बिहार प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए किसी तेज-तर्रार और मालदार चेहरे की तलाश,कवायद शुरू

 बिहार कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष मदन मोहन झा ने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया

पटना ब्यूरो/ प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व में बदलाव की चर्चा के बीच करीब-करीब तय है कि कार्यकारी व्यवस्था के तहत बिहार कांग्रेस का काम अगले कुछ महीनों तक यूं ही चलता रहेगा। इस बीच प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए किसी तेज-तर्रार और मालदार चेहरे की तलाश जारी रहेगी। बिहार कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष मदन मोहन झा ने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया है। इस बीच एक लोकसभा, एक विधानसभा चुनाव के साथ विधानसभा की तीन सीटों के लिए उपचुनाव और विधान परिषद की 24 सीटों पर भी चुनाव हुए। इन चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा। 2015 के विधानसभा चुनाव में जीती 27 सीटों से खिसककर 2020 के चुनाव में कांग्रेस 19 सीटों पर आ गई। इसी प्रकार लोकसभा चुनाव में भी महज एक सीट किशनगंज में पार्टी जीत दर्ज करा सकी। विधानसभा की तीन सीटों पर हुए उपचुनाव में पार्टी का प्रदर्शन बेहद निराशा जनक रहा। जबकि परिषद की 24 सीटों पर हुए चुनाव में पार्टी सिर्फ एक सीट पर बाजी मारी। बिहार में कांग्रेस के लगातार निराशाजनक प्रदर्शन और अध्यक्ष के कार्यकाल की मियाद समाप्त होने को आधार बनाकर केंद्रीय नेतृत्व ने बीते दिनों प्रदेश अध्यक्ष झा से इस्तीफा ले लिया।

झा के स्थान पर नए चेहरे के लिए पार्टी ने कवायद शुरू भी कर दी थी, लेकिन बीच खबर आ रही है कि पार्टी प्रदेश नेतृत्व पर अंतिम फैसला जुलाई अगस्त के बीच लेगी। अभी पार्टी संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया से गुजर रही है। बिहार के साथ देशभर में सदस्यता अभियान चल रहा है। बिहार नेतृत्व को 30 लाख नए सदस्य बनाने का जिम्मा था। संगठन चुनाव की जारी प्रक्रिया और सदस्यता अभियान के बीच अध्यक्ष बदलने से यह दोनों कार्य प्रभावित हो सकते हैं ऐसा केंद्रीय नेतृत्व का मानना है। दूसरी ओर केंद्रीय नेतृत्व पार्टी की देशव्यापी स्थिति में सुधार के लिए इन दिनों रणनीतिकार प्रशांत किशोर पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है। लिहाजा बिहार में संगठन के कामकाज उसके एजेंडे में आगे बढ़ गया है।

सूत्रों ने बताया पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन के लिए जुलाई-अगस्त में चुनाव संभावित हैं। उस दौरान बिहार के कामकाज की समीक्षा भी होगी। बीते चुनाव परिणाम के साथ सदस्यता अभियान में बिहार कांग्रेस का प्रदर्शन कसौटी पर कसा जाएगा। इसी को आधार बनाकर जाति समीकरणों को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के नए नेतृत्व पर फैसला होगा। तब तक मदन मोहन झा के नेतृत्व में बिहार कांग्रेस का कामकाज यूं ही कामचलाऊ पैटर्न पर चलता रहेगा।