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पप्पू जी ऊन्नै ,मैडम ईन्नै….जनता जाये तो जाये कैन्नै ? (आठवीं कड़ी)

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अन्ना यादव यादव ,राजनीतिक विश्लेषक @ कोसी टाइम्स.

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कोसी की राजनीति का धूसर रंग अब धीरे धीरे साफ होकर चटख होने लगा है.भाजपा ने कोसी के कई विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है.जाप के बाप ..मतलब संरक्षक पप्पू यादव के बारे में हमारा पूर्वानुमान सटीक रहा है.हमने पहले ही कहा था कि पप्पू भाजपा में अपनी दाल नहीं गलने के बाद अपने लिए मुलायम की साईकिल को सबसे ज्यादा मुफीद मानेंगे और अंतत: वही हुआ भी कि पप्पू ने सबसे आखिर में तीसरे मोर्चे का बैनर ही चुना.कोसी की राजनीति में फिलहाल पप्पू व रंजीता के साथ साथ जेल में बेल की बाट जोह रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन व लवली आनंद के भी राजनीतिक भविष्य का फैसला जुड़ा हुआ है.फिलवक्त पप्पू-रंजीता के सितारे बुलंदी पर हैं जबकि आनंद मोहन-लवली के सितारे गर्दिश से बाहर आ नहीं पा रहे हैं.भाजपा की राज नीति से लवली की नैया फिर से मंझधार में फंसती हुयी नजर आ रही है !

तीसरे मोर्चे के तहत सीटों के बंदरबांट में एक बड़ा हिस्सा पप्पू के हिस्से में आया है.पप्पू की जाप को 64 विधानसभा सीटों पर हॉकी चलाने का अवसर मिला है.अगर पप्पू एनडीए के साथ होते तो शायद उनके हिस्से दहाई सीटें भी न आती पर जितनी भी आती उसका एक अलग राजनीतिक महत्व होता.यह सच है कि तीसरे मोर्चे में पप्पू की हैसियत दूसरे नंबर की है पर अब पप्पू को अपनी साख साबित करने के लिए जो राजनीतिक उठा पठक करनी है वह लगभग लगभग अपने दम पर ही करनी है.कम से कम कोसी व सीमांचल के ईलाकों में तो पप्पू के लिए ऐसी ही स्थिति रहेगी.हां तारिक अनवर की मदद थोड़ी बहुत राजनीतिक ऑक्सीजन का काम कर सकती है,पर यह भी वेंटिलेटर पर काम आने बराबर ही होगा.अगर पप्पू बीजेपी के साथ होते तो शायद उन्हें अपनी साख बचाने/साबित करने के लिए कम दम लगाना पड़ता,लेकिन तब सीट भी उनके हिस्से कम ही आती ! अब अगले रविवार पढ़िए इस खास चुनावी पेशकश की अगली कड़ी

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