अनुपम सिंह
स्पेशल डेस्क @ कोसी टाइम्स.
माननीय मोदी जी, फिर 15 अगस्त का पावन दिन पास आ रहा है.आपको लाल-किले के प्राचीर से बोलते हुए सुनने के लिए पूरा देश और सारा जहां बैचेन है…लेकिन अब आपके द्वारा देश को दिखाये गए खुमार का बुखार धीरे धीरे बीमार पड़ता जा रहा है.जाहिर सी बात है कि जो सपने आपने देश के युवाओं व आम आवाम को दिखाये हैं,उसे ठोस धरातल पर उतारना भी आपको ही पड़ेगा.मेरी नजर में कुछ बेहद गंभीर मुद्दे हैं,जिनपर गंभीरता के साथ इस 15 अगस्त को आपको बोलना चाहिए.
मेरी नजर में निम्न कुछ महत्वपूर्ण विषय हैं,जिनपर विचार कर देश को बेहतर रूप से विकसित किया जा सकता हैं :-
01. जनसंख्या नियंत्रण : यह एक ऐसा विषय है जिसे नजरंदाज़ नहीं किया जा सकता है.देश की दिशा तय करनेवाले कारक होने के बाबजूद भी इन्दिरा गांधी जी के आपातकाल के पूर्व की सरकार के बाद की कोई सरकार ने पता नहीं सत्ता जाने के डर से इतने महत्वपूर्ण विषय पर कोई ध्यान नहीं दिया। शर्मनाक लगता है जब सत्ता जाने के डर से आज राज्य-हित की अनदेखी की जा रही है। लेकिन जब सरकार का उदेश्य ही सत्ता पाना हो तो फिर इस देश को भगवान ही बचाएंगे। बहुत उम्मीद से जनता ने आपकी मुराद (पूर्ण-बहुमत वाली सरकार) पुरी की है अब आपकी बारी है। जनसंख्या नियंत्रण के संबंध में आपके सरकार की क्या योजना है?
02. आरक्षण : बहुत ही संवेदनशील विषय जिससे आज कोई भी भारतवासी अछूता नहीं है। इसके संबंध में किसी भी सरकार की स्पष्ट नीति नहीं रही है। मेरे समझ से ये ऐसा मसला है कि यदि अच्छी नियति से इसके संबंध में कार्य किया जाए तो आए दिन न सरकार को जातिगत विद्वेष झेलना पड़ेगा और न ही जनता को। एक उदाहरण के तौर पर मैं आपसे जानना चाहता हूँ कि आज सच में रामविलास पासवान और उनके बेटे आरक्षण की जरूरत है। अगर आर्थिक आधार पर आरक्षण की व्यवस्था बनाने के दिशा में पहल किया जाए तो भारत में जाति आधारित राजनीति समाप्त हो जाएगी जो भारत के विकास के लिए अतिआवश्यक है। इस संबंध में आपकी सरकार का क्या दृष्टिकोण है?
03. केंद्रीकृत शिक्षा-प्रणाली :- जहाँ तक मैं समझता हूँ समूचे देश में एक जैसी शिक्षा पद्धति होनी चाहिए, एक जैसे पाठ्यक्रम हों ताकि गाँव के बच्चे हों या शहर के कोई अंतर न हो (यहाँ मैं ये स्पष्ट कर दूँ कि मेरा शिक्षा के माध्यम यथा भाषा से कोई लेना-देना नहीं है बल्कि मैं सिर्फ ये निवेदन करना चाहता हूँ कि गाँव के स्कूल/कालेज में गणित अथवा भौतिकी आदि पढ़ रहे बच्चे को भी वही पढ़ने को मिले जो अच्छे संस्थानों से पढ़ रहे बच्चों को मिलते हों )। उक्त सुधार से समूचे देश में बच्चों के मूल्यांकन में एकरूपता आएगी साथ ही भविष्य में भी वैश्विक दृष्टिकोण के कारण अगर शिक्षा पद्धति / पाठ्यक्रम में आवश्यक सुधार होता है तो उसका लाभ न सिर्फ अच्छे संस्थान/अगड़े राज्य के बच्चों बल्कि सभी बच्चों को मिलेगा। विभिन्न प्रकार के शिक्षा संबंधी बोर्ड के बजाय राष्ट्रीय स्तर पर एक बोर्ड हो तथा उसे इस प्रकार विकेंद्रीकृत किया जाय जिससे उसके संचालन में कोई समस्या नहीं आए। उक्त परिवर्तन से देश में CBSE, NIOS और विभिन्न राज्यों के बोर्ड आदि के बजाय राष्ट्रीय स्तर पर एक बोर्ड हो जाएंगे जिससे छात्रों को कहीं से भी शिक्षा ग्रहण में कठिनाई नहीं होगी और किसी भी बोर्ड के पिछड़ने का भय नहीं रहेगा। अगर उचित समझते हैं तो इस बिन्दु पर आप अपनी सरकार के दृष्टिकोण रख सकते हैं।
04 भ्रष्टाचार :- यह कोई नया विषय नहीं है फिर भी केंद्र में आपकी सरकार बनाने में इसकी बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आम-जनमानस में आपने इसे समाप्त करने की जो उम्मीद जगाई, लोगों ने आप पर भरोसा किया और अपनी सरकार के 1 वर्ष पूरे होने के एक कार्यक्रम में आपने बहुत ही मजबूती से इसे प्रस्तुत किया कि कोई भी भ्रष्टाचार का मामला सामने नहीं आया है और आपके मंत्रियों पर जब कुछ मामले सामने आए तो आपने उस संबंध में कोई बयान तक नहीं दिया। आम-जनमानस इस संबंध में भी आपके विचार जानना चाहती है।
05. डॉक्टर/प्रोफेसर की तरह अन्य शासकीय कर्मचारिओं/अधिकारियों को राजनीति में भाग लेने की छूट के संबंध में :- शायद ये नया विषय है लेकिन है महत्वपूर्ण। वर्तमान परिदृश्य में कोई भी व्यक्ति राजनीति और उसके प्रभाव से बच नहीं सकता, ऐसे में एक बड़ा वर्ग जो यह बोलकर कि हमें राजनीति में कोई रुचि नहीं अपनी जिम्मेदारियों से बच नहीं सकते। अतः डॉक्टर और प्रोफेसर की तरह अन्य शासकीय कर्मचारिओं/अधिकारियों को भी कुछ शर्तों के साथ शासकीय सेवा में रहते हुये राजनीति में भाग लेने की छूट के संबंध में आपकी सरकार की क्या राय है?
06. एक नई विचारधारा :- वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भारत को ‘आतंकवाद’ और ‘नक्सलवाद’ के बजाय सबसे अधिक खतरा है, तो वह है बहुत तेजी से फलती-फुलती एक नई विचारधारा जिसका नाम है- “बुद्धिजीवी विचारधारा”। इस विचारधारा के प्रणेता में नेता, पत्रकार, वकील, समाजसेवी और इंजीनियर आदि शामिल हैं। इन बुद्धिजीवियों की सबसे बड़ी खासियत है कि इनसे बड़ा कोई बुद्धिजीवी नहीं होता। ये लोग अभिव्यक्ति की आजादी का दुरुपयोग कर संवेदनशील मसलों पर इस तरह के विचार को बढ़ाने का कार्य करते हैं जिससे कभी-कभी आम-जनमानस भी गुमराह हो जाती है कि अपने ही कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका को संदेह भरी नज़रों से देखने लगते हैं। यह भी एक महत्वपूर्ण विषय है और इस संबंध में आपकी सरकार का क्या राय है?
(ये लेखक के निजी विचार हैं.इससे कोसी टाइम्स का सहमत/असहमत होना जरूरी नहीं है.)
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