पटना/ बिहार में कांग्रेस वोट के साथ-साथ नोट के संकट से जूझ रही है। प्रदेश अध्यक्ष के पद पर वह ऐसे पात्र की खोज कर रही है, जो वोट के अलावा पार्टी के रोज के खर्च के लिए नोट का भी इंतजाम करे। मुश्किल यह है दोनों खूबियां एक आदमी में नहीं मिल रही हैं। वोट जुटाने का दावा करने वाले लोग नोट के मोर्चे पर हाथ खड़े कर दे रहे हैं। नतीजा: कार्यकाल पूरा होने के बावजूद प्रदेश अध्यक्ष के लिए नए आदमी की खोज पूरी नहीं हो पाई है। सही पात्र की खोज हो रही है।
जाति में बंटी राज्य की राजनीति में हरेक मजबूत पार्टी के पास एक या उससे अधिक जाति का वोट बैंक है। इस मापदंड पर कांग्रेस कभी सबसे ऊपर थी। ब्राह्म्ण, अनुसूचित जाति और मुसलमान उसके वोट बैंक के आधार थे। समय के साथ इन तीनों ने अलग-अलग दलों से संश्रय बनाया। आज की तारीख में कोई ऐसी जाति नहीं है, जिस पर कांग्रेस पूरा दावा कर सके। फिर भी उसे अपने पुराने कोर वोटरों पर भरोसा है। यही कारण है कि सवर्ण, अनुसूचित जाति या मुसलमान में से किसी को अध्यक्ष पद के उपयुक्त माना जाता है।
बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष डा. मदन मोहन झा के हालिया इस्तीफे के बाद से नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। कन्हैया कुमार, रंजीत रंजन, अखिलेश सिंह, विजय शंकर दुबे तथा राजेश कुमार सहित कई नाम चर्चा में हैं। पार्टी आलाकमान का फैसला चौंकाने वाला भी हो सकता है। इस बीच बिहार पहुंचे हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि नए अध्यक्ष की घोषणाा जल्द ही की जाएगी।
बिहार कांग्रेस अध्यक्ष डा. मदन मोहन झा के इस्तीफे के बाद अब नए अध्यक्ष की तलाश जोर पकड़ने लगी है। पार्टी के नेताओं के अनुसार आलाकमान की सोच है कि कमान ऐसे नेता को दी जाए, जो जनता की भी पसंद हो। बिहार में दलित राजनीति के दौर में कांग्रेस नेतृत्व दलित के साथ सवर्ण अध्यक्ष के लिए भी तैयार है, बशर्तें कि वह लोकप्रिय हो। सूत्रों के अनुसार पार्टी ने इसके लिए कन्हैया कुमार से संपर्क साधा है। सवर्ण नेता विजय शंकर दुबे भी दिल्ली तलब किए गए हैं। पार्टी नेतृत्व कुटुंबा के विधायक राजेश कुमार से भी संपर्क में है। चर्चा में राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह एवं पूर्व सांसद रंजीत रंजन के भी नाम हैं।
इस बाबत बिहार आए हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मीडिया के सवाल पर कहा कि बिहार में अब चुनाव और उपचुनाव का दौर समाप्त हो चुका है। अब बिहार को जल्द ही नया कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भी मिल जाएगा। कांग्रेस जल्द ही प्रदेश से प्रखंड स्तर तक अध्यक्ष तय कर लेगी। इस संबंध में आलाकमान का फैसला सर्वमान्य होगा।
जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार की भी चर्चा चल रही है। दूसरे दल से आने वाले नेता को तुरंत अध्यक्ष पद सौंप देना बिहार कांग्रेस की परिपाटी नहीं रही है। फिर भी बदलाव के दौर से गुजर रही कांग्रेस कन्हैया को प्रदेश अध्यक्ष के उपयुक्त मान रही है। कन्हैया के बारे में बताया जा रहा है कि वे बिहार के बदले देश की राजनीति में रूचि रखते हैं। विधायक विजय शंकर दुबे, प्रेमचंद्र मिश्र और किशोर कुमार झा जैसे पुराने कांग्रेसी भी दौर में हैं। विधायक राजेश कुमार का नाम एक बार फिर चर्चा में आया है। सूत्र बताते हैं कि बहुत जल्द प्रदेश अध्यक्ष का फैसला हो जाएगा।
बताया जा रहा है कि कांग्रेस सवर्ण वोटरों को साधने की कोशिश में है। ऐसे में अगड़ी जाति के नेताओं का खास ध्यान रखा जा रहा है। हालांकि, बिहार की राजनीति में पिछड़ों व दलितों का खास स्थान रहने के कारण पार्टी उन्हें भी नजरअंदाज नहीं कर सकती। ऐसे में देखने वाली बात यह भी होगी कि नया अघ्यक्ष अगड़ी जाति से होगा या पिछड़ी जाति का।
प्रदेश में कांग्रेस का स्थापना व्यय महीने का करीब छह लाख रुपये है। ढाई लाख रुपये एआइसीसी देती है। बाकी चार लाख रुपया प्रदेश अध्यक्ष को जुटाना होता है। यह जरूरी खर्च है। कर्मचारियों के वेतन, वाहनों के ईंधन, स्वागत-सत्कार और जयंती-पुण्यतिथि के आयोजन यह खर्च होता है। अध्यक्ष पद के दावेदारों से यह भी पूछा जा रहा है कि महीने के चार लाख रुपये का प्रबंध कैसे होगा। ज्यादा दावेदार इस सवाल का ठीक से जवाब नहीं दे पाते।
Comments are closed.