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पप्पू जी ऊन्नै ,मैडम ईन्नै…जनता जाये तो जाये कैन्नै ?(ग्यारहवीं कड़ी)

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अन्ना यादव ,राजनीतिक विश्लेषक @ कोसी टाइम्स.

अब सबकी की धड़कनें बड़ी जोर जोर से धक धक कर रही हैं.नेताओं की नसें फड़फड़ा रही है तो चमचों के चेहरों की चमक कभी भुक भुक तो कभी झक झक कर टिमटिमा रही है.बिहार विधानसभा चुनाव ने बरसों से सुस्त पड़े कोसी के कई राजनीतिक सुरमाओं को जैसे सक्रियता का संजीवनी चूरण सुंघा दिया है.पिछले सात दिनों में कोसी की राजनीतिक फिजां में कई रंग घुल गये हैं.पल पल बदल रही बिहार व कोसी की राजनीति पर पूरे देश की नजर है. कोसी टाइम्स में पल पल की राजनीतिक सामाजिक अपडेट को अपलोड करने की हरसंभव कोशिश की जा रही है.कोसी क्षेत्र की राजनीति पर आधारित इस खास चुनावी पेशकश के लिए कोसी टाइम्स के सुधी पाठकों की राय हमें दिन रात मिल रही है.हम कोसी टाइम्स के माध्यम से उन तमाम पाठकों का तहेदिल से शुक्रिया अदा करते हैं,जिन्होंने ‘पप्पू जी ऊन्नै,मैडम ईन्नै…जनता जाये तो जाये कैन्नै’ कॉलम के बारे में समय समय पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर हमारा मार्गदर्शन किया है.

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इस बार की बिहार विधानसभा चुनाव ने छोटे-बड़े नेताओं के साथ साथ राजनीतिक सर्वे के बड़े बड़े सूरमाओं के दिमाग का भी दही कर दिया है.सब कुछ गड्डमड्ड है,कुछ भी शीशे की तरह एकदम साफ-सुथड़ा नही है.जैसे पोखर के पानी की सतह चमकीली व पारदर्शी दिखती है.लेक़िन अंदर उतरने पर धुंधलापन बढ़ने लगता है वैसे ही इसबार मीडिया(खासकर सोशल मीडिया) के मंच पर परिवर्तन की बयार पूरे बिहार में बह रही है.लेकिन जमीनी हकीकत इससे हटकर है.बिहार चुनाव के बारे में सटीक टिप्पणी करना आम या खास किसी के बस की बात नहीं है.बरसों से किसी खास विचारधारा को ओढ़ रहा नेता अचानक से दूसरी विचारधारा में रंगकर धाराप्रवाह बोलने लगता है.वोटर भी पहले की तरह खुलकर बोल नहीं रहे है.लालू का खांटी सपोर्टर समझा जानेवाला फलना कहता है कि फूल का हवा है तो भगवा खेमे का माना जानेवाला चिलना कहता है कि लगता है महागठबंधनै जीतेगा ? इससे सब सर्वे करैवाला सब भी बहुतै कनफ्यूजिया गया है !बड़ी दिक्कत है कि लालू को जातिवादी बतानेवाली बीजेपी भी जब तब कहती है कि एनडीए की तरफ से सीएम कोई यादव ही बनेगा.इसी से सब गड्डमड्ड हो गया है.पता ही नहीं चल रहा है कि कौन विकासवाद की बात कर रहा है और कौन जातिवाद का जहर घोल रहा है ?

अब कोसी की कछार की तरफ चलते हैं.कोसी की राजनीतिक सतह पर ऊथल पुथल शुरू हो गयी है.कोसी में महागठबंधन के सारे तीरवीर व लालटेनलाल का नाम पहले से ही सबको पता है.एनडीए के सूरमा भी फूल,टेलीफोन,पंखा लेकर झोपड़ी से निकलकर लगभग लगभग सामने आ गए हैं.तीसरे मोर्चे खासकर सांसद पप्पू यादव की जापलो के दावेदार भी धीरे धीरे हॉकी स्टिक लेकर मैदान में उतर रहे हैं.लेकिन पप्पू की पत्नी यानि सुपौल की कॉंग्रेस सांसद रंजीता अपनी पार्टी से नाराज हो गयी हैं.इस नाराजगी की बाजिव वजह भी है,आखिर अपने संसदीय क्षेत्र में ही उन्हें राजनीतिक रूप से अपंग कर दिया गया है.वैसे तो पूरे कोसी प्रमंडल में ही कॉंग्रेस को 13 में से एक भी विधानसभा सीट पर ‘हाथ’ हिलाने का मौका नहीं दिया गया है पर सुपौल में कम से कम दो नहीं तो एक सीट तो कॉंग्रेस के हिस्से में बनती ही थी.लेकिन महागठबंधन की राजनीतिक मजबूरी में रंजीता का दम बूरी तरह से घोंट दिया गया है.इसका एक कारण पप्पू यादव की अतिसक्रियता व उनकी लालू यादव के साथ साथ बिहार के हैविवेट मंत्री विजेंद्र यादव से राजनीतिक अदावत भी है.रंजीता को सुपौल से आउट करने के लिए पप्पू से खार खाये विजेंद्र ने अभी से गोटी फिट करने शुरू कर दिये हैं.अगर हालात ऐसे ही रहे तो इसमें कोई शक नहीं कि रंजीता भी कॉंग्रेस के हाथ को छोड़कर पति पप्पू के हॉकी स्टिक को थाम लेगी.लेकिन यह बहुत कुछ इस पर निर्भर करता है कि अगले लोकसभा चुनाव(2019) तक पप्पू की राजनीतिक हैसियत कैसी और कितनी रह जाती है ?….अब अगले रविवार पढ़िए इस खास चुनावी पेशकश की अगली कड़ी)

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