भागलपुर/ स्थानीय मोदीनगर (मीरजानहाट) अवस्थित एचएस उत्सववाटिका में ‘अखिल भारतीय साहित्यकार परिषद’ के तत्वावधान में वसंतोत्सव सम्मान सह लोकार्पन समारोह’ का भव्य आयोजन किया गया। समारोह का उद्घाटन ‘बिहार अंगिका अकादमी’ पटना के निवर्त्तमान अध्यक्ष डॉ. लखन लाल सिंह ‘आरोही’ एवं अन्य सम्मानित अतिथिओं ने संयुक्त रूप से दीप-प्रज्वलित कर किया।
अध्यक्षता तिमा भागलपुर विश्व विद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ क्षेमेन्द्र कुमार सिंह ने की, और मंच-संचालन परिषद-महासचिव डॉ नवीन निकुंज ने किया। आयोजन में विशिष्ट अतिथि के रूप में देश की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘पलाश’ के संपादक उमाकांत भारती,डॉ रमेशमोहन शर्मा आत्मविश्वास और डॉ अचल भारती थे। इस अवसर पर संगीत शिरोमणी कपिलदेव कृपाला के गीतों का संकलन – काव्य गुलदस्ता का सामूहिक-रूप से लोकार्पण किया गया।
उद्घाटक डॉ आरोही ने कहा – ‘आज साहित्य की दिशा और दशा बदलने के साथ इसका स्वरूप भी काफी बदला है। इसकी संवेदनाओं के स्वर भी बदल गये हैं। इसमें कुछ हद तक राजनीतिक एवं सामाजिक विद्वेष का प्रवेश हो गया है । उन्हें अपनी रचना को इस हद तक परिमार्जित और धारदार बनाना चाहिए, जिससे समाज पर उसका गहरा व क्रांतिकारी असर पड़े !’
कार्यक्रम का आरंभ हिन्दी-अंगिका के सुप्रसिद्ध गीतकार विकास सिंह गुलटी की रचना – ‘इ छै हमरो अंग देश !’ – की प्रस्तुति से किया गया। तत्पश्चात संगीत-शिरोमणी कपिलदेव कृपाला ने श्रीगणेश वंदना – प्रस्तुत किया। डॉ भूपेन्द्र मंडल ने – ‘आम्र-कानन में, कोयल की कूक में, गीत की महिमा का सौरभ अनंत है ! पीताम्बरी बदन में, लहँगा कटि में, लबों पर लाली हो, समधो वसंत है !’ – सुनाया ।
वरिष्ठ पत्रकार कवि लघुकथाकार ।पारस कुंज ने – ‘आई होली सब हरसे देख जियरा मोरा तरसे, नाचे है तन मन सरसे सिर से दुपट्टा देखो सरके, हिया धड़क-धड़-धड़के भीगें चुनर रंग बरसे ‘पारस’ पिया नहीं घर पे नयना न जाने काहे फड़के !’ – सुनाकर वसंतोत्सव को सार्थक किया।
समस्तीपुर से पहुंची कवयित्री स्वयं प्रभा ने नारी शक्ति का आह्वान करते अपनी भावनाओं का इजहार इन पंक्ति से की – ‘तू दुर्गा है कालिका है, भारत की प्रगति भाल, तू अजेय नारी है। कुरीतियों से लड़ने वाली शत्रुदल पर भारी है!’ त्रिवेणीगंज से पधारी लघुकथाकार-कवयित्री डॉ अलका वर्मा ने अपनी कविता – ‘मुझे मेरे नाम से पूकारो ! मुझे अपना वजूद चाहिए, मुझे मेरा वजूद लौटा दो !’ – प्रस्तुत की।
क्रान्तिकारी कवि संजय कुमार भागलपुरी ने वर्तमान ज्वलंत-संदर्भ को दर्शाते हुए सुनाया – ‘तुम क्या छीनोगे हमसे बंगाल केरल और कश्मीर, बाल-न-बांका कर पाओगे आ जाए न क्यों तुम्हारे पीर ! चीख-चीख मर जाओगे पर ख्वाब नही पूरे होगें, भारत के टुकड़े करने के अरमान नही पूरे होगें !’
समस्तीपुर से आये अरूण मालपुरी ने अपनी रचना को वसंत के रंग-तरंग में घोलकर पेश किया – ‘मधुमास का श्रृंगार है आम का मंजर ! प्रकृति का सौंदर्य है, आम का मंजर !’ पुनसिया से आये वरिष्ठ शायर खुशीलाल मंजर ने अपनी संवेदन कुछ यूं पेश की – ‘कभी कुछ जोड़ लेते हैं, समय से होड़ लेते हैं ।तुम आबाद रहो, हम रास्ता मोड़ लेते हैं !’
बेगूसराय से पधारे कवि विद्यासागर ब्रह्मचारी ने सुनाया – ‘कहीं कविता सुनाता हूँ, कहीं पे गीत गाता हूँ !’ समस्तीपुर के कवि द्वारिका राय सुबोध ने सुनाया – ‘बदल गया मौसम, लगता है खुशफहम ! मथुरापुर से आयी कवयित्री डॉ रश्मि रानी ने अपनी कविता – ‘ऋतुराज हमें देता संदेश !’
कवयित्री शतदल_मंजरी ने – ‘शत-शत नमन हे नूतन वसंत !’ कविता का पाठ कर श्रोताओं को खूब गुदगुदाया !’ – सुनाया।संचालक डॉ नवीन&निकुज ने अपनी कविता – ‘प्रकृति रथ पर होकर सवार, ऋतुराज बसंत फिर आया है !’ – का पाठ किया । पूर्णिया से आये कैलाश बिहारी चौधरी की ‘वसंत’ और गंगेशबपाठक के ‘देशभक्ति गीत’ नहले पर दहले रहे। बरियारपुर के कवि शशिआनंद अलबेला ने अपनी गजल – ‘सियासी नजर का असर देखते हैं ।अंधेरों के साये में घर देखते हैं। बहुत पास आये तो आये कैसे ? छतों पर परिंदों में डर देखते हैं !’ – सुनाया।
इनके अलावा – प्रभाष चन्द्र झा ‘मतवाला’, डॉ. गिरिजा शंकर मोदी, पारस कुंज, डॉ. प्रेमचंद पांडेय, भोला बागवानी, देवेंद्र दिव्यांशु, धीरज पंडित, सुश्री शतदल मंजरी, कवींद्र मिश्र, हीरा प्रसाद हरेन्द्र, प्रकाश सेन प्रीतम, सरयू पंडित सौम्य, साथी सुरेश सूर्य, चाँद मुसाफिर, महेन्द्र मयंक, डॉ. विभु रंजन, विनय कबीरा, मनोज राही, महेन्द्र निशाकर कपिलदेव कृपाला डॉ. अर्चना चौधरी अर्पण, नीरा पाल, डॉ. रश्मि रानी, अवनतीका आर्य, संगीता कुमारी, नंदनी कुमारी, कामना भारती, हीरा प्रसाद हरेन्द्र,नरेश ठाकुर निराला, रथेन्द्र बिष्णु नन्हें, अजय कुमार प्रजापति, अजीत कुमार शांत, श्रवण बिहारी, नागेश्वर नागमणि, संजीव प्रियदर्शी, ज्योतिष चन्द्र समेत दर्जनों साहित्यकार उपस्थित थे।
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