उदाकिशुनगंज प्रखंड अंतर्गत 14 राजस्व ग्राम में मिट्टी जाँच शुरु

उदाकिशुनगंज/मधेपुरा/ उदाकिशुनगंज प्रखंड के 44 राजस्व ग्राम में से 14 राजस्व ग्राम में मिट्टी जाँच प्रारंभ कर दिया है। अधिकारियों ने गाँव में जाकर मिट्टी जाँच के तरीके और फायदे बताये साथ ही किसानों को मिट्टी जाँच करने को प्रोत्साहित भी किया।

प्रखंड कृषि पदाधिकारी उमेश बैठा ने कहा कि राष्ट्रीय संचारणीय कृषि मिशन 2020 मृदा स्वास्थ्य प्रशिक्षण उदाकिशुनगंज प्रखंड अंतर्गत 14 राजस्व ग्राम में शुरु कर दिया गया है। चयनित राजस्व ग्राम के किसानों के द्वारा मिट्टी नमूना लिया जा रहा है। किसान सलाहकार एवं कृषि समन्वयक के द्वारा किसानों से मिट्टी संग्रहण कर जिला कृषि कार्यालय मधेपुरा को मिट्टी परीक्षण हेतु भेजा जाएगा। चयनित राजस्व ग्राम में आगामी खरीफ मौसम में लगने वाले फसल में प्रत्यक्षण कराया जाएगा। कृषि समन्यवक मनोज कुमार ने मिट्टी नमूना लेने की विधि बताते हुए कहा कि खेत के चारों क्षेत्र के 1 फीट अंदर से चारों कोनों एवं बीच से नमूना लेना है। पांचो जगह पर ऊपरी परत पर खरपतवार साफ कर लगभग 6 से 8 इंच गड्ढे मिट्टी लेकर पांचों मिट्टी को साफ पॉलिथीन सीट पर मिलाकर छायादार जगह पर सुखाकर मिट्टी को बारीक कर लगभग 500 ग्राम मिट्टी नमूना हेतु लेना है, एवं नमूना वेग पर खाता, खेसरा, नाम, राजस्व गांव का टैगिंग करके जमा करना है।

कृषि समन्वयक अमर पति निरंजन ने मृदा स्वास्थ्य प्रशिक्षण से होने वाले लाभ के विषय में बताते हुए कहा कि सभी किसानों को प्रत्येक 3 वर्ष में मृदा की जांच कराना चाहिए ताकि उर्वरकों के इस्तेमाल में जरूरत पोषक तत्वों की कमियों की जानकारी हो सके। मृदा स्वास्थ्य कार्ड में उर्वरकों की फसल बार सिफारिशें मुहैया कराई जाती है और इसके साथ ही किसानों को यह भी बताया जाता है कि कृषि भूमि की उर्वरा क्षमता को किस प्रकार बढ़ाया जा सकता है। मिट्टी की सेहत और खाद के बारे में किसानों को पर्याप्त जानकारी नहीं होने के कारण आमतौर पर नाइट्रोजन की अत्यधिक प्रयोग करते हैं जो कि मिट्टी स्वास्थ कृषि उत्पादों की गुणवत्ता मनुष्य के स्वास्थ्य पर भी हानिकारक प्रभाव डालता है। इससे पर्यावरणीय समस्याएं भी उत्पन्न होती है। मिट्टी जांच के उपरांत अनुचित मात्रा में खाद दी जाती है। जिससे लागत मूल्य घटता है, साथ ही गुणवत्तापूर्ण फसल की उपज होती है जिससे किसानों की आय में बढ़ोतरी होती है।