संजय सुमन,कोसी टाइम्स @ चौसा,मधेपुरा.
‘कहां तो रौशनी मयस्सर थी हर घर के लिए
और यहां रौशनी मयस्सर नहीं शहर के लिए’
सुशासन सरकार के मुखिया नीतीश कुमार ने दूसरी बार सत्ता संभालते ही वादा किया था कि 2014 तक बिहार के गांव-गांव में बिजली नहीं पहुंचा तो वोट मांगने नहीं आएंगे. पर आज भी चौसा प्रखंड के दर्जनों गाँवों तक बिजली नहीं पहुंची है. 2014 तो कब का जा चुका है और अब तो 2015 भी जाने को है. लेकिन अब नीतिश कुमार का वादा टूटता हुआ नजर आ रहा है.विधानसभा चुनाव के बहाने ‘बिहार में बहार होने’ का ढ़ोल हर गली मुहल्ले में बजने लगा है,पर हकीकत इससे परे है.
बिहार विधानसभा का चुनाव अब जैसे जैसे नजदीक आ रहा है ,वैसे वैसे स्थानीय नेताओं की सांसें फूल रही है.चौसा के चिरौरी पंचायत के चिरौरी, भवनपुरा बासा के लोगों में सरकार के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा है. आज सैंकड़ों ग्रामीणों ने आखिर यह आह्वान कर दिया कि इस बार यदि बिजली और सड़क नहीं मिला तो वोट नहीं डालने जायेंगे.ग्रामीणों के इस आक्रोश से लोकल नेताओं के साथ साथ उनके आकाओं के भी पसीने छूट रहे हैं कि कहीं यह हठ(आंदोलन)पूरे चौसा से निकलकर पूरे कोसी की चौहद्दी में न फैल जाये.
ग्रामीणों में क्यों है इतना आक्रोश?: ग्रामीण हरिदेव प्रसाद , सरोज कुमार,विपीन मंडल,जगलाल यादव मंडल आदि ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2007 से 53 ग्रामीणों ने बिजली कनेक्शन के लिए रूपये जमा किये और 2009 में हम लोगों को बिजली कनेक्शन का रसीद भी दिया गया. उम्मीद की रोशनी दिखाई दी कि अब हमारे घर में बिजली आएगी, पर 6 वर्षों के बीत जाने के बाद भी आज तक सरकार के द्वारा रौशनी नहीं पहुंचाई गई.
ग्रामीणों का गुस्सा सिर्फ़ यही नहीं है,गांव को शहर से जोड़नेवाली सड़क की ख़स्ता हालत भी एक कारण है.एक ग्रामीण कहते हैं कि “सुशासन की बिजली न हो तो लालू की लालटेन से भी काम चल सकता है.पर सड़क न हो तो जीवन नरक जैसा बुझाता है.सड़क पोरी तरह जर्जर हो चुका है. इस सड़क से भागलपुर, पुर्णियां, कटिहार आदि दर्जनों गाड़ी गुजरती है पर सड़क का हाल इतना बुरा है कि पता ही नहीं चलता है कि सड़क में गड्ढा है या गड्ढे में सड़क. ग्रामीणों ने कहा कि यहाँ के विधायक और बिहार सरकार के मंत्री नरेंद्र नारायण यादव सिर्फ भाषण में कहते हैं कि यह सड़क पास हो चुका है, जल्द ही कम चालू हो जायेगा.”
हाल बुरा सिर्फ़ चिरौरी का ही नहीं है,बल्कि चौसा प्रखंड के अन्य कई गांवों का भी कमोबेश यही हाल है.रौशनी रानी की आश में लोग आठ साल पहले ही बिजली विभाग के उपभोक्ता तो बन गए हैं पर इन गांवों में बिजली के तार के दीदार भी अब तक लोगों को नहीं हो पायें हैं.
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