सिंहेश्वर,मधेपुरा/ बाबा मंदिर प्रांगण स्थित शिवगंगा घाट पर लोक आस्था के महान पर्व चैती छठ पूजा के तीसरे दिन गुरुवार को अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ दिया गया. जबकि शुक्रवार को छठ पूजा के अंतिम दिन उदयीमान सूर्य देवता को अर्घ्य देने के साथ ही इस महान पर्व का समापन हो जायेगा.
जानकारी के अनुसार सूर्य की उपासना का पर्व छठ हिन्दू नववर्ष के पहले माह चैत्र माह में मनाया जाता है. इस पर्व में व्रती सूर्य भगवान की पूजा कर उनसे आरोग्यता, संतान और मनोकामनाओं की पूर्ति का आर्शीवाद मांगते हैं. आज उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ अनुष्ठान संपन्न होगा. ज्ञात हो कि क्षेत्र में काफी कम लोग ही चैत्र माह में छठ पूजा मनाते थे. लेकिन अब स्थिति ऐसी है कि शिवगंगा घाट का पश्चिमी भाग श्रद्धालुओं से खचाखच भरा रहता है. जबकि ऐसे परिवार जिनके घर इस छठ पूजा को नही मनाया जाता है वो भी इस पर्व में बढ़- चढ़ कर हिस्सा लेते है.
बताया गया कि यह छठ महापर्व पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है. पहली बार चैत्र माह में और दूसरी बार कार्तिक माह में मनाया जाता है. चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाये जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ व कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाये जाने वाले पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है. पारिवारिक सुख-समृद्धी तथा मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए यह पर्व मनाया जाता है. स्त्री और पुरुष समान रूप से इस पर्व को मनाते हैं. छठ व्रत के सम्बन्ध में अनेक कथाएं भी प्रचलित हैं.
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