किर्गिस्तान के चार शहरों में फंसे है बिहार के हजारों छात्र ,वतन वापसी को लेकर है चिंतित

हर जगह चक्कर लगा लगा है परेशान ,नही मिल पा रहा है कहीं मदद

कोसी टाइम्स ब्यूरो @ पटना/ किर्गिस्तान के चार शहरों में मेडिकल की पढ़ाई करने गए बिहार के लगभग 1000 छात्र-छात्राएं अपनी वापसी को लेकर चिंतित हैं. वहाँ फंसे छात्र-छात्राओं के मुताबिक बाँकी राज्यों के छात्र-छात्राएं करीब-करीब अपने घर लौट चुके हैं. ऐसे में होस्टल भी खाली हो रहे हैं, छात्रों की चिंता इस बात को लेकर भी अब और ज्यादा बढ़ रही है, क्योंकि यहां एक बार फिर कोरोना के कारण लॉकडाउन लगने वाला है. ऐसी स्थिति में छात्र-छात्राएं लगातार दूतावास से संपर्क कर रहे हैं, लेकिन अभी तक सरकार की ओर से छात्रों को बिहार वापस लाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाई जा सकी है.

किर्गिस्तान में भारत के 10 हजार से ज्यादा छात्र पढ़ रहे हैं.लॉकडाउन लगने के बाद इनमें से कई वहीं फंस गए हैं.लॉकडाउन में किर्गिस्तान में जो नियम लागू किए गए, उसके मुताबिक बाहर निकलने पर हर विदेशी के पास पासपोर्ट होना चाहिए.बिना पासपोर्ट के कोई बाहर नहीं निकल सकता.बहुत से छात्रों के पासपोर्ट कॉलेज में जमा हैं, ऐसे में वे पिछले करीब 70 दिनों से अपने कमरे से बाहर नहीं निकल सके हैं.वे लोकल छात्रों की मदद से अपने काम करवा रहे हैं.

इधर, बिहार में रह रहे अभिभावकों की चिंताएं अब और ज्यादा बढ़ गई है. लगातार बच्चों द्वारा कभी बिहार के राज्यपाल को पत्र लिखकर, तो कभी बिहार डीजीपी के व्हाट्सएप पर मैसेज कर वतन वापसी के लिए गुहार भी लगा रहे हैं. इतनी ही नहीं बच्चों ने तो देश के प्रधान मंत्री को भी ट्वीट कर वतन वापसी की गुहार लगाई.

मालूम हो कि किर्गिस्तान के एशियन मेडिकल इंस्टीट्यूट, ओएसएच मेडिकल यूनिवर्सिटी एवं जलालाबाद स्टेट यूनिवर्सिटी में बिहार के विद्यार्थी पढ़ते हैं. आयोजित परीक्षाओं के कारण वे पहले वापस नहीं आ सके थे. अब परीक्षाएँ खत्म हो गई हैं तो वतन वापसी मुश्किल हो गई है.

बता दें कि किर्गिस्तान में बिहार के 1000 से अधिक मेडिकल के छात्र पढ़ाई करने गए हैं लेकिन कोरोना महामारी के बाद जिस तरह से स्थिति बनी उसे देखते हुए घर लौटने के लिए पिछले तीन महीने से छात्र कोशिश कर रहे हैं, फिर भी अब तक नहीं पहुंच सके हैं. वहाँ फँसे छात्रों का कहना है कि केंद्र सरकार की वंदे भारत मिशन योजना के तहत घर वापसी में राजनेताओं के बच्चों या उनके नजदीकियों को ही फायदा मिल रहा है. हाल ही में लौटे कुछ छात्रों को किसी की मदद नहीं मिलने की वजह से मुश्किलों का सामना करना पड़ा. उन्होंने 20 से 22 हजार में मिलने वाली टिकट 40 हज़ार में खरीदी, फिर अपने वतन लौट सके हैं.

सबसे बड़ा सवाल यह है कि हर बच्चा इतना मंहगा टिकट खरीद पाने में असमर्थ है. किर्गिस्तान में फँसे छात्रों ने  बताया कि वे पिछले कई दिनों से राज्यपाल, मुख्यमंत्री एवं केंद्र सरकार के मंत्रियों को मेल एवं ट्वीट कर गुहार लगा रहे हैं, पर अब तक कोई भी मदद नहीं मिल पाई है. छात्रों ने बताया कि एंबेसी में वंदे भारत मिशन के तहत घर वापसी के लिए जाने पर वहां के अधिकारियों ने उनसे कहा कि प्रदेश सरकार ही कुछ पहल नहीं कर रही है तो हम क्या करें.

छात्रों ने बताया कि रजिस्ट्रेशन कराने के बाद खाली सीट होने पर भी उन्हें एयर इंडिया की फ्लाइट में जगह नहीं दी गई. अधिक राशि वसूलने के चक्कर में निजी विमान से भेजा जा रहा है. इसमें उन्हें दोगुने से भी अधिक खर्च वहन करना पड़ा. किर्गिस्तान में फंसे छात्रों ने बताया कि यहाँ अब भी लगभग 1000 छात्र फंसे हुए हैं. वापस लौटने के लिए लगातार एंबेसी के चक्कर काटते-काटते थक चुके हैं.

 

( तस्वीर : साभार भास्कर समूह )