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धर्मेंद्र प्रधान बिहार में नई भूमिका की संभावनाओं को तलाशेंगे

जयपुर में 20-21 मई को प्रस्तावित भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति में पार्टी धर्मेंद्र प्रधान को बिहार में समन्वय की जिम्मेदारी दे सकती है

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पटना/बिहार में भाजपा को अभी कई चुनौतियों से गुजरना है। पार्टी के माथे पर तत्काल राष्ट्रपति चुनाव है। भाजपा को सहयोगी दलों से बेहतर समन्वय की जरूरत पड़ेगी। इस लिहाज से बिहार में भाजपा को एक ऐसे सक्षम सेतु की तलाश है, जो सहयोगी दलों के साथ संबंधों में मधुरता बनाए रख सके। हाल के दिनों में अनियंत्रित बयानबाजी के चलते जदयू के साथ भी भाजपा की कटुता बढ़ी है। ऐसे माहौल में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की अपेक्षा पर खरे उतर सकते हैैं। इस दिशा में पहल भी दिखने लगी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से धर्मेंद्र प्रधान की मुलाकात को इसी कड़ी से जोड़ा जा रहा है।

भाजपा के सूत्र इसके अगले संस्करण की बात भी करने लगे हैैं। कहा जा रहा है कि जयपुर में 20-21 मई को प्रस्तावित भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति में पार्टी धर्मेंद्र प्रधान को बिहार में समन्वय की जिम्मेदारी दे सकती है। इसी दौरान संगठनात्मक गतिविधियों को लेकर कार्यक्रम तय करने के साथ ही संगठनात्मक चुनाव की घोषणा भी की जा सकती है। धर्मेंद्र प्रधान को बिहार में नई भूमिका की संभावनाओं के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि नीतीश कुमार से उनका तालमेल बढिय़ा है। पहले भी बिहार में भाजपा के प्रभारी रह चुके हैं।

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भाजपा उनमें कई मजबूत पक्ष देख रही है। खास यह है कि बिहार की राजनीति और सामाजिक समीकरण के मामले में बारीक अनुभव है। बिहार में तीन विधानसभा और तीन लोकसभा चुनाव में पार्टी के कुशल रणनीतिकार साबित हो चुके हैं। उनके खाते में हाल ही में यूपी विधानसभा चुनाव में पार्टी को प्रचंड बहुमत दिलाने की उपलब्धि दर्ज है। बंगाल में भी भले ही भाजपा की सरकार नहीं बन पाई लेकिन ममता बनर्जी को नंदीग्राम में हराने के पीछे धर्मेंद्र की बड़ी भूमिका रही थी।

मूलरूप से ओडिशा से के रहने वाले धर्मेंद्र प्रधान को हिंदी क्षेत्र में लंबे समय तक संगठन में कार्य करने का अनुभव है। 1983 में छात्र राजनीति के बाद अखिल भारतीय विधार्थी परिषद से जुड़े। 2004 से 2006 तक भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री होने के अलावा बिहार में चुनाव प्रभारी के रूप में काम किया। अमित शाह के करीबी और ओबीसी वर्ग से आने वाले धर्मेंद्र प्रधान ने 2014 के लोकसभा चुनावों में बिहार में भाजपा को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

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