पूर्णिया/ पहले कहा दुष्कर्म किया, फिर कहा दुष्कर्म नहीं हुआ। बहकावे में आकार केस कर दिया। ऐसा कहकर पीड़िता का खुद के बयान से मुकरना कोर्ट को नागवार लगा। कोर्ट ने फैसला सुनाया कि न्यायालय का कीमती वक्त बर्बाद करने एवं सरकारी संसाधनों का दुरूपयोग करने को लेकर पीड़िता और उसकी मां पर मुकदमा चलेगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे ही पक्षकारों के कारण वास्तविक न्याय पाने वालों न्याय मिलने में देरी होती है और न्यायालय झूठे मुकदमों के बोझ तले दबी रहती है। ऐसे झूठे शिकायतकर्ता को सबक सिखाना भी न्यायपालिका दायित्व है।
पूर्णिया जिले के रूपौली थाना में 16.03.2019 को कांड सं. 32/19 दर्ज हुआ। इसमें नाबालिग पीड़िता की मां ने कहा कि उसकी बेटी रात आठ बजे शौच के लिए गई तो लौटकर घर वापस नहीं आयी। खोजबीन में पता चला कि आरोपित युवक अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर बहला-फुसलाकर शादी की नियत से उसका अपहरण कर लिया। मामला दर्ज होने के बाद पुलिस ने आरोपित युवक के खिलाफ अपहरण, दुष्कर्म एवं पॉक्सो एक्ट के तहत चार्जशीट दाखिल किया।
आरोप गठन होने के बाद मुकदमें का ट्रायल शुरू हुआ। इस दौरान पीड़िता, उसकी मां, डॉक्टर एवं अनुसंधानकर्ता समेत सात लोगों की गवाही कलमबंद की गई। इसमें पीड़िता की मां ने कहा कि उसने लोगों के बहकावे में आकर केस कर दिया। वह आरोपित युवक को पहचनाती भी नहीं है। वहीं पीड़िता ने कहा कि वह शौच के बाद खाला के घर चली गई। पुलिस ने जो कहा वही 164 में बयान दिया। उसका ना कोई मेडिकल जांच हुआ और ना कभी पुलिस ने बयान लिया।
कोर्ट में गवाही देने के पूर्व पुलिस और 164 के बयान में पीड़िता ने स्पष्ट कहा था कि शादी का प्रलोभन देकर आरोपित युवक ने गलत संबंध बनाए थे। दूसरी ओर पर्याप्त साक्ष्य के आधार पर आरोपित युवक की जमानत याचिका पूर्णिया से लेकर हाइकोर्ट पटना से खारिज की गई थी। वह लगातार जेल में बंद था। लेकिन कोर्ट में पीड़िता के मुकरने के बाद आरोपित युवक को ना केवल जमानत मिली बल्कि उसे केस से बरी किया गया।
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