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अपनी भाषा और संस्कृति के लिए संघर्ष करना सफलता पाना आम जनता का अधिकार – डॉ योगेन्द्र

तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर अंगिका भवन में जन गण मन की ओर से आयोजित अंग जन समागम

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भागलपुर/अंग प्रदेश की अंगिका भाषा को मातृ भाषाओं की सूची में शामिल करने के साथ बिहार राज्य में दूसरी भाषा का दर्जा नहीं दिया गया तो आंदोलन तेज किया जाएगा । यह फैसला तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर अंगिका भवन में जन गण मन की ओर से आयोजित अंग जन समागम में किया गया । समागम में अंगिका को अष्टम सूची में दर्ज करने के साथ अंग प्रदेश की कला और संस्कृति के विकास के लिए संस्थान आदि बनाने संबंधी प्रस्ताव भी सर्वसम्मति से पारित किए गए । यह प्रस्ताव अंगिका के लिए समर्पित नेता कैलाश ठाकुर ने पेश किया गया।

समागम में अंग प्रदेश के विभिन्न जिलों अंगिका के मान सम्मान के लिए पिछले 2 दशकों से संघर्ष कर रहे कुंदन अमिताभ के इस प्रस्ताव को भी सर्वसम्मति से पारित किया गया कि सरकार द्वारा 5 करोड़ से अधिक अंग वासियों की मातृभाषा अंगिका को जल्द कोड नहीं दिया जाएगा तो इस मामले को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी ले जाया जाएगा क्योंकि सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है कि वह देश की जनता के मूल अधिकारों की रक्षा करें और अपनी भाषा और संस्कृति के लिए संघर्ष करना सफलता पाना आम जनता का अधिकार है। अंगिका और हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ शिव नारायण ने कहा कि मातृभाषा से ही ज्ञान विज्ञान की शिक्षा के विकास संभव है ।उन्होंने कहा कि अंगिका को मातृभाषा कोड देने से ही सरकार की नई शिक्षा में मातृभाषा को महत्व देने का मकसद पूरा हो सकेगा।

विषय प्रवेश करते हुए हिन्दू और अंगिका विभाग के अध्यक्ष डॉ योगेन्द्र ने कहा कि अंगिका और बज्जिका को मातृभाषा कोड दिलाने के लिए संघर्ष करना जरूरी है। उन्होंने विश्व मातृभाषा दिवस के महत्व की चर्चा करते हुए कहा कि हमें बंगला देश में अपनी मातृभाषा के लिए जन देने वाले शहीदों से सीख लेनी होगी। उन्होंने कहा कि हम संघर्ष नहीं करेंगे तो हमारी मातृभाषा अंगिका लुप्त हो जाने वाली भाषा में शामिल हो जाएगी।


समागम में अंग प्रदेश के विभिन्न जिलों से साहित्यकार,कलाकार,पत्रकार,समाजसेवक सहित कॉलेज के विद्यार्थी और शिक्षक भारी संख्या में मौजूद थे। सभी ने हाथ उठा कर उपरोक्त प्रस्ताव का समर्थन किया। अध्यक्षता कर रहे अखिल भारतीय अंगिका साहित्य कला मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ मधुसूदन झा ने कहा कि सिर्फ सरकार से अंगिका के उद्धार की मांग करना काफी नहीं होगा। हमें अपने जीवन और समाज भी भी अंगिका भाषा को महत्व देना होगा। विशिष्ट अतिथि और वरिष्ठ समाज कर्मी डॉ मनोज मीता ने कहा कि हमें अंगिका को महत्व दिलाने के लिए अपने जन प्रतिनिधियों को विवश करना होगा क्योंकि अन्य बातों की तरह अपनी भाषा और संस्कृति की रक्षा और विकास करना हमारा संवैधानिक अधिकार है।

विशिष्ट अतिथि और जन जागृति मंच के संस्थापक अध्यक्ष नंद किशोर पंडित ने अंग प्रदेश के सांस्कृतिक महत्व को उजागर करते हुए कहा कि हम संघर्ष करेंगे टो अंगिका को कोड आवंटित करवाने में कामयाब हो सकेंगे।

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इस मौके पर श्वेता सिंह,संजय सुमन, शंभू प्रसाद सिंह,शंभू चौधरी, डॉ देवज्योति मुखर्जी,राकेश जी, रिचा सिंह और सोपाल शैलेंद्र आदि ने भी विचार व्यक्त किया। स्वागत भाषण तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यलय के कुलानुशासक डॉ रतन कुमार मंडल ने किया। संचालन प्रसून लतांत,सुधीर प्रोग्रामर और कुमार कृष्णन ने किया।

कोसी टाइम्स के समाचार सम्पादक सह साहित्यकार संजय कुमार सुमन ने राज्य व केंद्र सरकार द्वारा लोकभाषा अंगिका के प्रति उदासीनता पर रोष प्रकट करते हुए कहा कि भारतीय लोकतंत्र में इस लोकभाषा अंगिका के साथ हो रहे अन्‍याय व सौतेलापूर्ण व्यवहार दुर्भाग्‍यपूर्ण है ।अंगिका कोड निर्गत नहीं करना अंगिका भाषा की प्रासंगिकता और उसकी पहचान पर भारतीय जनगणना आयोग का प्रहार है। अंग  का इतिहास काफी प्राचीन रहा है, अपनी समृद्धशाली विरासत और गौरवमयी गाथा के कारण अंग की धरती न केवल ऐतिहासिक दृष्टिकोण से बल्कि सांस्‍कृतिक और धार्मिक महत्‍व के कारण भी पौराणिक इतिहास का जीवंत साक्षी रहा है। 

समारोह की शुरुआत दिनकर परिसर स्थित रामधारी सिंह दिनकर की प्रतिमा पर समागम के अतिथियों द्वारा माल्यार्पण से हुई। इसके बाद मानव श्रृंखला बना कर अंगिका के हित में सभी ने एकजूटता का प्रदर्शन किया। समागम में विख्यात लोक नृत्य कार श्वेता भारती की टीम और रिया सिंह ने अंग के लोक नृत्यों की प्रस्तुति की। पांच साल की कुमारी आराध्या झांसी की रानी में वेश में आईं और कविताओं का पाठ किया। त्रिलोकी नाथ दिवाकर ने अंगिका के महत्व पर गीत पेश किया। इसके बाद तेरह हस्तियों को दानवीर कर्ण पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वाली हस्तियों में डॉ सुधीर प्रोग्रामर, डॉ प्रदीप प्रभात,निशा कुमारी,श्वेता भारती,राजनंदिनी, सुहानी,कुमार गौरव,मनजीत सिंह किनवार, डॉ आलोक प्रेमी, नीति कुमारी,अस्तित्व झा, मुकेश मंडल,अनुज कुमार राय के नाम शामिल हैं।

इस मौके पर वरिष्ठ फोटोग्राफर मनोज सिन्हा और कुमारी आराध्या को भी सम्मानित किया गया।

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