लालमोहन कुमार/जानकीनगर,पूर्णिया/ बनमनखी अनुमंडल क्षेत्र के पिपरा पंचायत में हो रहे सतगुरु कबीर सत्संग सद्ज्ञान यज्ञ संपन्न हो गयाl समापन सत्र को संबोधित करते हुए सद्गुरु आचार्य धर्मस्वरूप साहेब ने कहा- कबहुँ न भयउ संग औ साथा, ऐसेही जन्म गमावहु आछा, हे मानव तूने विवेकी सद्गुरु व संतों का संग-साथ नहीं किया। इस उत्तम मानव- जीवन को व्यर्थ में खो दिया। चूक जाने पर ऐसा उत्तम जन्म शीघ्र नहीं मिलेगा। यह तुम्हारी गहरी भूल है कि तुमने संतों की संगत में जाकर अपने आपकी परख नहीं की। अब तुम्हारा नरक में निवास होगा, क्योंकि तुम रात-दिन झूठे व लम्पटों के पास रहते हो। जीवन में कल्याण चाहते हो तो संतों की संगत करो।
वही महन्त भूपनारायण साहेब ने कहा – संसार में बातें बहुत प्रकार की होती है, तेरे भीतर के नेत्रों से तो कुछ सूझता नहीं है। तू सभी बातों को आंख मूंदकर मान लेता। तू सबकी जुबानों से निकली हुई बातों को परखकर समझने का प्रयत्न करो। महन्त श्री सुकदेव साहेब ने कहा- मनुष्य ने अपनी वाणी को चंचल कर रखा है और क्षण-क्षण गलत बातें बोलता है वह मन के चक्कर में भटकता फिरता हैl
कबीर मठ सहवानी के उत्तराधिकारी संत अमरदीप साहेब ने कहा- यह मन तो निर्मल भया, जैसे गंगा नीर,पीछे -पीछे हरि फिरै , कहत कबीर-कबीरl मन जब गंगा के पानी के समान निर्मल हो जाता है तब भगवान भी पीछे-पीछे घूमते हैं और कहते हैं कि बताइये कबीर साहेब मैं आपकी क्या सेवा करूँ। साहेब कहते हैं कि मैं भगवान को नहीं खोजता हूँ , किन्तु भगवान ही मुझे खोजता है। संत श्री उमेश साहेब ने कहा- संसार की चक्की को देखकर मेरे नेत्रों में रुलाई आ गयी, दो पाटों के बीच में कोई बेदाग नहीं गया। वही पिपरा पंचायत में हो रहे सत्संग में काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचकर बाबाओं का प्रवचन सुनने के लिए भीड़ लगी रहीl
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