कोशी महापंचायत सफलतापुर्वक संपन्न ,लिए गये कई निर्णय

सुपौल

सुपौल के गाँधी मैदान में कोशी नव निर्माण मंच के आह्वान पर आयोजित कोशी महापंचायत में उपस्थित पंचों ने सरकार से कोशी की समस्या का तत्काल हल निकालने, लापता कोशी पीड़ित विकास प्राधिकार को पुनः सक्रीय करने, मौजूदा सत्र में लगान मुक्ति के लिए कानून बनाये जाने, पलायन मजदूरों के हित में बने कानूनों को प्रभावी बनाने के साथ ही कल्याणार्थ कार्यक्रम बनाने व आने जाने के समय पर्याप्त संख्या में ट्रेनों की व्यवस्था करने का फैसला लिया| साथ ही यदि सरकार इस फैसले को नही मानती हैं तो अपनी तरफ से कार्य करने के प्रस्ताव और संघर्ष के लिए जन गोलबंदी का फैसला लिया गया|

उक्त जानकारी देते हुए सन्गठन के जिला अध्यक्ष इंद्रनारायण सिंह और संस्थापक महेन्द्र यादव ने बताया कि कि महापंचायत ने सरकार से कहा कि कोशी की समस्या का समस्या का जल्द समाधान निकाले| यह भी माना कि सरकार पर जनदबाव के साथ ही समाज और पीड़ित जनता भी हाथ पर हाथ धरे नही बैठी रहे इसलिए यह भी प्रस्ताव पारित किया गया कि कोशी समस्या के समाधान के जनपक्षीय सुझावों के लिए “कोशी जनआयोग” का गठन किया जाएगा| इस जन आयोग में देश के प्रमुख सामाजिक, राजनैतिक कार्यकर्ता रहेंगे वही नेपाल और अन्य देश के सदस्यों को आमंत्रित सदस्य के रूप में रखा जायेगा संवाद कर इसकी घोषणा की जायेगी|

वहीं महापंचायत ने सरकार से कहा कि वह लापता कोशी प्राधिकार को खोजते हुए उसे पुनः सक्रीय कर 17 सूत्रीय तय कार्यक्रम धरातल पर उतारने की गारंटी करे| यदि सरकार 6 माह में नही करती हैं तो हम लोग न्यायालय की तरफ भी विचार करेंगे| वहीं लगान मुक्ति के सवाल महापंचायत ने लगान व सेस मुक्त कर, जमीन की क्षति की भरपाई देने सम्बन्धी कानून मौजूदा सत्र में लाने को कहा | यह भी तय किया कि यदि ऐसा क़ानून नही लाती है| एक वर्ष तक जन दवाव के बाद भी लगान नही देने के असहयोग आन्दोलन शुरू करने की तरफ भी बढ़ा जायेगा| वहीं पलायन मजदूरों के सवालों पर महापंचायत ने इंटर स्टेट माइग्रेस एक्ट को प्रभावी तरीके से लागू कर उनके कल्याणार्थ कार्यक्रम बनाने और यहाँ से मौसमी पलायन करते समय पर्याप्त संख्या में ट्रेनों की व्यवस्था करने का फैसला लिया| इन मजदूरों को संगठित कर जनदबाव बनाने का प्रस्ताव लिया गया|

इस महा पंचायत में देश की प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरणविद मेधा पाटकर, पर्यावरण के नोबेल के रूप में विखाय्त गोल्ड मैन पुरस्कार से सम्मानित प्रफुल्ल समन्तरा, जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्यव के राष्ट्रीय संयोजक मंडल के प्रो. संजय मंगला गोपाल, मछुआरों के राष्ट्रीय नेता प्रदीप चटर्जी, भातरीय सामुदायिक कार्यकर्ता संघ के सहसंयोजक सौमेन राय, उत्तर प्रदेश के मजदूर नेता अरविन्द मूर्ति, मुजफ्फरपुर के मनरेगा यूनियन के संजय सहनी, पटना के वरिष्ठ पत्रकार अमर नाथ झा, नदी विशेषज्ञ रणजीव कुमार मेहमान थे| गंगा के तट काशी से दीनदयाल, सुरेश राठौर, महेंद्र राठौर, राजकुमार पटेल, मनोज व मुस्तफा शारदा नदी के किनारे संघर्ष कर रहे संगतिन सीतापुर से विनोद पाल, विनीत तिवारी और रामसेवक तिवारी भी आये थे|

इस महापंचायत में मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष के साथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, उपेन्द्र कुशवाहा, मंत्री बिजेंद्र यादव, विधान परिषद के सभापति, स्थानीय सांसद को भी आमंत्रित किया गया था और नही आने की स्थिति में प्रतिनिधि भेजने का भी आग्रह किया गया था| जल संसाधन, श्रम संसाधन, भू राजस्व विभाग और आपदा विभाग के प्रधान सचिव, रेलवे के डी आर एम को भी आमंत्रित किया गया था| ये लोग भी नही आये न ही किसी प्रतिनिधि को ही भेजे|

इस कारण उपस्थित हजारों लोगों और पधारे प्रमुख लोगों ने महापंचायत के इस प्रस्तावों को दोनों हाथ उठाकर सर्व सम्मति से स्वीकृति दी|