प्रभाष यादव
राजनीतिक विश्लेषक @ कोसी टाइम्स
हाल की दो घटनाओं ने सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा है.एक घटना विशुद्ध राजनीतिक है तो दूसरी घटना गैर राजनीतिक होते हुए भी राजनीति करने वालों से जुड़ी हुई है.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब लालू यादव की सबसे छोटी लाडली राजलक्ष्मी की होनेवाले ससुराल में 22 फ़रवरी को तिलक समारोह में मुलायम सिंह के यहाँ सैफई पहुंचे तो उन पर फूलों की बारिश की गयी.याद रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर मुलायम सिंह यादव व लालू यादव ने अपने बयानों के ताबड़तोड़ बाण लोकसभा चुनाव के दौरान चलाए थे.लेकिन सैफई समारोह में नरेंद्र मोदी का जिस गर्मजोशी के साथ लालू और मुलायम दोनों ने मिल कर स्वागत किया उससे एक बात तो जगजाहिर हो गई कि अंदरखाने में सारे नेता एक ही हेै…लेकिन बाहर उनके समर्थक आपस में बेवजह ही लड़ते रहते हेैं.
इसी घटनाक्रम से मिलता जुलता एक राजनीति समारोह है यानि….22 फरवरी को ही नीतिश कुमार का शपथ ग्रहण समारोह. मुख्यमंत्री पद की दोबारा शपथ लेने के बाद हिलहुज़्ज़त से हटाए गए जीतन राम मांझी ने जिस अंदाज में नीतीश कुमार से हाथ मिलाया और नीतिश कुमार ने वापस जिस तरह से मांझी का हाथ थामा.उससे एक बात तो जगजाहिर हो गई कि सारे नेता आपस में मिले हुए ही रहते हैं…बस उनके समर्थक लोग आपस में सिरफ़ुटव्वल करते रहते हेैं.
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