विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर चौसा के विभिन्न विद्यालयों में वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन
*युवा समाजसेवी सह साहित्यकार संजय कुमार सुमन ने कहा-प्राकृतिक के बिना मनुष्य का जीवन संभव नहीं *प्रभारी प्रधानाध्यापिका मंजू कुमारी ने कहा कि मानव जीवन का मूलाधार है पर्यावरण
चौसा, मधेपुरा/विश्व पर्यावरण दिवस के शुभअवसर पर आज रविवार को आवासीय प्रगति पब्लिक स्कूल चौसा परिसर में वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मौके पर एक दर्जन से अधिक फूलों के वृक्ष लगाएं गए।
मौके पर उपस्थित युवा समाजसेवी सह साहित्यकार संजय कुमार सुमन ने कहा कि पृथ्वी को बचाने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे तभी यह धरती बच सकेगी। कोरोना जैसी महामारी ने हमें एक मौका दिया है कि हम आप पर्यावरण के प्रति सचेत हो तथा उसके महत्व को समझें।उन्होंने कहा कि प्राकृतिक के बिना मनुष्य का जीवन संभव नहीं है। बीते कई सालों में से हम देखते ,सुनते , पढ़ते आ रहे हैं कि विश्व में पर्यावरण प्रदूषण की समस्या विकराल होती जा रही है। इंसान ने अपनी सुविधायो के लिए संसाधनों का निर्माण किया जिससे पर्यावरण पर बुरा असर हुआ।हम सबको मिलकर पर्यावरण संरक्षण की शपथ लेने की जरूरत है।
विद्यालय के प्राचार्य अमित आनंद ने विश्व पर्यावरण दिवस पर विस्तृत रूप से चर्चा करते हुए कहा कि पहली बार 1973 में आज के दिन अर्थात 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया था, इसके बाद इसे हर साल मनाया जाने लगा।पर्यावरण में प्रदूषण की समस्या पर 1972 में स्वीडन में विश्व के तमाम देशों की पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया गया था ।इस में निर्णय लिया गया कि प्रतिवर्ष 5 जून पर्यावरण दिवस आयोजित कर विश्व के लोगों पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना ,मनुष्य भी तो पर्यावरण और पृथ्वी का हिस्सा ही है।
इस मौके पर शिक्षक चांद गुप्ता, प्रेम कुमार, पूजा कुमारी, सीमा कुमारी, आशीष कुमार, राजकिशोर कुमार, दिलशाना खातून,कुंदन कुमार,आर्यन कुमार उपस्थित थे।
वहीं दूसरी ओर चौसा प्रखंड मुख्यालय स्थित महादेव लाल मध्य विद्यालय,चौसा में अनुमंडल पदाधिकारी ,उदाकिशुनगंज के आदेशानुसार विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर विद्यालय में वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
प्रभारी प्रधानाध्यापिका मंजू कुमारी ने कहा कि मानव जीवन का मूलाधार पर्यावरण है।मानव निर्मित कारणों से पर्यावरण लगातार दूषित हो रहा है जिससे ग्लोबल वार्मिंग तेजी से बढ़ रहा। इस समस्या से निपटने के लिए हमें अपने जीवनकाल में कम से एक पेड़ तैयार करना होगा। उन्होंने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण को रोका नहीं गया तो पृथ्वी पर जीवन संकट पैदा हो जाएगा।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वरीय शिक्षक यहिया सिद्दीकी ने कहा कि विकास के साथ-साथ विनास की प्रक्रिया भी चलती रहती है।लिहाजा हमें पर्यावरण व पारिस्थितिकीय संतुलन के अधिकाधिक वृक्ष लगाना होगा। सत्यप्रकाश भारती ने कहा कि वर्ष 1973 से संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी लेकिन अब तक लक्ष्य हासिल नहीं हो सका है।
मौके पर शिक्षक भालचंद्र मंडल,शिक्षिका रीणा कुमारी , जनक ऋषिदेव,कला देवी,अरूणा देवी ,पूनम देवी ,अमजद आलम,साहिल आलम,शाहनवाज के अलावा अन्य व्यक्तिगण उपस्थित थे।
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