खेलने के उम्र में इस शख्श को हुआ प्यार,आईआईटी के बैच में केमेस्ट्री से खेलता है

रविकांत कुमार । कोसी टाइम्स

 

कहा जाता है हर कुछ का उम्र होता है चाहे कोई सही कार्य का हो या गलत ।लेकिन अगर कोई बिना समय के बहुत सही काम करने लगे तो क्या कहेंगे ? चार पांच साल के बच्चे से आप क्या उम्मीद कर सकते है यहीं न समय से खा लेगा,तंग नही करेगा ,स्कूल बिना परेशानी के चले जाएगा लेकिन जब वहीं बच्चा आईआईटी की तैयारी कर रहे बच्चों के साथ बैठ के तैयारी करे और उसे कड़ी टक्कर दे हैरत तो होगा ही।जी हां मैं आज ऐसे ही एक बच्चे से मुलाकात करवा रहा हूँ जो बिहार के मधेपुरा से है।

मधेपुरा जिलान्तर्गत वार्ड नं 2 के सेतु जी के पांच वर्षीय पुत्र संगम सेतु की कहानी निराली है।खेलने कूदने की उम्र में संगम को केमेस्ट्री से गजब का लगाव हो गया है।अभी से ये आईआईटी की तैयारी करने वाले बच्चे के साथ बैठ उस स्तर के सवाल लगाने शुरू कर दिए है।शुरआत के केमेस्ट्री में लोग एलिमेंट न से शुरू होती है जहां बच्चे संख्या 30 तक याद करते करते थक जाते है और इसी में कई दफे शिक्षक से पीट जाते है लेकिन ये पांच वर्षीय बच्चा अभी ही 118 एलिमेंट ,उसका न सहित याद कर रखा है।

अभी से ये केमेस्ट्री के हर छोटे बड़े पहलू से परिचित है और एक दम में 118 एलिमेंट का नाम ,वायलेंस ,नॉन वालेन्स आदि से रूबरू करवा देने का ज्ञान अर्जित कर चुका है।पूछने पर बताता है कि मुझे बस यही सब्जेक्ट पढ़ना अच्छा लगता है।वो बताते है आगे उन्हें डॉक्टर बनने की इच्छा है जहां वो सबसे ज्यादा अंक केमेस्ट्री से ही लाएंगे।जूनियर क्लास में पढ़ रहे संगम को जब उनके कक्षा की कविता सुनाने को कहा तो वो भी सुनाया लेकिन उसकी ज्यादा रुचि नही देखी गयी।

केमेस्ट्री लवर संगम खेलने में भी खूब माहिर है।कैरम और चेस इनका पसंददीदा गेम है जिसे ये पढ़ने के बाद खूब खेलता है।वो बताता है माइंड फ्रेस करने के लिए खेलता हूँ फ्री हो जाता हूँ फिर वही केमेस्ट्री पढ़ता हूँ।इसके सम्बन्ध में संगम के पिता सेतु जी ने बताया शुरआत से ही इनका केमेस्ट्री से लगाव रहा है और खूब पढ़ता है जिसमे मैं भी सहयोग करता हूँ।