आशीष कुमार । कोसी टाइम्स
बिहार की माटी में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। मुंबई में बाॅलीवुड के फलक पर भी कई बिहारी जुगनूं अपनी चमक से जगमग कर रहा है। आपको अनुराग कश्यप की कल्ट बन चुकी फिल्म गैंग ऑफ वासेपुर तो याद ही होगा, अगर यह याद है तो फिर यह भी याद ही होगा कि इसके दूसरे सिक्वल का ‘फ्रस्टियाओ नहीं मूरा’ गाने ने हर किसी को दीवाना बना दिया था। लेकिन क्या आपको पता है कि इस गाने को बिहार के ही एक लाल ने अपने अलहदा आवाज में स्नेहा खानवलकर की धुनों पर गाया था। अभी मुक्काबाज फिल्म का ‘अधूरा मैं’ गाना भी लोगों की जुबान पर था।
आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि इस गाने को भी बिहार के मुजफ्फरपुर के आथर गाँव के 24 वर्षीय दीपक ठाकुर ने ही अपनी सुरीली आवाज दी है।बिहार के ग्रामीण इलाकों में भी प्रतिभाओं की कमी नहीं है लेकिन उन प्रतिभाओं को मौका नहीं मिल पाता है। जिसकी वजह से वो खुद को साबित नहीं कर पाते हैं। लेकिन अपनी मेहनत और लगन से दीपक ने बाॅलीवुड की सुरमयी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है।
कैसे शुरू हुआ सुरमयी सफर
बचपन से ही संगीत के प्रति लगाव देख दीपक के माता-पिता ने भी उसका साथ दिया। अपने संगीत की दुनिया के सफर के बारे में उन्होंने बताया कि बचपन से ही उनको संगीत का शौक था। संगीत के प्रति उनकी लगन को देखते हुए किसान पिता पंकज ठाकुर और माता मीरा कुमारी ने भी खूब साथ दिया। बस फिर क्या था संगीत सीखने के लिए दीपक मुजफ्फरपुर आए और संगीत शिक्षक की तलाश शुरू कर दी। तभी उनको कहीं से मशहूर संगीत शिक्षक डॉक्टर संजय कुमार ‘संजू’ के बारे में पता चला और दीपक ने उनकी शरण में जाकर संगीत का ककहारा सीखना शुरू कर दिया। दीपक बताते हैं कि कई बार उन्होंने लोगों के सामने अपनी कला का प्रदर्शन करने की कोशिश की लेकिन उनको मौका नहीं मिला। एक किस्सा याद करते हुए दीपक ने बताते हैं कि अपने गाँव आथर से 42 किलोमीटर दूर समस्तीपुर जिले में एक बार जागरण देखने के लिए अपने मामा के साथ साइकिल से गए थे। उनका भी मन था कि लोग उसे भी सुने। जागरण में पहुंचकर दीपक ने कई बार मंच को संभाल रहे एनाउंसर से मौका देने का आग्रह किया। एनाउंसर के आश्वासन पर दीपक रात भर उस स्टेज के नीचे खड़े रहे लेकिन अंत तक उनको मौका नहीं मिला।
मुजफ्फरपुर से मुंबई तक का सफर
अपनी अलग आवाज की दम पर आज दीपक बाॅलीवुड की दुनिया में अपनी चमक बिखेर रहे हैं। लेकिन मुजफ्फरपुर से मुंबई तक की यात्रा दीपक ने कैसे तय की, इसके बारे में खुद दीपक बताते हैं कि मेरे गुरूजी को कही से पता चला कि बाॅलीवुड की संगीत निर्देशक स्नेहा खानवलकर को अनुराग कश्यप की एक फिल्म के लिए एक अलग तरह की आवाज की जरूरत है। स्नेहा एक अलग आवाज की तलाश में विभिन्न शहरों से भटकते हुए मुजफ्फरपुर में आई हुईं थी। इससे पहले अन्य शहरों से भी वो कई आवाज रिकॉर्ड करके लाई थीं। गुरूजी ने कहा दीपक तुम भी उनको अपनी आवाज सुना दो, तो हम हारमोनियम लेकर चल दिये। दीपक बताते हैं कि उस वक्त मुझे पता भी नहीं था कि वो फिल्मों की म्यूजिक डायरेक्टर हैं। मैंने उनको बिहार का ही लोक गीत सुनाया ,उन्होंने उसे रिकॉर्ड किया और मुंबई ले कर चली गईं। उस गाने को निर्देशक अनुराग कश्यप को सुनाया और उनको आवाज पसंद आई। लगभग दो साल बाद वहां से फोन आया और 2012 में मुझे मुंबई बुलाया गया। दीपक ने बताया कि जो गाना वो रिकॉर्ड करके ले गईं थी उसको उन्होंने गैंग ऑफ वासेपुर-1 में हुबहू डाल दिया था। मुंबई पहुंचने के बाद स्नेहा खान वालकर ने अनुराग कश्यप से मिलाया और गैंग ऑफ वासेपुर-2 के लिए “मुरा” गाना रिकॉर्ड किया गया।
लंबे समय के बाद एक बार फिर बुलाया गया मुंबई
दीपक ने बताया ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद नौकरी की तलाश में ग्रेटर नोएडा आ गया। कुछ समय बाद 15 नवंबर 2016 को मेरी अनुराग सर से बात हुई और उन्होंने कहा कि मेरी एक फिल्म आ रही है मुक्केबाज़ उसमें एक गाना रिकॉर्ड करना है। फिल्म में संगीत निर्देशक रचिता अरोड़ा ने मुझे गाना सुनाया और उस गाने को मैंने रिकॉर्ड करके भेजा और वो भी अनुराग कश्यप को पसंद आ गया और इस गाने को मेरे ऊपर फिल्माया गया। अपने आगे के काम के बारे में दीपक ने बताया कि आने वाले समय में अनुराग कश्यप के साथ एक एलबम बनाना है इसके अलावा दो और फिल्म में भी गाने के लिए बात चल रही है साथ ही एक शॉर्ट फिल्म में भी काम मिला है।
दीपक के गानों को सुनने के लिए आप उनके फेसबुक– Deepak Thakur, इंस्टाग्राम- @ideepakthakur, यूट्यूब- Deepak Thakur, ट्विटर- Deepakthakur767 पर जा सकते हैं।
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