स्ट्राइभर प्रशांत
कला-संस्कृति डेस्क @ कोसी टाइम्स.
हर वर्ष 14 सितंबर को देश में हिन्दी दिवस मनाया जाता है. यह मात्र एक दिन नहीं बल्कि यह है अपनी मातृभाषा को सम्मान दिलाने का दिन. उस भाषा को सम्मान दिलाने का जिसे लगभग तीन चौथाई हिन्दुस्तान समझता है, जिस भाषा ने देश को स्वतंत्रता
दिलाने में अहम भूमिका निभाई. उस हिन्दी भाषा के नाम यह दिन समर्पित है जिस हिन्दी ने हमें एक-दूसरे से जुड़ने का साधन प्रदान किया. लेकिन क्या हिन्दी मर चुकी है या यह
इतने खतरे में है कि हमें इसके लिए एक विशेष दिन समर्पित करना पड़ रहा है.
आज “ हिन्दी दिवस” जैसा दिन मात्र एक औपचारिकता बन कर
रह गया है. लगता है जैसे लोग गुम हो चुकी अपनी मातृभाषा के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं वरना क्या कभी आपने चीनी दिवस या फ्रेंच दिवस या अंग्रेजी दिवस के बारे में सुना है. हिन्दी दिवस मनाने का अर्थ है गुम हो रही हिन्दी को बचाने के लिए एक प्रयास.
प्रस्तुत है कोसी टाइम्स की नियमित पाठक प्रियंका राय ओमनंदिनी(जो उत्तर प्रदेश के मऊ से है ) की हिन्दी दिवस पर एक बेहद खुबसूरत रचना जो काफी शिक्षाप्रद होने के साथ-साथ रोचक भी है.इन्होंने हिंदी के क्षेत्र में काफी लोकप्रियता बटोरी है.इनको सीमा सिन्हा स्मृति साहित्य सम्मान व कलमवीर विचार मंच द्वारा कलमवीर 2015 का सम्मान भी प्राप्त है.
साक्षत्कार करें हिंदी में
हाँ व्यव्हार करें हिंदी में
अपने देश की अगुवाई
और व्यापार करें हिंदी में
हर भाषा का आदर करना ये अपनी मर्यादा है
निज भाषा की उन्नति करना फ़र्ज़ हमारा ज्यादा है
इसी बात को इसी राग को जब मिलकर दोहराएंगे
सही मायने में तब जाकर हाँ अच्छे दिन आएंगे-2
नैतिकता का नाता हिंदी
बच्चा-बच्चा गाता हिंदी
गांव,शहर को जोड़के रखती
जन-गण-मन की विधाता हिंदी
वीरों और कवियों के जज्बातों की बनके गवाही
अंग्रेजों की अंग्रेजियत की बन आई तबाही
पुरखों के गौरव-गाथा को नवपीढ़ी में सुनाएंगे
सही मायने में तब जाकर हाँ अच्छे दिन आएंगे-2
आन,बान और शान है हिंदी
हम सबकी पहचान है हिंदी
भाषावाद में कटो बटो मत
पूरा हिंदुस्तान है हिंदी
हिन्दू,मुस्लिम,सिख,ईसाई का ये पावन नाता है
धरती,भारत,गंगा,हिंदी,गाय तो सबकी माता है
वेद,क़ुरान,गुरुग्रंथ,बाइबिल निज जीवन में लाएंगे
सही मायने में तब जाकर हाँ अच्छे दिन आएंगे-2
प्रियंका राय ओमनंदिनी
मऊ(उत्तर-प्रदेश)
शिक्षा-स्नातक(इलाहबाद वि0वि0)परास्नातक(लखनऊ
वि0वि0)बी0एड0(c s j m कानपुर वि0वि0) .
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