पप्पू जी ऊन्नै ,मैडम ईन्नै….जनता जाये तो जाये कैन्नै ? (दूसरी कड़ी)

अन्ना यादव
राजनीतिक विश्लेषक @ कोसी टाइम्स.

इस विशेष आलेख की पहली कड़ी में आप मधेपुरा संसदीय क्षेत्र की राजनीतिक अहमियत और लालू यादव,शरद यादव व पप्पू यादव की बनते-बिगड़ते राजनीतिक संबंधो की हल्की-फुल्की झलक ले चुके हैं.अब आज कोसी क्षेत्र की राजनीति व बिहार विधानसभा चुनाव में कोसी इलाके में पप्पू यादव के प्रभाव पर चर्चा की शुरूआत करते हैं.पप्पू किसका खेल बिगाड़ेंगे ? तो इसका सीधा सा जवाब है कि लालू-नीतिश…सीधे तौर पर कहे तो नीतिश से भी ज़्यादा लालू की लूटिया कोसी क्षेत्र में डुबोने की पुरजोर कोशिश पप्पू यादव करेंगे.एकबार पप्पू यह काम कर चुके हैं और उस का खामियाजा लालू यादव को बुरी तरह से भुगतना पड़ा था.यह सर्वविदित है कि मधेपुरा विधानसभा सीट से थियेटर मालिक सियाराम यादव को उस समय टिकट देने का पप्पू ने भारी विरोध किया था.पप्पू का यही विरोध चुनावी समर में मधेपुरा में सियाराम के साथ साथ सिहेश्वर में राजद के दीनेश यादव को भी ले डूबा था.कोसी क्षेत्र में राजद की कश्ती के चुनावी भंवर में उलट जाने से पार्टी सत्ता के किनारे फिर दोबारा नहीं पहुंच सकी.कोसी और सीमांचल की सीटें काफी मायने रखती है.

राजद से निकाले जाने के बाद से पप्पू यादव का राजनीतिक महत्वाकांक्षा व महत्व काफी बढ़ गया है.राजद से निलंबन के बाद पप्पू ने मांझी की ‘हम’ के साथ कदम मिलाने की बजाय राजनीतिक पंडितों को चौंकाते हुए अपनी पार्टी ‘जाप’ बना ली .इसी बढ़ी हुयी महत्वाकांक्षा का परिणाम है कि बिहार में हर जगह ‘एक साल में बिहार बदल देने की बात’ करते हुए पप्पू के होर्डिंग बैनर प्रधानमंत्री मोदी व नीतिश कुमार के बैनर पोस्टर के आस पास आपको मिल जायेंगे.हालांकि बीजेपी द्वारा पप्पू को तवज्जो दिये जाने पर लालू के लाल तेजस्वी का कहना है कि दूसरे दलों में पप्पू यादव व रामकृपाल यादव जैसों की इसलिए आवभगत हो रही है क्योंकि सामाजिक न्याय के तहत लालूजी ने ही पप्पू यादव व रामकृपाल यादव को आगे बढ़ाया है.खैर,कोसी की तरफ लौटते हैं.कोसी की धारा और क्रिकेट की तरह की यहां की राजनीति भी करवटें बदलती रहती है.उस समय मधेपुरा में सियाराम पर सियासत न गरमायी होती तो शायद नीतिश को मौका नहीं मिलता और लालू का राजपाट चलता रहता….कल पढ़िए इस खास चुनावी पेशकश की अगली कड़ी

laloomadhepurapappupolitical dramaranjita