ब्राह्मी से हुआ है मिथिलाक्षर का विकास : डॉ. रामनरेश सिंह
संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत संचालित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन योजना के तहत कार्यशाला केंद्रीय पुस्तकालय, भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा में आयोजित
मधेपुरा ब्यूरो/ब्राह्मी लिपि भारत की ज्ञात लिपियों में सबसे प्राचीन है। इसी से ही देवनागरी एवं मिथिलाक्षर का उद्भव एवं विकास हुआ है। आगे मिथिलाक्षर से बांग्ला, उड़िया एवं आसामी आदि लिपियां विकसित हुईं।
यह बात सिंडिकेट सदस्य सह विश्वविद्यालय मैथिली विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रामनरेश सिंह ने कही। वे तीस दिवसीय (18 मई से 16 जून तक) उच्चस्तरीय राष्ट्रीय कार्यशाला में व्याख्यान दे रहे थे। संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत संचालित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन योजना के तहत यह कार्यशाला केंद्रीय पुस्तकालय, भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा में आयोजित हो रही है।
मैथिली भाषा की लिपि है मिथिलाक्षर
उन्होंने कहा कि मिथिलाक्षर लिपि मैथिली भाषा की लिपि है। इसे मैथिली लिपि, वैदेही लिपी, बैवर्त लिपी या तिरहुता भी कहा जाता है। इसका प्रयोग भारत के उत्तर बिहार एवं नेपाल के तराई क्षेत्र में अधिक होता है।
बौद्ध ग्रंथ में भी है मिथिलाक्षर का उल्लेख
उन्होंने बताया कि मिथिलाक्षर का प्राचीनतम उल्लेख ललित विस्तार नामक बौद्ध ग्रंथ में मिलता है। वहां इसे वैदेही लिपि कहा गया है। 1234 ई. में तिब्बती यात्री ने भी इस लिपि की चर्चा की है। दरभंगा जिला के कुशेश्वरस्थान के निकट तिलकेश्वरस्थान के शिव मन्दिर में है। इस मन्दिर की लिपि और आधुनिक तिरहुता लिपि में बहुत कम अन्तर है।
मिथिलाक्षर एवं कैथी लिपि की पांडुलिपियों के संरक्षण की जरूरत
इस अवसर पर विकास पदाधिकारी डॉ. ललन प्रसाद अद्री ने कहा कि कोसी क्षेत्र में मिथिलाक्षर एवं कैथी लिपि से संबंधित पांडुलिपियों को खोजने और उसका संरक्षण करने की जरूरत है।सिंडिकेट सदस्य कै. गौतम कुमार ने कहा कि पांडुलिपि विज्ञान एवं लिपि विज्ञान की जानकारी शोधार्थियों के लिए काफी उपयोगी है।
व्याख्यान के पूर्व विशेषज्ञ वक्ता को अंगवस्त्रम्, पुष्पगुच्छ एवं स्मृतिचिह्न से सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर आयोजन सचिव सह उप कुलसचिव (शै.) डॉ. सुधांशु शेखर, सीएम साइंस कॉलेज, मधेपुरा के संजय कुमार परमार, केंद्रीय पुस्तकालय के सिड्डु कुमार, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. सोनम सिंह (उत्तर प्रदेश), नीरज कुमार सिंह (दरभंगा), बालकृष्ण कुमार सिंह, जयप्रकाश भारती, सौरभ कुमार चौहान, ब्यूटी कुमारी, खुशबू, डेजी, लूसी कुमारी, श्वेता कुमारी, इशानी, मधु कुमारी, प्रियंका, निधि कपिलदेव यादव, अरविंद विश्वास, अमोल यादव, नताशा राज, रश्मि आदि उपस्थित थे।
रविवार को होगा क्षेत्र भ्रमण
आयोजन सचिव सह उप कुलसचिव (शै.) डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि शनिवार को मैथिली विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रंजीत कुमार सिंह, सोमवार को टी. पी. कालेज, मधेपुरा में हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. वीणा कुमारी, बुधवार को हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. उषा सिन्हा का व्याख्यान निर्धारित है। रविवार को क्षेत्र भ्रमण का कार्यक्रम निर्धारित है, जिसके तहत प्रतिभागियों को कंदाहा सूर्य मंदिर एवं मटेश्वर स्थान का भ्रमण कराया जाएगा।
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