्त्व इस तथ्य में निहित है कि यह न केवल मानव भोजन और पशु आहार के लिए उपयोग किया जाता है, बल्कि यह मक्का स्टार्च उद्योग, मक्का तेल उत्पादन, बेबीकॉर्न आदि के लिए भी व्यापक रूप से व्यवहार किया जाता है।चौसा में ब्यापक पैमाने पर मक्का की खेती होती है।चौसा क्षेत्र में उद्योग लगे तो क्षेत्र का विकास होगा।

याहिया सिद्दीकी

अध्यक्ष-सामाजिक शैक्षणिक कल्याण संघ 

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