कलिंगा इंस्टीट्यूट आॅफ सोसल साइंसेज,‘कीस’ भुवनेश्वर माॅडल अति शीघ्र बिहार में खुलेगा। यह जानकारी कीट-कीस के संस्थापक डा. अच्युत सामंत ने पटना में आयोजित एक पत्रकार सम्मेलन में दी। डा. सामंत जो भुवनेश्वर कीट-कीस के संस्थापक हैं ने पत्रकारों को यह भी बताया कि इस संबंध में वे पहले ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर कीस भुवनेश्वर की नई शाखा बिहार में खोलने का निवेदन कर चुके हैं जिसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस नई पहल को स्वीकार कर लिया हैं।
डा.सामंत के अनुसार कीस की जो नई शाखा बिहार में खुलेगी उसका नाम होगा-‘‘कीस-बिहार’’और संस्था बिहार के उपेक्षित,पिछड़े एवं आर्थिक रुप से कमजोर आदिवासी बच्चों को उत्तम तालीम उपलब्ध कराकर उनके व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करेगी एवं उनको समाज के विकास की मुख्य धारा के साथ जोड़ेगी। डा. सामंत ने यह भी बताया कि ‘कीस’ भुवनेश्वर की एक शाखा दिल्ली प्रदेश में सफलतापूर्वक कार्य कर रही है।
गौरतलब है कि ‘कीस’ कलिंग इंस्टीट्यूट आफ सोसल साइंसेज ‘कीट’ कलिंग इंस्टीट्यूट आफ इण्डस्ट्रीयल टैक्नालाजी की ही अपनी बहन जैसी शाखा है जो आज पूर्वी भारत का एक नामचीन विश्वविद्यालय बन चुका है जिसकी स्थापना 1997 में हुई थी। कीट विश्वविद्यालय एक बहुद्देशीय संकाय विश्वविद्यालय है जिसकी दृष्यता विश्वव्यापी है और जो भारत सरकार के मानवसंसाधन विकास मंत्रालय की ओर से ‘‘ए ग्रेड’’ विश्वविद्यालय की
मान्यता भी प्राप्त कर चुका है, साथ ही जिसे वाशींगटन से ‘‘टाइर 1’’ की भी मान्यता मिल चुकी है।
कीट विश्वविद्यालय एनबीए आफ एआईसीटीइ से भी मान्य है। कीट विश्वविद्यालय से संबद्ध कीम्स मेडिकल कालेज और अस्पताल भी है जहां दो हजार विस्तरवाला अति विशाल अस्पताल भी है। कीट विश्वविद्यालय प्रकष्ति के खुले वातावरण में कुल 25 वर्ग किलोमीटर
में फैला है जिसका निर्मित क्षेत्र कुल 12,000,000 वर्गफीट है। विश्वविद्यालय का अपना कुल 22 ईक्को फ्रेण्डली हरेभरे लाभकारी कैंपस हैं। कीट में कुल लगभग 10,000 शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक स्टाफ हैं। यहां पर उत्कष्श्ट कलाओं के प्रदेश कहे जानेवाले आडिशा की कला अवलोकन की भी सुविधा है।
विश्वविद्यालय अपनी उच्च शिक्षा के तहत स्नातक एवं स्नातकोत्तर की डिग्री प्रदान करता है। यहां के छात्रों की कुल संख्या 25 हजार से भी अधिक है। विश्वविद्यालय में भारत के विभिन्न प्रान्तों के साथ-साथ यूरोपीय देशों और अमरीका के भी मेधावी युवा
छात्र तालीम पाते हैंै। डा सामंत ने पत्रकारों को यह भी जानकरी दी कि उनकी संस्था कीट बिहार की जनता के प्रति कष्तज्ञ है जिसके हजारों मेधावी छात्र कीट विश्वविद्यालय में तकनीकी और पेशेवेर उच्च तालीम विश्वविद्यालय की स्थापना के आरंभ से ही पा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि कीट अपने आप में गौरव का अनुभव करता है कि वह बिहार के मैन पावर को उच्च शिक्षा उपलब्ध कराकर बढ़ा रहा है। डा सामंत ने बताया कि उनकी संस्था ‘कीस’ आज 25 हजार आदिवासी बच्चों का अपना घर बन चुका है जिसे हाल ही में
संयुक्तराश्ट्र ने विशेष परामर्शदाता संस्थान की मान्यता प्रदान कर दी है। कीस विश्व का सबसे बड़ा आदिवासी आवासीय विद्यालय बन चुका है जहां पर कुल 25 हजार से भी अधिक आदिवासी बच्चे समस्त अत्याधुनिक सुविधाओं का मुफ्त उपभोग करते हुए निःशुल्क ‘केजी’ कक्षा से लेकर ‘पीजी’ कक्षा शिक्षा प्राप्त करते हैं। साथ ही साथ वे पेशेवर शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण शिक्षा भी निःशुल्क प्राप्त करते हैं।
कीस भुवनेश्वर में ओडिशा के समस्त आदिवासी बाहुल्य जिलों के आदिवासी बच्चों सहित ओडिशा के पड़ोसी राज्य झारखण्ड और छत्तीसगढ़ के आदिवासी बच्चे भी निःशुल्क पढ़ते हैं। गौरतलब है कि हाल ही में ओलंपिक गेम: 2016 और 2020 में खेलने के लिए कीस के मेधावी खिलाड़ी का चयन हुआ है। कीस की यह असाधारण कामयाबी भारतीय समाज के अत्यंत कमजोर, पिछड़े और उपेक्षित आदिवासी बच्चों की ‘कीस माडेल’ की मिली है
डा सामंत के अनुसार उनका यह आजीवन प्रयास रहेगा कि वे अविवाहित रहकर भारत के साथ-साथ पूरे विश्व के आर्थिक रुप से कमजोर, पिछड़े और उपेक्षित बच्चों को कीस मॉडल के माध्यम से उत्कृष्ट तालीम देकर उनको मानव समाज के विकास की मुख्य धारा
के साथ जोड़ें!
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