संजीव हंस
कोसी टाइम्स @ सहरसा.
अपने दो वर्ष की मासूम बेटी को गोद में लिए सलिमा (काल्पनिक नाम) अपनी मां के साथ पिछले दो दिनों से थाने का चक्कर लगा रही है. कभी सदर तो कभी महिला थाना. पुलिस अधिकारियों से अपनी आठ साल की बेटी को बचाने की गुहार लगा रही है.उसका कहना है कि उसकी बेटी सहरसा के रेड लाइट एरिया में दरिंदो के चंगुल में है. सलिमा ने इसकी शिकायत महिला थाने में भी की है.
सलिमा सुबकते हुए कहती है कि वह सुपौल जिले की रहने वाली है. वर्ष 2008 में कुसहा त्रासदी के कारण अपने परिवार के साथ दरभंगा जाने के लिए सहरसा स्टेशन आई थी. ट्रेन खुल रही थी.परिवार के अन्य सदस्य ट्रेन में सवार हो गए, परंतु उसकी गोद में डेढ़ साल की बच्ची रहने के कारण वह ट्रेन में सवार नहीं हो सकी. इसी दौरान एक व्यक्ति आया और नाम-पता पूछकर दरभंगा पहुंचाने की बात कही.उसपर भरोसा कर उसके साथ रिक्शा से गई.वहां जाने पर उसने कहा कि सुबह दरभंगा पहुंचा देंगे, अभी यहीं रहो. सुबह जगी और घर जाने की बात कही, तभी कुछ लोग आए और कहा कि एक लाख रुपये में तुम्हें खरीदा है. यह सहरसा का रेड लाइट एरिया है और यहीं रहकर देह का धंधा करना होगा. विरोध करने पर मारपीट की गई.सलिमा ने बताया कि वहां खाना नहीं दिया जाता था. बाद में शारीरिक यातना सहकर देह व्यापार करने लगी, लेकिन इससे होने वाली कमाई भी उसे नहीं दी जाती थी. इसी दौरान वह गर्भवती हो गई. रेड लाइट एरिया में ही एक बच्ची हुई.उसने बताया कि जुलाई 2014 में मौका पाकर वह अपनी छोटी बच्ची के साथ वहां से भागकर मायके आ गई. परंतु बड़ी बेटी जो अब लगभग आठ वर्ष की हो गई है, उसे छुड़ाने की कोशिश करती रही.
महिला थाने में सलिमा के साथ मौजूद उसकी वृद्ध मां ने बताया कि बेटी रेलवे स्टेशन पर कुसहा बाढ़ के दौरान छूट गई थी. बाढ़ खत्म होने के बाद कई बार उसे ढूंढने सहरसा आई, परंतु वह नहीं मिली. एक साल पूर्व खुद उसकी बेटी घर आई और सारी कहानी बताई. अब उनकी बुढ़ी आंखों में अपने नतिनी की चिंता है.
वहीं दूसरी तरफ सहरसा महिला थानाध्यक्ष आरती सिंह ने इस मामले के बारे बताया कि महिला ने मौखिक जानकारी दी है कि उसकी आठ वर्षीय पुत्री रेड लाइट एरिया में है.लिखित आवेदन नहीं मिला है. आवेदन मिलने पर वरीय अधिकारी के निर्देश पर उचित कार्रवाई की जाएगी.
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