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तिरहुत शोध एवं विकास प्रतिष्ठान ने वैशाली के तत्वावधान में शतरंज महाकुंभ का आगाज़

ऐसे आयोजनों के लिए मेरा सहयोग हमेशा बना रहेगा-प्रोफेसर संजय कुमार सिंह

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कोसी टाइम्स प्रतिनिधि@वैशाली

महामारी से त्रस्त देशवासियों के लिए बहुत ही सुनहरा अवसर लेकर तिरहुत शोध एवं विकास प्रतिष्ठान, भारत, वैशाली के तत्वावधान में आज से शतरंज महाकुंभ का आगाज़ किया गया। स्वामी विवेकानंद जी के जन्मदिन महोत्सव को लेकर अहान न्यूज़ के माध्यम से अपने कार्यालय में शतरंज महासंग्राम का प्रारंभ किया गया। तिरहुत शोध एवं विकास प्रतिष्ठान के संस्थापक पायल सिंह ने बताया कि यह हमारे लिए गौरव का विषय है कि अपने वैशाली जिले से शतरंज के रूप में लोगों की प्रतिभाओं को उभारने का हमें अवसर मिला है। इसीलिए अहान न्यूज़ के माध्यम से उनके कार्यालय में ही जोकि दिग्घी हाजीपुर में स्थित है आज वहां प्रारंभ किया गया। जिसमें आज मैच के समापन तक कुल 2 राउंड में मोहम्मद सुल्तान आशुतोष शुक्ला एवं रश्मि प्रिया 2-2 अंक लेकर शीश पर हैं। वही इस खेल का रोमांच लगातार बढ़ता जा रहा है। जबकि उज्जवल राज डेढ़ अंक के साथ दूसरे स्थान पर हैं। सुबोध कुमार, शारीब फारुकी, शिशिर कुमार बाबा, शशांक शर्मा, निखिल कुमार एवं संजीव कुमार एक-एक अंक के साथ तीसरे स्थान पर है। वहीं आशीष राज आधा अंक लेकर चौथे स्थान पर है। आसिफ रोहित कुमार एवं रितेश कुमार का भी अब तक खाता नहीं खुल पाया है।

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आज वह इस टूर्नामेंट का उद्घाटन तेलुगु शोध एवं विकास प्रतिष्ठान के बैनर तले अहान न्यूज़ के प्रधान कार्यालय दिघी हाजीपुर में हुआ। अहान न्यूज़ के प्रधान संपादक मनीष कुमार सिंह ने बताया कि स्वामी विवेकानंद जी के जयंती के उपलक्ष में एक कार्यक्रम का आयोजन कर निर्णय लिया गया था। लेकिन कुछ समय पहले ही शिशिर कुमार बाबा का कार्यालय में आगमन हुआ और उनके सुझाव के साथ ही शतरंज प्रतियोगिता के नींव रखी गई थी। शतरंज प्रतियोगिता एक उत्साहवर्धक एवं मानसिक चेतना के प्रबुद्धता से ही संचालित होता है इसीलिए इस कार्यक्रम का आयोजन अपने समाचार चैनल के कार्यालय में कर समाज को एक सामूहिक संदेश देने के लिए किया गया। इस अवसर पर तिरहुत शोध एवं विकास प्रतिष्ठान के संरक्षक, बिहार श्री राजकिशोर चौधरी ने कहा कि शतरंज एक महज़ खेल नहीं है, बल्कि शतरंज एक मानसिक व्यायाम भी है। उन्होंने बताया कि शतरंज को आज ऐसे दिन में हम लोग शुरू किए हैं। जब भारतीय राजनीति एवं संस्कृति सहित हिंदू संस्कृति के सबसे बड़े धरोहर स्वामी विवेकानंद जी का जन्मदिन है। यह बात स्वयं में स्पष्ट हो जाता है कि स्वामी विवेकानंद जी का व्यक्तित्व शतरंज के मोहरों की तरह सकारात्मक और राष्ट्रवादी था। जिसका परिणाम है कि आज भी हम हिंदू संस्कृति में सबसे बड़े धरोहर के रूप में स्वामी विवेकानंद जी को हमेशा आदर्श मानते हैं।

आज के कार्यक्रम का उद्घाटन प्रोफेसर संजय कुमार सिंह के साथ उनके स्नेह और सहयोग से हुआ। प्रोफेसर संजय कुमार सिंह ने उद्घाटन के समय से पहले पहुंच कर सभी खिलाड़ियों से मिलकर उन्हें प्रोत्साहित किया और उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजनों के लिए मेरा सहयोग हमेशा बना रहेगा। यह बड़ा गौरव का समय है जब हम लोग महामारी के बाद एक सामाजिक और मानसिक चेतना को जगाने का प्रयास कर रहे हैं। यह खेल सिर्फ खेलना रहा कर हमारे समाज के बच्चों के लिए अभिभावकों के लिए एक प्रेरणास्रोत बने। हम सभी चाहते हैं कि आने वाले समय में और भी बहुत ही बेहतरीन तरीके से ऐसे खेलों का आयोजन हो, जिससे हमारे बच्चों का मानसिक एवं सामाजिक विकास हो सके। प्रोफ़ेसर संजय कुमार सिंह निरसू नारायण कॉलेज के प्रमुख स्तंभ के रूप में कार्यरत हैं। वैशाली जिले के प्रमुख व्यवसाई को मैं भी अपनी एक जगह रहते हैं। सामाजिक एवं राजनीतिक चेतना के साथ समाज की मजबूती एवं मानसिक चेतना को उभारने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।


वही विधिवत शतरंज प्रतियोगिता का उद्घाटन दीप प्रज्जवलित कर श्री प्रभात कुमार सिंह जो एक समाजसेवी है एवं राजनीतिक तौर पर अपने स्वाभिमान के साथ जुड़े हुए हैं। दीप प्रज्जवलित करते समय श्री राजकिशोर चौधरी, शिशिर कुमार बाबा के साथ ही साथ पूरी टीम मौजूद रहीं। श्री प्रभात कुमार सिंह ने बताया की खेलों का महत्व अब लौट रहा है और बहुत जरूरी है कि हम सभी लोग मिलकर समाज को एक नया दिशा दें, ताकि महामारी के बीच अपने जीवन शैली को सामान्य रूप दे सकें। राजनीति से लेकर समाज के हर तबके में शतरंज के मोहरे अपना एक महत्वपूर्ण स्थान बना चुकी है। हर उस पहलू पर लोग अब तैयार होते हैं जहां पर उनकी राजनीति चल पड़े उस मोहरे को बगैर सोचे समझे लोग चल रहे हैं। इसलिए आवश्यक है कि हम सभी लोग मिलकर एक नए सामाजिक और राजनीतिक सोच को जन्म देने का प्रयास करें। श्री प्रभात कुमार सिंह ने बताया यह हमारा अनुभव है इस समय जब पूरी दुनिया परेशानियों में है फिर भी राजनीति ने अपना एक महत्वपूर्ण जगह बना कर रखा हुआ है मानवता से ओतप्रोत हमारी सरकारें आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। वैसे समय में इस प्रकार का आयोजन हमारे समाज के लिए मानसिक चेतना और उसकी मजबूती में बहुत ही सहायक भूमिका निभाने वाला होगा।

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