मधेपुरा : आजादी के 73 वर्ष बाद भी चचरी ही है सहारा

गर्भवती महिला या मरीजों के लिए खाट होता है एम्बुलेंस

मुरलीगंज ,मधेपुरा/ आजादी के भले ही 73 वर्ष बीत गये हो. रुरल इंडिया वाली बात अब डिजिटल इंडिया हो गयी हो लेकिन मधेपुरा जिला के मुरलीगंज प्रखंड क्षेत्र के गंगापुर और रघुनाथपुर पंचायत के बीच मुरहो टोला घाट के लोग पुल के अभाव में आज भी चचरी के सहारे नदी पार करते है. ग्रामीण बताते है कि बरसात के समय उनलोगों का आवाजाही बंद हो जाती है. करीब 20 हजार की आबादी वाली इस क्षेत्र के लोग स्थानीय जन प्रतिनिधि और अधिकारीयों से कई बार पुल मांगने की बात कहते है.

आस पास क्षेत्रों के आमलोगो को मुरलीगंज-बिहारीगंज स्टेट हाईवे मुख्य सड़क तक जाने के लिए लंबी दूरी तय करना पड़ता है। ग्रामीण बताते है कि चूँकि एक सहारा चचरी ही है अधिक पानी हो जाने के बाद हमलोगों को मुख्य बाजार तक जाने के लिए बहुत ज्यादा दुरी टी करना पड़ता है. मुरहो टोला घाट पर पुल निर्माण को लेकर कई बार सांसद, विधायक और पदाधिकारियों से आग्रह किये जाने के बाद भी इस और ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

रघुनाथपुर पंचायत के धनिकलाल यादव, फौजी राजेन्द्र यादव, प्रवीण प्रिंस, आनंद कुमार चिंटू, रूपेश कुमार, कुंदन यादव, शशी यादव, कंचन यादव, राविलास यादव, जयचंद मुखिया, दशरथ मुखिया, भैरो मुखिया, नित्यानंद यादव, सुमन मुखिया ने कहा कि आजादी के इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी हमलोग शासन और प्रशासन के द्वारा उपेक्षित है जबकि नदी दोनों तरफ पक्की सड़क बनी हुई है और वर्षों से हमलोग चचरी पुल बनाकर आवाजाही की विवशता हैं फिर भी आज तक किसी ने पुल निर्माण कराने की पहल नहीं किया है।

लोगों ने कहा कि हर वर्ष बरसात के दिनों में लोगों की डूबने से मौत भी होती है। पुल आभाव में लंबी दूरी तय करना पड़ता है। खासकर नदी के दोनों तरफ के किसानों को भारी परेशानी होती है। कहा खासकर गर्भवती महिला और मरीजों कू अस्पताल तक पहुँचाने में खाट का सहारा लेना पड़ता है. नाव के सहारे अनाज को इस पार से उस पार करने की जोखिम उठाना पड़ता है। अगर अब इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो बाध्य होकर हमलोग पुल निर्माण को लेकर आंदोलन करेंगे।

इस सम्बन्ध में बीडीओ अनिल कुमार ने कहा कि जिस पंचायत क्षेत्र में नदी पर चचरी पुल बनाकर आवागमन करने की विवशता है। पंचायत सचिवों से जानकारी लेकर वरीय पदाधिकारी को सूचित किया जाएगा। जिससे संबंधित जगहों पर पुल निर्माण की कवायद शुरू हो।