प्रभाष यादव
राजनीतिक विश्लेषक @ कोसी टाइम्स.
बिहार विधानसभा चुनाव 2015 को अभी पांच-छह महीने बाकी हैं,पर राजद के नेताओं के बीच अभी से राजनीतिक विरासत के लिए घमासान शुरू हो चुका है…इस घमासान के एक सिरे पर राजद के सुप्रीमो लालू यादव खुद खड़े हैं तो दूसरे सिरे पर लालू की राजनीतिक विरासत की दावेदारी लिए कोसी क्षेत्र की राजनीति के सूरमा व मधेपुरा के राजद सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ताल ठोंक रहे हैं.पप्पू की नजर सीएम की कुर्सी पर है,लेकिन अभी उनके लिए बड़ी कठिन है डगर इस पनघट की.हालांकि कुछ महीने पहले तक पप्पू सीधे लालू यादव पर जुबानी हमला कर रहे थे,लेकिन अब शायद उन्हें आभास हो गया है कि लालू पर ‘माउथ अटैक’करना अपने पैर पर ही कुल्हाड़ी मारना साबित हो सकता है.इसलिए अब वो इस विरासत की जंग में लालू के छोटे लाल तेजस्वी यादव पर तो बोली की गोली लगातार चला रहे पर लालू यादव के नाम पर मुंह से नरम पड़ जाते हैं और कहते हैं कि लालू जी का मैं बड़ा सम्मान करता हूं.
अब थोड़ा फ्लैश बैक में चलते हैं….. मांझी महाभारत में पप्पू यादव ने जीतन राम मांझी को 1-अणे मार्ग में बनाये रखने के लिए एड़ी-चोटी का जोड़ लगा दिया था,पर उनका यह प्रयास सफल नहीं हो पाया था.तभी से लालू पुत्र तेजस्वी और पप्पू के बीच बयानों के तीखे तीर चल रहे हैं.लालू के लाल ने पप्पू को नसीहत दे डाली कि अगर राजद ने मधेपुरा से टिकट नहीं दिया होता तो वे संसद की दहलीज पर भी नहीं पहुंच पाते.जवाब में पप्पू ने पलटते हुए लालू,राबड़ी और मीसा की हार का हवाला देकर राजनीतिक कटुता को चौड़ा कर दिया.यह सच है कि कोसी क्षेत्र में पप्पू यादव का अपना जनाधार है,पर यह भी सोलह आने सच है कि राजद के टिकट के कारण ही पप्पू की नैया संसद के किनारे तक लग पायी…और अब पप्पू ने बिहार की बागडोर थामने के लिए अपनी कोशिश तेज कर दी है.बिहार विधानसभा चुनाव की आहट जैसे-जैसे तेज होती जायेगी,वैसे-वैसे इस विरासत की जंग में पप्पू और तेजस्वी के तेवर भी गरम होते जायेंगे.हालांकि राजनीति में कुछ भी परमानेंट नहीं होता है…देखते जाइए आगे क्या-क्या गुल खिलता है…!
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