आख़िर कहां गई जोगबनी की नर्गिस,ट्रैफिकिंग का शिकार या कुछ और?

राजा वर्मा
कोसी टाइम्स@फारबिसगंज,अररिया

भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र में लड़कियों की ट्रैफिकिंग इन दिनों काफी बढ़ गयी है। इसी कड़ी में ट्रेफिकर्स अब नाबालिग बच्चियों को घर से गायब करने लगें हैं मगर पुलिस लाचार बनी बैठी है। लगभग एक महीने से ज्यादा होने को हैं किन्तु नौ वर्षीया नर्गिस का अब तक कुछ भी पता नही कर सकी है जोगबनी पुलिस। माँ की ममता से महरूम नर्गिस अपने नाना-नानी के पास जोगबनी वार्ड नम्बर 14 में रहती थी। जहाँ अपने घर से 22 जून को जब बाहर अपने दरवाजे पर ही निकली थी मगर मात्र 10 मिनट में ही अचानक वह ऐसा गायब हुई कि काफी खोज-बीन बाद भी उसका कुछ भी अता-पता नही चल पाया। लोगों को अंदेशा है कि कोई न कोई इस घटना को सुनियोजित तरीके से अंजाम देकर उस मासूम को मात्र पांच सौ गज की दूरी पार कर नेपाल ले कर चला गया है। एक तरफ जहाँ उस मासूम के दर्द से उसके नाना-नानी बेहाल हैं वहीं दूसरी तरफ पुलिस की ओर से अब तक आश्वासन के सिवा कुछ भी नही मिला है। हांलाकि आये दिन इसी भारत-नेपाल सीमा ईलाके में कई गैर सरकारी सामाजिक संस्थाएं इसी ट्रैफिकिंग मसले पर काम के नाम पर सिर्फ औपचारिकताएं पूरी कर सरकार के करोड़ो रूपये का वारा-न्यारा कर जाती है किन्तु नर्गिस जैसी कितनी मासूमों का अब तक कोई खबर नही लिया जाता। वैसे समय-समय पर भारत और नेपाल दोनो देशों के उच्चाधिकारियों की बैठक भी होती है जिसके अंतर्गत अपराध नियंत्रण को लेकर आपस मे समन्वय स्थापित करने की बात कही जाती है मगर सब एक दिखावा और अंतराष्ट्रीय बैठक के नाम पर सरकारी फंड की बर्बादी होती है। इस प्रकार इस तरह के अपराधों पर नियंत्रण करने के लिए पुलिस को खुद बढ़-चढ़ कर आगे आना होगा और अंतराष्ट्रीय बैठक में लिए गए निर्णय के मुताबिक नेपाल के पुलिस अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर ही नर्गिस जैसी मासूमों का पता लगाया जा सकता है।