राकेश राज
एजुकेशन डेस्क @ कोसी टाइम्स.
बिन गुरू कुछ करूं :महाभारत में एकलव्य ने द्रोणाचार्या को मन ही मन अपना गुरू मानकर धनुष कला में निपुनता हासिल की थी.ऐसा ही कुछ गया की धरती पर हो रहा है.गया जिले का पटवा टोली मोहल्ला बिना गुरु के ज्ञान अर्जित करने का मिसाल बन गया है. पिछले दो दशक में इस मोहल्ले से करीब 350 इंजीनियर बने हैं. 200 छात्र विभिन्न आईआईटी से पास हो चुके हैं या वहां पढ़ाई कर रहे हैं. करीब डेढ़ सौ छात्रों ने कर्नाटक, पश्चिम बंगाल व अन्य राज्यों की इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा पास कर अपनी शिक्षा पूरी की है.
कोई कोचिंग नहीं :पटवा टोली में कोचिंग की कोई व्यवस्था नहीं है. फिर भी इस मोहल्ले का हर दूसरा बच्चा आईआईटी में है. यहां पुराने आईआईटियन छुट्टी में आते हैं और छात्रों के साथ अपना अधिकतम वक्त गुजारते हैं. उन्हें टिप्स देते हैं और ग्रुप डिस्कशन के लिए प्रेरित करते हैं. नौकरी में गए लोग भी यहां रहने पर इस परिपाटी को कायम रखते हैं. यहां के बच्चों की सफलता का यही सबसे बड़ा राज है.
दर्जन भर देशों में हैं इंजीनियर : मानपुर पटवा टोली के इंजीनियर लगभग एक दर्जन देशों में कार्यरत हैं। सर्वाधिक 22 लोग अमेरिका में हैं. इसके अलावा सिंगापुर, कनाडा, स्विट्जरलैंड, जापान, दुबई आदि देशों की प्रतिष्ठित संस्थानों में कार्यरत हैं.
1995 में बनी ‘नवप्रयास’ संस्था दिखाती है दिशा : पटवा टोली में ‘नवप्रयास’ संस्था बच्चों का मार्गदर्शन करती है. शुरुआत यहां के प्रथम आईआईटियन जितेंद्र कुमार ने 1995 में की थी. जितेंद्र अभी कैलिफोर्निया में साॅफ्टवेयर इंजीनियर हैं. वहीं के नागरिक हो गए। पर मानपुर से रिश्ता कायम है.
शोध का ऑफर :पटवा टोली के रंजीत कुमार ने 2014 में आईआईटी, मुंबई से केमिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है. एक साल रिलायंस में नौकरी के क्रम में ही अमेरिका के 6 यूनिवर्सिटी में शोध के लिए प्रस्ताव भेजा. 4 से पूरी स्कॉलरशिप के साथ आॅफर मिला. उनके छोटे भाई संजीव ने भी इस वर्ष जेईई एडवांस पास की है.
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