आठ राज्यों की आठ महिलाओं को मिला सावित्रीबाई फुले राष्ट्रीय सम्मान
कानून बनाना काफी नहीं,समाज को जगना होगा-ज्योति झा
दिल्ली/ आए दिन महिलाओं को प्रताड़ित करने की अनेक घटनाएं होती हैं । महिलाओं के साथ आज भी दोयम दर्जे का व्यवहार होता है। महिला दिवस पर देश में अनेक कार्यक्रम होते हैं लेकिन ये सिर्फ रस्म अदायगी तक सीमित होते हैं। देश में जब तक महिलाओं की सामाजिक, वैचारिक और पारिवारिक तौर पर तरक्की नहीं होती तब तक महिलाओं के सशक्तिकरण की बातें बेमानी होगी। यह बातें सावित्रीबाई फुले शैक्षणिक सेवा फाउंडेशन की ओर से अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर पुणे के बड़गांव शेरी स्थित राजेंद्र नगर में “महिलाएं क्यों करती हैं आत्महत्या” पर केंद्रित एक परिचर्चा में मुख्य अतिथि और चर्चित लेखिका ज्योति झा ने कहीं। इस महिला दिवस समारोह में सभी वर्ग की महिलाएं भारी संख्या में मौजूद थीं।
परिचर्चा की शुरुआत सावित्रीबाई फुले शैक्षणिक सेवा फाउंडेशन की सचिव और स्वतंत्र पत्रकार हेमलता म्हस्के ने की। हेमलता म्हस्के ने कहा कि आज महिलाएं पुरुषों के वर्चस्व वाले सभी क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है बावजूद हर 25 मिनट में एक शादीशुदा महिला आत्महत्या करने को मजबूर है। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक के आंकड़ों के मुताबिक अपने देश में हर घंटे में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 26 मामले दर्ज होते हैं । महिलाओं के हित में सख्त से सख्त कानून बने हैं बावजूद ये अपराध न सिर्फ हो रहे हैं बल्कि उस में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। अब महिलाओं को इन अत्याचारों के खिलाफ एकजुट होना होगा।
इस मौके पर मौजूद 121 भाषाओं में लगातार 13 घंटे से अधिक गीत गाने का विश्व रिकॉर्ड तोड़ने वाली मंजूश्री ने कहा कि महिलाएं बहुत कुछ कर सकती हैं लेकिन समाज उन्हें प्रोत्साहित करने के बदले हर मोर्चे पर उनकी हिम्मत तोड़ने में आगे रहता है ।
उन्होंने कहा कि जब मैं विश्व रिकॉर्ड तोड़ने की प्रतियोगिता में शामिल हो रही थी तब मुझे प्रारंभ में ही यह कह कर हतोत्साहित किया गया कि आप महिला हैं इसलिए आपसे नहीं होगा। लेकिन मैं संकल्पबद्ध होकर इस प्रतियोगिता में शामिल हुई और कामयाबी हासिल कर लोगों की आशंकाओं को निराधार साबित किया।
परिचर्चा के बाद सावित्रीबाई फुले राष्ट्रीय सम्मान की घोषणा की गई । महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करने वाली जिन आठ महिला हस्तियों के नामों की घोषणा की गई , उनमें महाराष्ट्र पुणे की ज्योति झा और ज्योति गंगासागर , छत्तीसगढ़ रायपुर की नौशीन परवीन, बिहार भागलपुर की डॉक्टर सुजाता कुमारी , गुजरात बड़ोदरा की शर्मिष्ठा सोलंकी , दिल्ली की शालिनी श्रीनेत, उत्तर प्रदेश वाराणसी की श्रुति नागवंशी और हरियाणा के पानीपत की पायल प्रवीण के नाम शामिल हैं ।
इसके पहले परिचर्चा में नगर सेवक योगेश मुलिक और नगर सेविका शीतल शिंदे सहित नंदनी शेल्के, कमल शेल्के, सुमन जोशी, ममता ठाकुर, रोहिणी जगताप, मीना सरगड़े , मनीषा जगताप, जय श्री कांबले ,मंगला म्हस्के,रोहिणी जगताप, सुजाता येवले, प्रवीण जोशी ने भाग लिया। सभी ने अन्याय से मुक्ति के लिए महिला एकजुटता की जरूरत बताई। इस मौके पर सुवर्णा जग डादे, पूनम बार्के ने कविताओं का पाठ किया। लता चौधरी ने अभंग का गान किया। पूरे कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार प्रसून लतांत ने किया।
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