धीमेश्वर धाम बनमनखी में 108 फीट उंचा बनेगा उग्रेश्वर महादेव शिवमंदिर

25 फीट का होगा गर्भगृह

लालमोहन कुमार@जानकीनगर,पूर्णिया

बनमनखी अनुमंडल के काझी हृदयनगर पंचायत स्थित धीमा ग्राम में बने 100 वर्ष प्राचीन श्री उग्रेश्वर महादेव शिवमंदिर का नवनिर्माण व जीर्णोद्धार का शिलान्यास स्थानीय विधायक व दिल्ली से पधारे श्री स्वामी सिद्धार्थ परमहंस जी महाराजव पंडितों के सानिध्य में वैदिक मंत्रोचरण, वास्तु विधान से किया गया।

श्री उग्रेश्वर महादेव शिव मंदिर का जीर्णोद्धार को लेकर जानकारी देते हुए मंदिर के अध्यक्ष कमलेश्वरी प्रसाद सिंह और मंदिर के सचिव अनिल चौधरी ने बताया कि धीमेश्वर मंदिर सौ वर्ष पूर्व धीमा ग्राम के प्रताप नारायण झा के द्वारा चुना सुर्खी से बनाया गया था। जो अब पुराना व जर्जर हो गया है।उन्होंने बताया कि नवनिर्माण व जीर्णोद्धार का कार्य वर्षों से जमा दान, चढावा, जनसहयोग से जमा चंदा के पैसे से किया जाएगा। साथ ही उन्होंने बताया कि मंदिर 40 फीट नीचे से पाईलिंग करके उपर जमीन तक लाया जाएगा।मंदिर 25 फीट का गर्भगृह, 13 फीट का बरामदा हेगा। मंदिर की उंचाई शिवलिंग से108 फीट ऊंचा भव्य मंदिर का निर्माण किया जाएगा। मौके पर स्थानीय विधायक कृष्ण कुमार ऋषि,दिल्ली से पधारे श्री स्वामी सिद्धार्थ परमहंस जी महाराज, मंदिर के अध्यक्ष कमलेश्वरी प्रसाद सिंह और सचिव अनिल चौधरी सहित सैकड़ों गणमान्य लोग उपस्थित थे। बताते चलें अनुमंडल मुख्यालय से महज 2.5 किलोमीटर की दूरी पर धीमेश्वर धाम उग्रेश्वर महादेव मंदिर लोक आस्था का केंद्र है। इस मंदिर में कोशी-सीमांचल के अलावा पड़ोसी देश नेपाल, बिहार, झारखंड, बंगाल के श्रद्धालु सावन, महाशिवरात्रि के अलावा प्रत्येक रविवार को पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं। गौरतलब है कि आस्था की वजह से बनमनखी विधायक सह तत्कालीन बिहार सरकार के कला सांस्कृतिक मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि के प्रयास से यहां श्रावणी मेला को राजकीय पर्व का दर्जा मिला था।
“मिनी बाबाधाम के रूप में प्रसिद्ध है धीमेश्वर धाम”

बनमनखी स्थित धीमेश्वर धाम को कोशी-सीमांचल क्षेत्र के लोग मिनी बाबा धाम के नाम से भी लोग जानते है। जनश्रुति के अनुसार हिरण्यकश्यपु ने भी इस जगह महादेव की उपासना की थी। जिससे उसको अमरत्व का वरदान मिला था। कहा जाता है कि भक्त प्रह्लाद भी इस जगह उग्रेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना करते थे।यहां सावन में हजारों-हजार संख्या में शिव भक्त उत्तर वाहिनी मनिहारी गंगा से जल भरकर करीब सौ किलोमीटर की कठिन एवं कष्टप्रद यात्रा तय करके बाबा उग्रेश्वर महादेव को जलाभिषेक करते है।वहीं महाशिवरात्रि के मौके पर मेला का आयोजन होता है।