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विधानसभा चुनाव की आहट… लालू की विरासत पर फिर शुरू हुयी सुगबुगाहट

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प्रभाष यादव ,राजनीतिक विश्लेषक @ कोसी टाइम्स.
बिहार विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही एकबार फिर से यह चर्चा जोरों पर है कि लालू प्रासद यादव का राजनीतिक वारिस कौन होगा ? एक तरफ जहां उनकी सबसे बड़ी संतान मीसा भारती लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल की उम्मीदवारी कर हार चुकी है. वही दूसरी तरफ उनके बड़े बेटे तेजप्रताप यादव के बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में महुआ से चुनाव लड़ने की अटकलें लगायी जा रही है. पिछले चुनाव में लालू यादव अपने छोटे बेटे तेजस्वी यादव के साथ मिलकर रैली किया करते थे,लेकिन अब तक उनके इलेक्शन ओपनिंग सीट की कोई घोषणा नहीं हुई.यह तय नही है कि लालू के छोटे लाल किस विधानसभा सीट से ताल ठोकेंगे,लेकिन राजनीति के घाघ पंडितों का मत है कि तेजस्वी यादव कोसी इलाके के मधेपुरा विधानसभा से ताल ठोंक कर लालू की विरासत पर दावा करनेवाले मधेपुरा के सांसद पप्पू यादव को खुली चुनौती दे सकते हैं.

लालू की राजनीतिक विरासत किसे मिलेगी ,इस सवाल पर तेजस्वी यादव का मानना है कि परिवार का जो सदस्य सबसे काबिल होगा, उसे ही लालू प्रसाद की विरासत मिलेगी. उन्होंने कहा, ‘जिसे जनता चाहेगी, लालू प्रसाद की राजनीतिक विरासत उसे ही मिलेगी. यह ना तो लालू यादव तय कर सकते हैं, ना ही कोई और.’

साल 2010 का बिहार विधानसभा चुनाव पहला मौका था जब लालू यादव ने तेजस्वी यादव को बड़ा प्लेटफॉर्म दिया था. तेजस्वी ने कई चुनावी रैलियों को संबोधित भी किया था. आगामी चुनाव में अपनी भूमिका पर उन्होंने कहा, ‘2010 से ही मैंने बिहार में पार्टी का प्रचार शुरू किया था और काफी अच्छा रिस्पॉन्स भी मिला था.’ उन्होंने कहा, ‘मैं बिहार के युवाओं को जोड़ने और उनके विकास के लिए सियासत में आया हूं. इसलिए अगर जरूरी हुआ तो चुनाव भी लड़ूंगा. पार्टी अगर ये जिम्मेदारी देगी तो उसको निभाउंगा.

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अपनी राजनीतिक प्राथमिकता पर उनका कहना है कि, ‘परिवार अगर अच्छा काम करे और बिहार की भलाई हो तो दिक्कत क्या है?’ उन्होंने कहा, ‘अगर हम घर पर बैठे रहें और हिन्दुस्तान और बिहार की तरक्की में योगदान ना दें तो क्या जिंदगी और राजनीति का क्या फायदा?’

राजनीति में परिवारवाद पर तेजस्वी का कहना है कि, ‘देश की राजनीति में परिवारवाद शुरू से है. लेकिन केवल पिछड़े और दलित के बेटों की राजनीति में एंट्री पर सवाल उठते है.’ उन्होंने कहा, ‘कीर्ति आजाद और नीतीश मिश्रा खुद मुख्यमंत्री के बेटे हैं. पर उन्होंने ये सवाल नहीं झेला होगा. अनुराग ठाकुर से ये सवाल क्यों नहीं हुआ? तो फिर लालू प्रसाद के परिवार पर ही परिवारवाद के सवाल क्यों दागे जा रहे हैं?’

तेजस्वी का मानना है कि जिन लोगों की राजनीति में दिलचस्पी ना हो, उन्हें जनता की जिम्मेदारी नहीं देनी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘सचिन तेंदुलकर को सब मानते हैं. पर सबको पता है कि राज्यसभा की कार्यवाही में वो कितना हिस्सा लेता हैं. रेखा जी को राज्यसभा भेजने का क्या फायदा?’ उन्होंने कहा, ‘अगर मैं संसद गया तो फायदा होगा क्योंकि मैं संविधान समझता हूं, लोगों को समझता हूं.’

खैर बिहार विधानसभा का चुनाव नजदीक ही है…सबको बहुत जल्द पता चल जायेगा कि तेजस्वी यादव कहां से अपनी राजनीतिक पारी की शुरूआत करते हैं.लेकिन उनके मधेपुरा विधानसभा से उतरने की अटकलों ने अभी से ही कोसी इलाके की राजनीति को दिलचस्प बना दिया है.

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