संजय सुमन/संजीव हंस
न्यूज़ डेस्क @ कोसी टाइम्स.
शिक्षक दिवस से एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बच्चों के साथ मन की बात के संबोधन को कोसी में भी स्कूली बच्चों ने सुना.स्कूलों में बच्चे को मन की बात सुनाने के लिये सीधा प्रसारण किया गया था.सहरसा के प्रॉजेक्ट कन्या उच्च विद्यालय सिमरीबख्तियारपुर में प्रधानमंत्री के संबोधन का सीधा प्रशारण किया गया था. बच्चों ने बड़े ध्यान से प्रधानमंत्री की बात सुनी. इस मौके पर बालमुकंद साह, जिवेश, सिद्धार्थ, उमेश, राजीव, विकास, दीपक आदि ने बताया कि प्रधानमंत्री ने गुरू व शिष्य के विष्य में जो बातें कही वो काफी महत्वपूर्ण थी. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने शिक्षक की भूमिका का जो जिक्र किया है वो जीवन में उतारने लायक है. भविष्य में यदि उन्हें मौका मिला तो वो शिक्षक बनकर समाज में अपना योगदान देंगे. इस अवसर पर विद्यालय में सारे लड़के-लड़कियां मौजूद थीं.
वही सुपौल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का बच्चों के नाम सीधा प्रसारण बच्चों के लिए प्रेरणादायक बन गया. जिले के सरकारी, गैर सरकारी विद्यालयों में जहां टेलिविजन की सुविधा उपलब्ध थी वहां टेलिविजन पर और जहां यह सुविधा उपलब्ध नहीं थी वहां बच्चों को रेडियो पर ही प्रधानमंत्री का संदेश सुनाया गया. स्कूली बच्चों द्वारा प्रधानमंत्री से किये गए सवाल जवाब पर बच्चे काफी प्रोत्साहित हुए. कुछ ऐसे सवाल बच्चों द्वारा किये गये जो सवाल कोसी के बच्चों के मन में भी कौंध रहा था.
बच्चों के प्रधानमंत्री से सीधा सवाल ने उनके मनोबल को बढ़ाया है.प्रधानमंत्री के इस विचार को बच्चों ने खूब सराहा कि दुर्भाग्य है कि मां-बाप जो खुद नहीं बन पाए उसके लिए बच्चों पर दबाव डालते हैं. इसके लिए मैंने एक बदलाव का प्रस्ताव दिया है. कैरक्टर सर्किफिकेट की जगह ऐटिट्यूट सर्टिफिकेट दिया जाना चाहिए जो दोस्तों से भरवाया जाए.
बच्चों का सवाल कि देश के कई हिस्सों में बिजली नहीं है, ऐसे में डिजिटल इंडिया कैंपेन कैसे पूरा होगा ? के जवाब में मोदी ने कहा कि देश में अठारह हजार गावों में बिजली नहीं है. अगले एक हजार दिनों में बिजली पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. बिजली नहीं है तो डिजिटल एक्टिविटी रुकती नहीं है. हम सब इससे अछूते नहीं रह सकते. अगर हमें सामान्य लोगों को उसका हक पहुंचाना है तो डिजिटल इंडिया की जरूरत होगी. यह सामान्य लोगों को सशक्त करने का मिशन है. 2022 तक घरों में 24 घटे बिजली होनी चाहिए.
मधेपुरा के चौसा में स्कूली छात्रों ने बताया कि पीएम का यह संदेश कि जीवन एक व्यक्ति के कारण नहीं बनता काफी प्रभावी रहा. उन्होंने कहा कि रिसेप्टिव माइंड के हैं तो एक निरंतर प्रभाव चलता है. रेल के डिब्बे में भी कुछ सीखने को मिल जाता है. मेरा स्वभाव छोटी उम्र से जिज्ञासु रहा. मुझे टीचरों से लगाव था. मेरे परिवार में माता का भी देखभाल रहता था. गाव में मेरी लाइब्रेरी थी. मैं वहा स्वामी विवेकानंद को बढ़ता था. उन्हीं किताबों ने मेरे जीवन पर प्रभाव पड़ा है. कोसी के छात्रों ने कहा कि शिक्षकों के जिस आदर्श को प्रधानमंत्री ने अपने शब्दों में उकेरा यह काफी प्रशंसनीय व अनुकरणीय लगा.
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