सहरसा हेपेटाइटिस से बचने के लिए सदर अस्पताल में लगाया गया शिविर ,जन जागरूकता के लिए दी गई जानकारी

सुभाष चन्द्र झा
कोसी टाइम्स@सहरसा

बुधवार को सदर अस्पताल परिसर में हेपेटाइटिस से बचने के लिए जन जागरूकता फैलाने के लिए शिविर का आयोजन किया गया। शिविर के उद्घाटन सिविल सर्जन डॉ ललन कुमार सिंह के द्वारा किया गया। जिसके बाद मौजूद अस्पताल कर्मी सहित एएनएम द्वारा शिविर में पहुंचने वाले लोगों को हेपेटाइटिस से बचने के टिप्स बताए गए।

सिविल सर्जन डॉ ललन कुमार सिंह ने बताया कि बारिश के मौसम में दूषित पानी और खाद्य पदार्थों के कारण हेपेटाइटिस के मामले काफी बढ़ जाते हैं। अक्सर लोग इसके शुरुआती लक्षणों को मौसमी बुखार समझने की भूल कर जाते हैं। सही जानकारी का अभाव इस बीमारी की जटिलता को बढ़ा देती है। इसीलिए जरूरी है कि इसके बारे में जानकारी उपलब्ध हो। खासकर सावन की रिमझिम बारिश जहां दिल को सुकून देती है। वही प्रदूषित पानी से होने वाली बीमारियों के खतरे को भी बढ़ा देती है। इसके साथ ही खुले में बिकने वाले खाद्य पदार्थों में बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं। ऐसे खाद्य पदार्थों और दूषित जल के सेवन की वजह से हेपेटाइटिस बीमारी का खतरा काफी बढ़ जाता है। कई बार लोग इसके शुरुआती लक्षणों को समझ नहीं पाते हैं। उन्हें लगता है कि मौसम के बदलाव के वजह से वे बुखार और हरारत के शिकार हुए हैं। जबकि यह हेपेटाइटिस जैसी गंभीर बीमारी के संकेत हो सकते हैं। हालांकि यह बीमारी किसी भी मौसम में हो सकता है। लेकिन इस मौसम में हेपेटाइटिस बी से सजग रहने की जरूरत है।
उन्होंने आगे बताया कि हेपेटाइटिस ए और बी वायरस के कारण होता है।  इसका मुख्य लक्षण बुखार रहना और भूख नहीं लगना है। रोगी को ऐसा महसूस होता है कि उल्टी होने वाली है। साथ ही पेशाब का गहरा पीला होना । इसकी प्रमुख लक्षणों में जाना जाता है। साथ ही त्वचा और आंख में पीलापन आना ,खुजली होना यह बीमारी का प्रमुख लक्षण है।
हेपेटाइटिस बी का पता लगाने के लिए खून की जांच एवं लिवर फंक्शन टेस्ट के अलावे अल्ट्रासाउंड कराया जाता है। दोनों बीमारियों के लक्षणों का इलाज किया जाता है। तरल पदार्थ जैसे पानी और नींबू पानी अधिक से अधिक रोगी को पिलाना चाहिए। बीमार लोगों को मौसमी फल खिला देना चाहिए।
मौके पर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अनिल कुमार ,चिकित्सक डॉ एसपी विश्वास सहित अन्य लोग मौजूद थे।