मधेपुरा
पूर्व आपदा प्रबंधन मंत्री सह मधेपुरा विधायक प्रो० चंद्रशेखर ने लॉक डाउन के कारण लगातार मजदूर वर्ग एवं मजदूरों के वंचित वर्ग को हो रही परेशानी पर सवाल उठाते हुए तत्काल सहायता राशि देने की मांग की। सरकार ने सहायता राशि देने की शुरुआत तो की लेकिन नियम कायदा व खाता ही इसमें बाधक बन गया है इस बाबत एक बार फिर पूर्व मंत्री ने पत्र लिखकर मुख्यमंत्री को सुझाव दिए हैं .
पत्र में कहा है कि नोबल करोना वाइरस जैसी वैश्विक महामारी से बचाव हेतु राष्ट्रीय स्तर पर किए गए लॉक डॉन के कारण बिहार के लाखों एवं मधेपुरा जिला के हजारों मजदूर आज भी देश के अन्य राज्यों में दाने-दाने को मोहताज हैं.सरकार द्वारा दी जा रही एक 1000/रुपए की सहायता राशि 75% मजदूरों को नसीब नहीं हो रही है. कारण यह है कि खाता या तो इनॉपरेटिव है या मोबाइल नंबर आधार से लिंक नहीं है.
–हेल्पलाइन पर नहीं होती है बात, परदेस में रहकर खाता खुलवाने वाले एवं बिना खाता वाले मजदूर है ज्यादा परेशान-
बहुत सारे मजदूरों को तो अपना आवेदन पंजीकृत कराने का तरीक़ा भी मालूम नहीं है सरकार द्वारा दी गई हेल्प लाइन नम्बर पर तो बात ही नहीं हो पाती है बहुत ऐसे हैं जो लंबे समय तक परदेश में मजदूरी करते करते स्थानीय बैंक में हीं खाता खोलवा लिए हैं ऐसे सारे मजदूर सरकारी लाभ से वंचित हैं। कुछ ऐसे हैं जो राज्य के बाहर मजदूरी तो करते हैं मगर किसी बैंक में खाता संचालित नहीं है। क्या सरकार को ऐसे मजदूरों की चिंता नहीं है? सरकार दिल्ली, मुंबई,पूणे, नागपुर, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई, गोवा, गुजरात, कोलकाता में तो खाने-पीने की आंशिक रूप से सहयोग कर पा रही है लेकिन देश के शेष राज्यों में खाने-पीने की व्यवस्था नहीं कर पाई है जो चिंताजनक है।
जिले में लौटे मजदूरों में से मात्र 19 का लिया गया ब्लड सैंपल ,स्थिति है चिंताजनक-
मधेपुरा जिला में 5000 मजदूर देश के अन्य राज्यों से आए लेकिन मात्र 19 मजदूरों के ब्लड सैंपल हीं जांच हेतु भेजा गया। यह लोगों के जीवन के लिए खतरनाक है।कोरोनटाईन सेंटर खाली रहना प्रशासनिक विफलता है। पूर्व मंत्री ने बताया कि यह पत्र पीड़ित मजदूरों से प्राप्त सूचना एवं अनुभव के आधार पर लिखा है। वर्णित समस्याओं का बिना समय गंवाए समाधान राज्य की जिम्मेवारी है। लंबे समय के बाद भी सरकार अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करने में सक्षम नहीं है जो चिंताजनक है।
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