राजा वर्मा@जोगबनी
भारत – नेपाल सीमावर्ती क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश की वजह से अनुमंडल क्षेत्र के सुरसर , परमान , सिंघिया , फ़रियानी , कजरा आदि नहरों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। कई स्थानों पर पानी का दबाव बढ़ने से कटाव की आशंका से भय का वातावरण व्याप्त है। हालांकि जल संसाधन विभाग अलर्ट पर है। किन्तु ‘दूध का जला , छाछ भी फूंक कर पीता है’ कुछ ऐसी हीं स्थिति भारत – नेपाल सीमावर्ती फारबिसगंज अनुमंडलीय ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिल रही है । गत वर्ष आई बाढ़ के कहर को झेलने से चिंतित व पीड़ित इस वर्ष भी लगातार हो रही बारिश के कारण अनहोनी की आशंका से ग्रसित हैं।
बताते हैं कि पिछले कई दिनों से इन क्षेत्रों में हो रही अतिवृष्टि तथा नेपाल की तराई क्षेत्रों में जारी भारी बारिश से नेपाली नदियों में उफान को नियंत्रित करने के लिये भीमनगर बैराज से हाल हीं में दो चरणों में क्रमशः जून के अंतिम सप्ताह में 1250 क्यूसेक और जुलाई के दूसरे सप्ताह में 650 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है । कारणवश नहरों के आसपास रहने वाली आबादी और खेती करने वाले कृषकों की मुसीबत बढ़ गयी है ।
जल संसाधन विभाग के सूत्रों की मानें तो पिछले कई वर्षों से नहरों के मेंटेनेंस नहीं होने के चलते कई स्थान पर बांध नीचे हो गया है और नहरों में सिल्टिंग हो गयी है । ऐसे में इन नहरों में 1900 क्यूसेक पानी एक पखवाड़े के बीच छोड़े जाने से पूरे पूर्णिया प्रमंडल जल संसाधन विभाग के अधीन आने वाली अररिया , पूर्णिया , सुपौल तथा मधेपुरा जिले से गुजरने वाली करीब 427 किलोमीटर लंबी नहरों में पानी का जलस्तर अचानक से बढ़ गयी है ।
वहीं जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता मुकुंद प्रसाद की माने तो विभाग अलर्ट पर है । नहरों की डिजाइन के अनुसार 70 फीसदी पानी हीं डिस्चार्ज किया जाता है । इधर फारबिसगंज शहरी क्षेत्र में जल निस्सरण की एकमात्र सीताधार की अधिकांश भूमि को प्रशासन वभूमाफियाओं की गुप्त सांठगांठ से आवासीय क्षेत्रों में लगातार तब्दील किये जाने व नप के मेनड्रेन की खस्ता हाल की वजह से शहरी क्षेत्र में हल्की बारिश में भी आवासीय इलाकों सहित शहर के प्रमुख सदर रोड तक में जलजमाव की समस्या पैदा हो गयी है। बावजूद इसके अधिकारीगण ‘ आंख के अंधे , नाम नयनसुख ‘ जैसे बने बैठे हैं । गौरतलब है कि बाढ़ प्रबंधन को लेकर कोई तैयारी सतह पर नहीं किया जाना चिंता का विषय बनता जा रहा है । अधिकारी आपदा प्रबंधन के कागजी घोड़े दौड़ाने में जुटे हैं । वहीं इस वर्ष भी गत वर्ष की तरह बाढ़ की आशंका की अटकलों का बाजार गर्म होने से लोग सशंकित हैं ।
Comments are closed.