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नीतिश का हाथ गाल पर….बैतलवा फिर डाल पर

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भूपेन्द्र प्रसाद यादव
स्पेशल डेस्क @ कोसी टाइम्स.
चुनाव का साल और नियोजित शिक्षकों का हड़ताल….जिन को नीतिश कुमार ने चॉक-बोर्ड संभालने के लिए नियोजित किया था,अब उन्होनें ही आर-पार की लड़ाई लड़ने लिए कफन बांध लिया है.चुनाव के साल होने से सुशासन सरकार इस ओर से आंख भी नहीं मूंद सकती है. राज्य सरकार एवं शिक्षको के बीच संघर्ष फिलहाल जारी है. एक तरफ शिक्षक अपने मांगों को लेकर विद्यालयों को बंद कर धरना प्रदर्शन कर रहें हैं तो दूसरी ओर सरकार भी अडिग थी,लेकिन अब आसार बन रहे हैं कि कुछ समाधान जरूर निकल आयेगा.लेकिन जो बात सोचनीय है वह यह कि ऐसी परिस्थिति में स्कूली बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं और राज्य की शिक्षा व्यवस्था भी चरमरा रही है.इस लड़ाई में सबसे ज़्यादा नुकसान कल के नौनिहालों का हो रहा है. समस्याओं के समाधान के लिए राज्य सरकार से कई आंदोलनकारियों की एक अपील थी कि आपने हम सबों की संविदा पर बहाली शिक्षा मित्र के रूप में किया, जो बच्चे विद्यालय से बाहर रह रहे थे,उन्हें विद्यालयों में नामांकन करवाने के लिए प्रेरित करने का काम सौंपा.नामांकन शत-प्रतिशत होने के बाद पंचायत,प्रखंड, नगर शिक्षक के रूप समायोजित करने का वादा किया, लेकिन सहायक शिक्षक का दर्जा नही दिए…जिससे बिहार में शिक्षकों को दो तरह के नियमावली होने से एकता में कमी आई और संगठन अलग- अलग हो गया जो आपके लिए परेशानी का सबब बन गया.चार लाख के करीब नियोजित शिक्षक हो गए जिनके लिए एक आशियाना की आवश्यकता थी.मंहगाई से इसे खंडित किया जिसने आज जन आंदोलन का रूप ले लिया है.शिक्षक पढ़ाने के बजाय आज अधिकारी के पास अधिकार और अन्य मांगों को लेकर परेशान है. उधर विपक्षी सरकार की अच्छी सुशासन व्यवस्था को जंगल राज में बदलने का प्रयास लाचार शिक्षको के संगठन के कंधे पर बंदूक रख कर चला रहे हैं.अच्छे शिक्षकों को पढ़ाने का अवसर नही मिल रहा है.हालांकि इसी भीड़ में कुछ कम अकल लोग भी शिक्षक बन बैठे हैं,लेकिन सवाल है इसके लिए ज़िम्मेदार कौन है ?….निःसंदेह बिहार सरकार और सुशासन बाबू.
इस हड़ताल को समाप्त करने की दिशा में एक ठोस पहल होनी चाहिए ताकि बिहार बदनाम न हो जहां अच्छों के लिए बिहार गीत का सभी विधालय में गाना गाया जाता है लेकिन असर नही हो रहा है. स्पष्ट एवं पारदर्शिता के साथ गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा वक़्त की जरूरत है. हम सबके लिए जरूरी है कि यह हड़ताल जल्द से जल्द समाप्त हो ताकि हमारे बच्चे शिक्षा ग्रहण कर देश के अच्छे नागरिक बन सके.
(ये लेखक के निजी विचार हैं,इससे कोसी टाइम्स का सहमत/असहमत होना जरूरी नहीं है)

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