संजीव हंस
कोसी टाइम्स @ सहरसा.
बिहार सरकार ने जब शिक्षकों का नियोजन अंकों के आधार पर किया था,तब कई लोगों ने गलत अंक पत्रों का जुगाड़ कर नौकरी पायी थी.लेकिन अब फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नियोजित होने वाले शिक्षकों का प्रमाण पत्र सत्यापन के नाम पर पसीना छूट रहा है.जिले में नियोजित सैकड़ों शिक्षको ने अंतिम तिथि बीत जाने के बाद भी अपना प्रमाण पत्र जमा नहीं कराया है.
बिहार सरकार ने शैक्षणिक एवं प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच हेतु 25 मई तक प्रमाण पत्र जमा करने की तिथि तय की थी. गरमी का अवकाश होने के बावजूद विद्यालय के प्रधानाध्यापक एवं संकुल संसाधन समन्वयक ने प्रमाण पत्र शिक्षकों से लेकर जमा करने का अभियान चलाया था.प्रमाण पत्रों की अधिकता के कारण प्रखंड स्तर पर प्रखंड संसाधन केन्द्र में काउंटर बनाए गए, जहां पंचायत व प्रखंड शिक्षकों के शैक्षणिक मैट्रिक, इंटरमीडिएट, स्नातक उत्तीर्ण का अंक पत्र, प्रमाण पत्र के साथ प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्र जमा लिया गया.
जिले में नियोजित हजारों शिक्षकों में से कई शिक्षकों ने अंतिम तिथि बीतने के बाद भी प्रमाण पत्र जमा नहीं किया है,जिससे ऐसी आशंका बलवती होती जा रही है कि कहीं ये शिक्षक फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे तो नियोजित नहीं हुए.सरकार के लिए फरजी अंकों के सहारे नियोजन हासिल करनेवालों का पता लगाना आसान नहीं होगा.
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