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पारिवारिक – सांस्कृतिक संबंधों के बीच नहीं होगा कोई सीमा विवाद

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जोगबनी/अररिया/. भारत नेपाल के बीच कालापानी सहित लिपुलेख क्षेत्र की सीमाओं को लेकर पैदा हुआ विवाद के बाद नक्शे को लेकर राजनीतिक रूप से भले ही विवाद दिख रहा हो लेकिन लोगो के दिल में यह विवाद नही है .उक्त बातें भारत नेपाल सामाजिक संस्कृति मंच के अध्यक्ष राजेश कुमार शर्मा ने कही.

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मंच के अध्यक्ष राजेश शर्मा ने कहा की भारत और नेपाल के बीच बहने वाली तकरीबन 6000 नदियां दोनो देश की कई सीमा का निर्धारण करती हैं जहा न ही कुछ स्थायी है ना ही स्थिर दोनो देश के बीच राजनीतिक बदलाव के बीच इन बदलती सीमाओं पर बसे दोनों देशों के लोग ना इन नक्शों की सीमा को मानते हैं ना जानते हैं ना उन्हें संसद में पेश किए जा रहे नक्शों की परवाह ही है ।अगर एक तरह से माना जाए तो सीमाओं के इस विवाद का निपटारा नई दिल्ली व काठमांडू नहीं बल्कि यही लोग करेंगे जो सीमा के दोनों तरफ है जिनका संबंध सीमाओं से परे बेटी रोटी घर परिवार का है सीमा के विवाद और समाधान का रास्ता इन्हीं के दिलों से होकर गुजरता है।
कुल मिलाकर सुगौली की संधि काली नदी पर आधारित है। इस संधि के अनुसार ये नदी भारत और नेपाल की सीमा का काम करती है। भारत और नेपाल दोनों में इस नदी का बहुत ही अधिक महत्व है। कहा जाता है कि  काली नदी कालापानी से निकलती है, जहां पर एक मंदिर है। प्रत्येक मानसरोवर यात्री कालापानी में रुकता है और मंदिर में दर्शन कर दान-पुण्य करता है। लोगों में इस जगह के लिए वैसा ही विश्वास है जैसा गंगा यमुना के उद्मम स्थल गंगोत्री और यमुनोत्री के लिए है।

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