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बिक रही है कोसी की बेटियां…कब तक सिंकेगी राजनीतिक रोटियां ?

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संजीव हंस/सौरभ कुमार
कोसी टाइम्स @ सहरसा/मधेपुरा.
सहरसा की बदनाम गली (रेड लाइट एरिया) से भाग निकलने में सफल रही सलीमा (काल्पनिक नाम) इस दलदल में फंसी अपनी आठ वर्षीय बेटी को भी पुलिस और चाइल्ड लाइन के सहयोग से रेड लाइट एरिया से मुक्त कराने में सफल रही.सलीमा कोसी इलाके में वर्ष 2008 में आए कुसहा त्रासदी की बाढ़ के बाद रेड लाइट एरिया में एक दलाल के चंगुल में पड़कर बिक गयी थी. वह तो संयोग था कि वह वहां से भाग निकलने में कामयाब रही.लेकिन हर किसी की किस्मत सलीमा की तरह नहीं रहती है.

आज भी कि सलीमा जैसी कई लड़कियां व महिलाएं इस नर्क में जिल्लत भरी जिंदगी जी रही है. ऐसी कई लड़कियां हैं जो यहां बिक चुकी है. इन लड़कियों को खरीदने व बेचने के लिए बिहार से लेकर बंगाल व यूपी तक रैकेट काम करता है और इन खरीदी गयी लड़कियों को देह व्यापार के दलदल में ढ़केल दिया जाता है.

पहले भी हुयी है लड़कियों की बरामदगी :पटना रेलवे स्टेशन पर अप्रैल 2013 में अपने को पुलिस जवान बताने वाले संजय वर्मा ने उत्तर प्रदेश की 17 वर्षीय वहीदा (काल्पनिक नाम) को भरोसे में लेकर पहले तो उसका यौन शोषण किया और फिर उसे सहरसा के रेड लाइट एरिया में बेच दिया था. पुलिस को सूचना मिली और वहीदा को बरामद कर लिया गया. इसी तरह 15 वर्षीय मोनिया (काल्पनिक नाम) को भी सुरेश नामक एक युवक ने मीठी बातों में फंसा कर रेड लाइट एरिया में बेच दिया था. तब इस मामले में दस लोगों की गिरफ्तारी हुई थी. जिसमें सात महिलाएं शामिल थी. इन लोगों पर देह व्यापार कराने व वेश्यावृति के लिए लड़कियों का खरीद फरोख्त कराने का आरोप लगा था.

मधेपुरा जिले के कुमारखंड प्रखंड के श्रीनगर थाना अन्तर्गत मंगरवाड़ा पंचायत से तीन किशोरियों के साथ एक मानव तस्कर को 16 मई को पुलिस ने गिरफ्तार किया गया था. वह इन किशोरियों को कोलकाता में बेचने के लिए ले जा रहा था.मधेपुरा के उदाकिशुनगंज के एक युवती से शादी कर कोलकाता ले जाकर बेच दी लड़की की अबतक बरामदगी नहीं हो पाई है.आलमनगर से छह माह पूर्व एक युवती को नौकरी दिलाने के बहाने मानव तस्कर ले गए. लड़की का आजतक पता नहीं चल पाया है.सहरसा पुलिस ने मई में ही तत्परता दिखाते हुए लड़कियों को बेचने ले जा रहे एक गिरोह को पकड़ा था.

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कैसे काम करता है गिरोह :कोसी के साथ साथ सीमांचल की बेटियां भी बिक रही है.इन क्षेत्रों में सक्रिय मानव तस्कर गिरोहों के तार कोलकता से जुड़े हैं.मई में कुमारखंड की तीन किशोरियों के साथ पुलिस के हत्थे चढ़े युवक ने कई सनसनीखेज खुलासे किये थे. वह तीनों किशोरियों को बेचने के लिए कोलकाता ले जा रहा था. कोलकाता में एक से डेढ़ लाख में लड़कियों का सौदा होता है. उसके बाद लड़कियों को देह व्यापार में लगा दिया जाता है.दलाल गांवों में लड़कियों के पिता को अच्छी नौकरी दिलाने सहित कई तरह के सब्जबाग दिखाते हैं. जरूरत पड़ने पर नकली दूल्हे का इंतजाम कर लड़की की शादी भी करा दी जाती है. उसके बाद लड़कियों को ले जाकर रेड लाइट एरिया में बेच दिया जाता है.

गरीबी बन रही है मजबूरी :दलालों का गिरोह गरीबी के कारण परेशान लोगों को सब्ज बाग दिखाकर इस तरह के काम को अंजाम देते हैं. लेकिन लड़की से शादी कर दूल्हा गायब हो जाता है. नौकरी का झांसा देकर लड़की को साथ ले जानेवाला दलाल लड़की को देह के धंधे में धकेलकर फरार हो जाता है.

2013 के शुरूआत में भी सहरसा के पूर्व एसडीपीओ राजकुमार यादव के नेतृत्व में रेड लाइट एरिया में छापामारी कर आठ लड़कियों को बरामद किया गया था. जबकि नवहट्टा थाना क्षेत्र से की दो लड़की को बंगाल के पंजीपाड़ा रेड लाइट एरिया से बरामद किया गया था. दोनों लड़की ने पुलिस को बताया था कि उसे बीस हजार रुपया में पहले सहरसा के रेड लाइट एरिया में बेचा गया था, फिर उसे दोबारा बंगाल के रेड लाइट एरिया में बेच दिया गया. लड़कियों के बयान पर सहरसा के रेड लाइट एरिया से एक देह व्यापार कराने वाली महिला को पुलिस ने गिरफ्तार किया था.

हर वर्ष बिकती है कोसी की बेटियां :एक गैर सरकारी संस्था के सर्वे की माने तो इस इलाके से शादी के नाम पर प्रत्येक वर्ष करीब 150 लड़कियों को बेचा जाता है. ऐसी लड़कियों में दस फीसद को छोड़ कोई भी लड़की दुबारा अपने घर नहीं लौटती है. यही नहीं कुसहा त्रासदी में भी इस इलाके से दर्जनों लड़की व महिला गायब हुई थी. जिसमें से अधिकांश अब भी घर नहीं लौटी है.

सहरसा की एक सामाजिक संस्था मंडन भारती जागृति समाज से जुड़ी लाजवंती झा इस मसले पर कहती हैं कि ‘कोसी के इलाके से फरजी शादी के नाम पर लड़की को ले जाकर देह व्यापार कराने का मामला पूर्व में भी प्रकाश में आ चुका है और यह आज भी जारी है.अनपढ़ तो अनपढ़, पढ़ी-लिखी लड़कियां भी बहकावे में आ जाती है. अशिक्षा व गरीबी भी इसके लिए जिम्मेवार है. ऐसे मामलों में अभिभावकों व लड़कियों को जागरूक करने की जरूरत है.’आगे वे कहती हैं कि ‘पुलिस के संज्ञान में ऐसे मामले आते हैं तो त्वरित कार्रवाई की जाती है. लोग भी सतर्कता बरतें. दलालों द्वारा सब्ज-बाग दिखाया जाए तो अविलंब पुलिस को सूचना दें.’

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