विद्यालयों में बच्चों को मिड-डे मील परोसने से पहले प्रधानाध्यापक एवं रसोईया चखेंगे भोजन
भोजन चखने के आधे घंटे के बाद उसे बच्चों के बीच परोसा जाएगा
पटना/ राज्य के सरकारी प्रारंभिक विद्यालयों में बच्चों को मिड-डे मील परोसने से पहले उसे प्रधानाध्यापक/ प्रभारी प्रधानाध्यापक एवं रसोईया चखेंगे। साथ ही भोजन चखने के बाद उसकी गुणवत्ता एवं स्वाद के बारे में रजिस्टर (पंजी) में लिखेंगे। भोजन चखने के आधे घंटे के बाद उसे बच्चों के बीच परोसा जाएगा। यह व्यवस्था प्रत्येक विद्यालय में तत्काल प्रभाव से लागू होगी। शिक्षा विभाग के विशेष सचिव और मध्याह्न भोजन योजना (प्रधानमंत्री पोषण योजना) के निदेशक सतीश चन्द्र झा ने बुधवार को यह आदेश सभी 38 जिलों के संबंधित अफसरों को जारी किया।
श्री झा के मुताबिक योजना के सफल और सुरक्षित संचालन के लिए यह आवश्यक है कि विद्यालयों में दिए जा रहे पके-पकाये भोजन की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए। इसीलिए क्रमवार के आधार पर विद्यालय शिक्षा समिति के अध्यक्ष, सचिव एवं सदस्यों के अतिरिक्त अभिभावकों से बच्चों को मिड-डे मील परोसने से पहले उसे चखने का निर्देश दिया गया है। इनके द्वारा भोजन चखने के आधे घंटे के बाद ही उसे बच्चों को परासा जाएगा। ये लोग भी भोजन की गुणवत्ता और स्वाद के बारे में पंजी में लिखेंगे। यदि विद्यालय संचालन की अवधि में शिक्षा विभाग और अन्य विभागों के अधिकारी भ्रमण या निरीक्षण के लिए जाते हैं तो उनसे भी भोजन चखने का आग्रह किया जाएगा, ताकि वे भी भोजन की गुणवत्ता के बारे में पंजी में अंकित कर सकें।
गौरतलब है कि कोरोना महामारी की वजह से राज्य के सभी स्कूलों में वर्ष 2020 से ही मिड डे मील बन्द रहा था और इसके बदले में बच्चों को सूखा राशन दिया जा रहा था। लेकिन कोरोना के संक्रमण की रफ्तार धीमी होने के बाद हाल ही में एक बार फिर से स्कूलों में मिड मील की शुरुआत की गई थी। लेकिन मध्याह्न भोजन को लेकर लगातार शिकायतें सामने आने लगीं। छपरा में मिड डे मील में छिपकली मिलने के बाद हड़कंप मच गया था। बच्चों और अभिभावकों ने जमकर हंगामा भी किया था।
Comments are closed.